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आज का राहु काल (रविवार, अगस्त 4, 2024) - दिल्ली के लिए

आज का राहु काल

समय: 17:29 to 19:09
अवधि: 1:40 Time icon
Rashi chakra
04th
August, 2024
रविवार
sunrise icon सूर्योदय: 05:44
sunset icon सूर्यास्त: 19.09
तारीख कब से कब तक
रविवार04 August 202417:29 to 19:09
सोमवार05 August 202407:25 to 09:06
मंगलवार06 August 202415:47 to 17:28
बुधवार07 August 202412:26 to 14:07
गुरूवार08 August 202414:06 to 15:46
शुक्रवार09 August 202410:46 to 12:26
शनिवार10 August 202409:07 to 10:46
रविवार11 August 202417:24 to 19:04
नोट:दिया गया समय 24 घंटे के प्रारूप में है।
Aaj ka Rahukaal

राहु काल को कई बार राहु कालम् या राहुकाल भी लिखा जाता है। जो लोग ज्योतिष के सिद्धान्तों में विश्वास करते हैं, वे इसे बहुत अधिक महत्व प्रदान करते हैं। विशेषतः दक्षिण भारत में लोगों का यह मत है कि दैनिक जीवन की गतिविधियों में राहु काल का विचार अत्यन्त आवश्यक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आख़िरकार राहुकाल है क्या और इसका क्या उपयोग है? यदि नहीं, तो आइए जानते हैं इस रहस्यपूर्ण समयावधि के बारे में–जिसे “राहु काल” के नाम से जाना जाता है।

राहु काल क्या है?

क्या आप जानते हैं कि वस्तुतः राहु काल है क्या? यदि आम भाषा में कहा जाए तो यह प्रतिदिन आने वाला वह काल-खण्ड है जो वैदिक ज्योतिष के अनुसार शुभ नहीं माना जाता है। इस काल पर राहु का स्वामित्व होता है। इस समय-अवधि में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य न करने का विधान है। यदि इस समय में किसी काम को शुरू किया जाता है तो मान्यता है कि वह काम कभी सकारात्मक परिणाम नहीं देता है। यद्यपि वे गतिविधियाँ जो राहुकाल से पहले ही आरम्भ कर दी गई हों, उन्हें करते रहने से कोई समस्या उत्पन्न नहीं होती है।

राहुकाल की गणना कैसे करते हैं?

यहाँ हमने आपको राहु काल कैलक्युलेटर उपलब्ध कराया है, जिसके माध्यम से आप अपने शहर या गाँव के अनुसार राहुकाल का ठीक-ठीक समय ज्ञात कर सकते हैं। यदि आप राहु काल की गणना स्वयं करना चाहते हैं तो निम्नलिखित प्रक्रिया को उपयोग में लाएँ–

  1. अपने क्षेत्र में उस दिन के सूर्योदय और सूर्यास्त का समय ज्ञात करें।
  2. अब इस समयावधि को 8 बराबर भागों में बाँट लें।
  3. सोमवार को दूसरा, मंगलवार को सातवाँ, बुधवार को पाँचवाँ, गुरुवार को छठा, शुक्रवार को चौथा, शनिवार को तीसरा और रविवार को आठवाँ हिस्सा राहु काल कहलाता है।

उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि किसी क्षेत्र में हर रोज़ सूर्योदय का समय प्रातः ६ बजे और सूर्यास्त का समय शाम ६ बजे है। यदि हम ऊपर दी हुई प्रक्रिया का अनुसरण करें तो हमें प्रतिदिन निम्न समय पर राहुकाल प्राप्त होगा–

  1. सोम – प्रातः 7:30 - प्रातः 9:00
  2. मंगल – सांय 3:00 - सायं 4:30
  3. बुध – प्रातः 12:00 - सायं 1:30
  4. बृहस्पति – सायं 1:30 - सायं 2:00
  5. शुक्र – प्रातः 10:30 - प्रातः 12:00
  6. शनि – प्रातः 9:00 - प्रातः 10:30
  7. रवि – सायं 4:30 - सायं 6:00

यह राहुकाल गणना करने की विधि को ठीक तरह से समझने के लिए एक उदाहरण मात्र है। इसे उपयोग में नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि विभिन्न स्थानों में प्रतिदिन सूर्यास्त व सूर्योदय का समय भिन्न-भिन्न होता है।

राहु काल के दौरान क्या न करें?

कोई भी वह कार्य जिसे महत्वपूर्ण या शुभ माना जाता है, उसे राहु काल में न करना ही उचित समझा गया है। जो लोग इस सिद्धान्त में विश्वास रखते हैं वे इस दौरान नए कार्य का आरम्भ, विवाह, गृह-प्रवेश, कोई चीज़ ख़रीदना और व्यापार आदि नहीं करने की चेष्टा करते हैं। हालाँकि जो काम पहले शुरू हो चुके हों उनके राहु काल के दौरान जारी रहने से कोई हानि नहीं होती है।

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