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सूर्योदय/ सूर्यास्त का समय (रविवार, अगस्त 4, 2024) - दिल्ली के लिए

सूर्योदय/ सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: 05:44
सूर्यास्त: 19:09
04th
August, 2024
रविवार

अन्य शहरों के लिए सूर्योदय /सूर्यास्त

Aaj ka Sunrise

सूर्योदय एवं सूर्यास्त का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र में सूर्योदय एवं सूर्यास्त का विशेष महत्व है। लग्न व मुहूर्त की गणना के अलावा अन्य ज्योतिषीय गणना के लिए सूर्योदय एवं सूर्यास्त का विशेष महत्व है। इनमें पंचांग, राहु काल, व्रत व त्यौहार जन्म काल आदि प्रमुख है। पंचांग के अनुसार दिन का प्रारंभ स्थानीय सूर्योदय के साथ होता है और अगले सूर्यास्त के साथ समाप्त होता है। वहीं राहु काल ज्ञात करने की विधि में सूर्योदय से सूर्यास्त की अवधि को आठ भागों बाँटा जाता है। राहु काल में मंगल कार्यों को शुरू करना अशुभ माना जाता है जबकि सूर्यास्त के बाद राहु काल की गणना नहीं होती है। इसके साथ ही व्रत एवं त्यौहार के लिए भी सूर्य का उदय होना और सूर्य का अस्त होना महत्वपूर्ण होता है।

जानें आपके शहर में सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय एवं सूर्यास्त प्रकृति की एक नियमित घटना है। इसमें सूर्य का उदय होना और सूर्य का अस्त होना निश्चित है। सूर्योदय दिन प्रारंभ होने का प्रतीक है और सूर्यास्त रात्रि आरंभ होने की बेला है। वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है, इसलिए सूर्य उदय होने पर हमारी प्रकृति में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। इसके फलस्वरुप वातावरण प्रकाशमय होता है साथ ही सात्विक ऊर्जा का भी संचार होता है। वहीं सूर्यास्त के बाद रात्रि का आगमन होता है।। सूर्य की पहली किरण बहुत शक्तिशाली होती है। इसी प्रकार सूर्यास्त होते समय भी इसकी किरणों में एक विशेष प्रकार की शक्ति होती है। अतः सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय अग्निहोत्र किया जाता है। इससे वातावरण का शुद्धिकरण होता है।

वास्तु शास्त्र की दृष्टि से सूर्योदय एवं सूर्यास्त का महत्व

वास्तुशास्त्र में भी सूर्य की अहम भूमिका है। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सूर्योदय से लेकर प्रातः 9 बजे तक सूर्य पृथ्वी के पूर्वी भाग में स्थित होता है। इस समय सूर्य की किरणों से सकारात्मक ऊर्जा निकलती हैं। अतः भवन निर्माण ऐसा होना चाहिए कि इस समय सूर्य की अधिक से अधिक किरणें आपके भवन के अंदर आ सके। जबकि सूर्यास्त से रात्रि 9 बजे तक सूर्य पश्चिम दिशा में संचरण करता है। यह समय चर्चा व भोजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है अतः घर में बैठक कक्ष पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

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