अंक शास्त्र कैलकुलेटर – जानें अंक ज्योतिष से भविष्य
प्रत्येक व्यक्ति के मन में प्रश्न होता है - आख़िर कैसे जानें अंक ज्योतिष से भविष्य? इस प्रश्न का ही उत्तर है यह अंक शास्त्र कैलकुलेटर। अंक शास्त्र को हिंदी में अंक विज्ञान, अंक ज्योतिष और अंग्रेजी में न्यूमरोलॉजी के नाम से जाना जाता है.अंक शास्त्र एक विज्ञान है जो हमें भविष्य की जानकारी प्रदान करता है। अंक शास्त्र में जन्म की तारीख और नाम को आधार बनाकर व्यक्ति के व्यवसाय, मित्रों, उसके जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव तथा लाभ व हानि संबंधी ढेर सारी बातों की जानकारी हासिल की जा सकती है। यदि किसी व्यक्ति को अपने जन्म के समय की पूरी जानकारी नहीं है तब भी वह अंक शास्त्र कैलकुलेटर की मदद से अपने भविष्य का पता लगा सकता है। नीचे दिए गए फॉर्म में अपने विवरण भरकर अपने भविष्य संबंधी जानकारी हासिल करें–
क्या है अंक विज्ञान ?
अंक शास्त्र प्राचीन समय से चली आ रही एक विद्या है जिसके द्वारा अंकों की गणना कर भविष्य का पहले हीं पता लगाया जा सकता है। अंक शास्त्र को अंक विज्ञान और अंक ज्योतिष के नाम से भी जानते हैं। यह ज्योतिष शास्त्र जैसा ही पुराना और सही विज्ञान है। अगर देखा जाए तो अंक शास्त्र और ज्योतिष एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। ऐसे ही हस्तरेखा विज्ञान और अंक शास्त्र एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। भविष्य से जुड़ी किसी भी तरह की गणना करने के लिए पिछले कई सालों से अंक ज्योतिष ज्ञान का उपयोग किया जाता रहा है।
अंकशास्त्र को अंको का विज्ञान कहा जाता है। अगर देखा जाए तो हमारे सारे कार्य अंक के आधार पर हीं सम्पन्न होते हैं। वर्ष, महीना, तिथि, घण्टा, मिनट तथा सेकंड आदि जैसी जरूरत की चीज़ों को व्यक्त करने का माध्यम अंक ही है। कई बार ऐसा होता है जब किसी एक तिथि, दिन या माह में घटी घटना कुछ समय पश्चात् उसी तिथि, दिन, माह पर दोबारा घटित हो जाती हैं। यहाँ तक कि दोनों घटनाओं का समय और उन अंकों का योग भी पूरी तरह से एक ही होता है। उस घटना से जुड़े लोग, उनका नाम और नामांक भी एक हीं होता है। इसी तरह के अनुभव की वजह से हम अंक को शास्त्र , ज्योतिष और विज्ञान से जोड़ने लगते हैं।
अंक शास्त्र का इतिहास
अंक शास्त्र के बारे में विद्वानों का मानना है कि अंक शास्त्र की शुरुआत संस्कृत मूलाक्षरों से हुई है। अंक ज्योतिष विज्ञान प्राचीन वैदिक लोगों का विषय रहा है। इजिप्ट की जिप्सी जनजाति ने भी इस विद्या को विकसित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। रिसर्च के अनुसार यह पता चलता है कि अंक शास्त्र का इतिहास 10,000 पूर्व से भी पहले का रहा होगा, लेकिन इसकी कोई सही जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है। हम सभी जानते हैं कि हमारा कोई भी दिन अंकों के बिना नहीं बीतता है तो ज़ाहिर सी बात है कि अंक विज्ञान की शुरुआत काफी प्राचीन रही होगी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अंक विज्ञान
आधुनिक अंक ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के नाम को अंग्रेजी में लिखकर प्रत्येक अक्षर की गणना करके किसी भी नाम का नामांक प्राप्त किया जाता है। जन्म की तारीख, माह और वर्ष के अंकों को जोड़ कर भाग्यांक प्राप्त किया जाता है और जिसके बाद किसी भी व्यक्ति की भविष्यवाणी की जाती है। सौरमंडल में मौजूद नौ ग्रहों को आधार बनाकर अंक शास्त्र में गणना की जाती हैं। ज्योतिष के अनुसार सौरमंडल के ये नव ग्रह हैं सूर्य , चन्द्र , गुरू , राहु , बुध , शुक्र , केतु , शनि और मंगल जिनकी विशेषताओं को भी गणना करते समय ध्यान में रखा जाता है।
ज्योतिष के अनुसार सौरमंडल की शक्ति 1 से लेकर 9 तक हमारे सारे अंकों को नियंत्रित करती है और इसीलिए हम पर इनका सीधा असर होता है। अंक शास्त्र में हमारे भविष्य से जुड़ी सभी गणनाएं मूलांक (जन्म तारीख के अंको का जोड़) के द्वारा होती है। शास्त्रों में हर मूलांक की अपनी खासियत होती और सबका अपना एक स्वामी ग्रह होता है। मूलांक व्यक्ति का गुण, स्वभाव, स्वास्थ्य आदि के विषय में बताता है। सभी मूलांक के जातक व्यवहार और शारीरिक संरचना में एक दूसरे से काफ़ी भिन्न होते है।
अंक शास्त्र का लाभ
ज्योतिष शास्त्र में की गई गणना अंक शास्त्र की तुलना में ज्यादा कठिन होती हैं। अंक शास्त्र का उपयोग केवल ज्योतिष शास्त्र में हीं नहीं बल्कि वास्तु शास्त्र में भी किया जाता है। अंक का महत्व और उपयोग आपको फेंगसुई एवं वास्तु में भी जगह-जगह पर देखने को मिल जाएगा जैसे घर या ऑफिस की सीढ़ियों और दरवाजों आदि का शुभ या अशुभ होना उनकी संख्या पर निर्भर करता है। भविष्य की जानकारी के अलावा अंक ज्योतिष से विवाह या शुभ कामों में भी काफ़ी मदद और लाभ मिलते हैं।
अंक ज्योतिष में हर ग्रह के लिए 1 से लेकर 9 तक एक-एक अंक निर्धारित किए गए हैं और यह नौ ग्रह उससे जुड़ा हुआ अंक मनुष्य के जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार किसी व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति उस व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्धारित करती है। इसलिए, जन्म के बाद उस व्यक्ति पर उसी अंक का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है, जो कि व्यक्ति के स्वामी ग्रह का अंक होता है। अंक ज्योतिष से विवाह का भी गहरा संबंध है। गुण मिलान के समय यदि किसी एक व्यक्ति का अंक दूसरे व्यक्ति के अंक से मिल जाता है तो भविष्य में दोनों लोगों के बीच एक अच्छे संबंध की कल्पना की जाती है।
कैसे निकालते हैं नामांक
अंक ज्योतिष ज्ञान आपके जन्म दिनांक और नाम इन दोनों का मूलांक निकालकर व्यवसाय, प्रेम, विवाह आदि जैसी इच्छित विषयों के सम्बन्ध में आपके शुभ-अशुभ फल की जानकारी प्रदान करता है।
नामांक निकलने के लिए किसी नाम के नंबर को लिख कर उन्हें जोड़ें, जैसे किसी व्यक्ति का नाम यदि RAHUL है तो आप इस प्रकार नामांक निकल सकते हैं। 9 + 1 + 8 + 3 + 3 = 24 , 2+4 = 6 इस प्रकार RAHUL नाम के व्यक्ति का नामांक 6 है.
कैसे निकालते हैं मूलांक
किसी भी व्यक्ति की जन्मतिथि का जोड़ मूलांक कहलाता है जैसे 6, 15, 24 तारीखों को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 6 होगा।
कैसे निकालते हैं भाग्यांक
भाग्यांक निकालने के लिए किसी व्यक्ति की जन्मतिथि को जोड़े जैसे किसी व्यक्ति की जन्मतिथि 16/03/2018 है, तो आप इस प्रकार भाग्यांक निकाल सकते हैं। 1 +6 +0 +3 +2 +0 +1 +8 = 21, 2+1 = 3. इस प्रकार 16/03/2018 को जन्में व्यक्ति का भाग्यांक 3 होगा.
नामांक के अनुसार व्यक्ति का स्वभाव
अंक शास्त्र में मुख्य अंक 0 से 9 तक होते हैं, 0 से लेकर 9 तक के अंकों द्वारा अन्य सभी संख्याओं का निर्माण होता है। इन्हीं 9 अंकों द्वारा पूरे विश्व का चक्र चलता है। प्रकृति की बात करें तो ये सभी नौ अंक एक दूसरे से बहुत अलग हैं। प्रत्येक अंक का मानव जीवन पर एक विशेष प्रभाव् होता है। शास्त्रों के अनुसार हमारे जीवन की हर घटना में अंकों का हस्तक्षेप होता है जिसकी वजह से हमारे जीवन का हर पहलू प्रभावित होता है।