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राहु का गोचर

पढ़ें राहु के गोचर का सभी 12 राशियों पर होने वाला ज्योतिषीय प्रभाव, साथ ही जानें नौकरी, व्यापार, शिक्षा धन, प्रेम, विवाह और पारिवारिक जीवन पर क्या होता है इसका असर?

राहु गोचर राहु के राशि परिवर्तन को राहु का गोचर कहा जाता है। यह प्रत्येक राशि में लगभग डेढ़ वर्ष की अवधि तक गोचर करता है। शनि और बृहस्पति के बाद राहु ही एक ऐसा ग्रह है जिसकी गोचरीय अवधि भी अधिक होती है। गोचर का राहु हर राशि के भिन्न-भिन्न भावों में स्थित होकर मनुष्य के जीवन को प्रभावित करता है।

वैदिक ज्योतिष में राहु का महत्व

हिन्दू ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है। राहु उस असुर का कटा हुआ सिर है जो सूर्य और चंद्र ग्रहण करता है। राहु को वैदिक ज्योतिष में क्रूर ग्रह कहा गया है, इसलिए राहु का नाम सुनते ही व्यक्ति के मन में भय और नकारात्मक भाव आने लगता है। राहु को मायावी विद्या, लॉटरी, जुआ, बुद्धि को भ्रमित करने वाला और झूठ बोलने वाला आदि बातों का कारक माना जाता है। इसके अतिरिक्त राहु राजनीति और कूटनीतिक संबंधों का कारक भी होता है। जन्म कुंडली में राहु के मजबूत स्थिति से व्यक्ति को राजनीतिक, कूटनीतिक, विदेश यात्रा के अवसर और जोखिम भरे कार्यों में बड़ी सफलता मिलती है। वहीं राहु के बुरे प्रभाव से अचानक बड़ी हानि का सामना करना पड़ता है। राहु के अशुभ प्रभाव से मानसिक रोग और अनिद्रा की समस्या हो सकती है। वहीं राहु से शुभ प्रभावों से व्यक्ति को गूढ़ विद्या और मायावी शक्तियों का अच्छा ज्ञान होता है।

राहु के गोचर का फल

वैदिक ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह कहा गया है। अन्य ग्रहों की भांति राहु को किसी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। यह वृषभ राशि में उच्च भाव में रहता है तथा वृश्चिक राशि में यह नीच भाव में रहता है। राहु शनि, शुक्र और बुध से मित्रवत भाव रखता है। वहीं सूर्य, चंद्रमा, मंगल और गुरु से राहु शत्रुता का भाव रखता है। गोचर का राहु तृतीय, षष्टम, दशम और एकादश भाव में शुभ फल देता है। वहीं द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, अष्टम, नवम और द्वादश भाव में राहु सामान्यतः अच्छे फल प्रदान नहीं करता है। आइये जानते हैं समस्त 12 भावों में राहु के गोचर का फल-

प्रथम भाव में राहु का गोचर: जब राहु प्रथम भाव से गोचर करता है तो व्यक्ति को अपमान या अचानक किसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा यहां स्थित राहु रोग और दुःख भी देता है।

द्वितीय भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर होने से व्यक्ति को आर्थिक, शारीरिक और सामाजिक मोर्चे पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इस समय में खर्चों में बढ़ोत्तरी और चोरी का भय बना रहता है। यहां स्थित गोचर का राहु जीवनसाथी के साथ समस्याए भी उत्पन्न करता है।

तृतीय भाव में राहु का गोचर: तृतीय भाव में राहु का गोचर शुभ माना गया है। इस समय में व्यक्ति प्रसन्न रहता है और उसके अंदर साहस की वृद्धि होती है। कार्यस्थल पर पदोन्नति के योग बनते हैं। भाई-बहन और अन्य रिश्तेदारों से संबंध मधुर रहते हैं।

चतुर्थ भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर अशुभ माना जाता है। क्योंकि यह समय में करियर, नौकरी, जमीन-जायदाद और माता की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है। राहु के प्रभाव से जॉब और प्रॉपर्टी समेत अन्य मामलों में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

पंचम भाव में राहु का गोचर: इस भाव में गोचर का राहु आय और व्यवसाय में शुभ फल प्रदान करता है लेकिन प्रेम संबंधों, बच्चों और सट्टेबाजी आदि कार्यों के लिए अच्छा नहीं होता है।

षष्टम भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर आर्थिक मामलों और सेहत के लिए अच्छा होता है। इस समय में व्यक्ति शत्रुओं पर हावी रहता है। वहीं नौकरी और व्यवसाय में लाभ की प्राप्ति होती है।

सप्तम भाव में राहु का गोचर: जब राहु सप्तम भाव में गोचर करता है तो यह समय वैवाहिक जीवन या जीवनसाथी से संबंधित मामलों के लिए अनुकूल नहीं होता है। इसके अतिरिक्त प्रियतम या सहकर्मी से समस्याएं होने की संभावना रहती है।

अष्टम भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर रहस्यमयी, मायावी, मनोविज्ञान और ज्योतिष विद्याओं से संंबंधित मामलों के लिए अच्छा रहता है। लेकिन वहीं शत्रु, कोर्ट-कचहरी और स्वास्थ्य से जुड़े मामलों के लिए अष्टम भाव में राहु का गोचर अच्छा नहीं माना जाता है। इस समय में अचानक कोई समस्या उत्पन्न हो सकती है।

नवम भाव में राहु का गोचर: जब राहु नवम भाव से गोचर करता है तो यह विदेश यात्रा, उच्च शिक्षा और आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ होता है लेकिन माता-पिता से जुड़े मामलों के लिए यह अच्छा नहीं माना जाता है।

दशम भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर करियर, नौकरी और सामाजिक प्रतिष्ठा से संबंधित मामलों के लिए अच्छा होता है। हालांकि यहां स्थित राहु अनिद्रा और चिंता का कारण भी बनता है।

एकादश भाव में राहु का गोचर: इस भाव में राहु का गोचर शुभ फल प्रदान करता है। इस समय में धन वृद्धि, प्रतिष्ठा, नौकरी और मित्रों से लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त होता है।

द्वादश भाव में राहु का गोचर: जब गोचर का राहु द्वादश भाव में स्थित होता है तो यह सामान्यतः अच्छे फल नहीं देता है। हालांकि इस दौरान विदेश यात्रा के अवसर मिलते हैं लेकिन वहीं धन और आर्थिक मामलों के लिए यह अच्छा नहीं होता है।

राहु के गोचर का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि राहु को अनिश्चितता का कारक कहा जाता है और इसकी प्रवृत्ति को समझना बड़ा मुश्किल है। राहु कब, कैसे और कहां व्यक्ति का भाग्य बदल दे, इसका आभास नहीं लगाया जा सकता है।

राहु के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति के अंदर झूठ बोलने और अनैतिक कार्य करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। वहीं इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति रहस्यमयी शक्तियों का विद्वान बन जाता है। यदि कुंडली में राहु पीड़ित है तो राहु ग्रह की शांति के उपाय अवश्य किये जाने चाहिए। राहु की शांति के लिए गोमेद रत्न, नागरमोथा की जड़ और राहु यंत्र आदि की स्थापना करनी चाहिए ताकि जीवन में शांति,समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।

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