मूंगा रत्न - Moonga Stone

मूंगा रत्न जिसे अंग्रेजी में कोरल कहा जाता है। यह समुद्र की गहराई में वनस्पति के रूप में पाया जाता है। समुद्र में मूंगा का निर्माण एक विशेष प्रकार के जन्तुओं द्वारा किया जाता है। इस वनस्पति की लंबाई 2 से 3 फीट और चौड़ाई करीब 0.5 से 1 इंच होती है। इन वनस्पति को समुद्र से निकालने और तराशने के बाद कोरल यानि मूंगा रत्न का निर्माण किया जाता है। मूंगा को मंगल ग्रह का रत्न कहा जाता है। मूंगा दूसरे रत्नों की तरह रसायनिक पदार्थों से मिलकर नहीं बना है बल्कि यह एक वनस्पति है इसलिए इसका अध्ययन वनस्पति विज्ञान में किया जाता है। यह पानी से बाहर आने के बाद हवा के संपर्क में आने से कठोर हो जाता है। मूंगा लाल रंग के अलावा अन्य रंग में भी मिलता है।
मूंगा रत्न के फायदे
मूंगा रत्न को ऊर्जा प्रदान करने और कार्यों को पूर्ण करने के लिए जाना जाता है। मूंगा धारण करने से कई फायदे होते हैं, कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
- मूंगा रत्न खून, अस्थि मज्जा और सिर से संबंधित बीमारियों से रक्षा करता है। कुछ रोग जैसे- पाइल्स, अल्सर यानि फोड़े आदि होने पर मूंगा रत्न पहना जा सकता है।
- यह रत्न शारीरिक शक्ति बढ़ाने और हड्डियों को मजबूत बनाने में भी सक्षम होता है।
- मूंगा सांप और बिच्छू के विष के प्रभाव को कम करता है या सर्पदंश और बिच्छू के डंक से रक्षा करता है।
- वे लोग जो जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। मूंगा के प्रभाव से उन्हें धैर्य और साहस मिलता है।
- लाल मूंगा धारण करने से जीवन में आने वाले मुश्किल हालात का आत्म सम्मान और दृंढ इच्छाशक्ति के साथ सामना करने का बल प्राप्त होता है।
- ऐसा माना जाता है कि यदि गर्भवती महिला मूंगा रत्न पहनती हैं तो गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों में गर्भपात की संभावना कम हो जाती है।
- वे बच्चे जो कुपोषण से पीड़ित हैं उनके लिए लाल मूंगा रत्न पहनना लाभकारी होता है।
- मूंगा आपके अंदर नेतृत्व क्षमता का विकास करता है और आप जीवन की चुनौतियों से लड़ने में सक्षम बनते हैं।
मूंगा रत्न के नुकसान
रेड कोरल यानि लाल मूंगा रत्न मंगल ग्रह के लिए पहना जाता है। यदि कुंडली में मंगल ग्रह शुभ स्थिति में है तो उसके प्रभाव को और बढ़ाने के लिए अथवा मंगल के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए मूंगा धारण किया जाता है। हालांकि मूंगा को पहनने के कुछ नुकसान भी होते हैं। यदि किसी विद्वान ज्योतिष की सलाह के बिना यह रत्न पहना जाता है तो, इसके नकारात्मक असर भी हो सकते हैं। इनमें कुछ गलत प्रभाव इस प्रकार हैं:
- बिना सलाह के मूंगा रत्न धारण करने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।
- इनमें रक्त संबंधी विकार होने की संभावना बनी रहती है।
- वैवाहिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
- लोगों के प्रति व्यवहार में कड़वाहट आती है।
- आपका स्वभाव में क्रोध बढ़ सकता है।
- आप अतिआत्मविश्वास के शिकार हो सकते हैं।
कितने रत्ती यानि वज़न का पन्ना रत्न धारण करना चाहिए?
मूंगा रत्न 5 से लेकर 9 कैरेट तक का पहना जा सकता है। मूंगा को सोने या तांबे की अंगूठी में डालकर धारण किया जाना चाहिए। क्योंकि सोना और तांबा मंगल ग्रह से संबंधित धातु हैं। मंगलवार का दिन मंगल ग्रह की उपासना के लिए सबसे शुभ माना जाता है इसलिए मूंगा रत्न को मंगलवार के दिन धारण करना चाहिए। इस रत्न को पहनने के बाद यह 9 दिन के अंदर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है और इसका प्रभाव 3 साल तक रहता है। इसके बाद मूंगा रत्न का प्रभाव खत्म हो जाता है और इसे बदलने की आवश्यकता होती है। बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए जापानी और इटालियन लाल मूंगा धारण करना चाहिए। हालांकि मूंगा रत्न धारण करने से पहले किसी ज्योतिषाचार्य की सलाह जरूर लें।
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ज्योतिषीय विश्लेषण- विभिन्न राशियों पर मूंगा रत्न का प्रभाव
वे व्यक्ति जिनकी जन्म कुंडली में मंगल ग्रह किसी शुभ भाव में स्थित है, तो उसके शुभ प्रभाव को और बढ़ाने के लिए मूंगा रत्न धारण किया जाता है। ये रत्न वे लोग भी पहन सकते हैं जो जीवन में तनाव का सामना कर रहे हैं। हालांकि मूंगा को धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें वरना इस रत्न के दुष्प्रभाव भी सामने आ सकते हैं।
जानें अपनी राशि के अनुसार अपना भाग्य रत्न: रत्न सुझाव
मेष: इस राशि के जातक मूंगा रत्न को धारण कर सकते हैं।
वृषभ: इस राशि के लोगों को मूंगा नहीं पहनना चाहिए।
मिथुन: इस राशि के जातकों को भी कोरल धारण नहीं करना चाहिए।
कर्क: इस राशि के जातक मूंगा रत्न पहन सकते हैं।
सिंह: इस राशि के जातकों को मूंगा रत्न पहनना चाहिए। क्योंकि इनके लिए मंगल ग्रह योग कारक है।
कन्या: इस राशि के जातकों को भी कोरल धारण नहीं करना चाहिए।
तुला: इस राशि के जातकों को मूंगा रत्न नहीं पहनना चाहिए।
वृश्चिक: इस राशि के लोग कुछ विशेष परिस्थितियों में मूंगा पहन सकते हैं।
धनु: इस राशि के वे जातक जो उच्च रक्त चाप की समस्या से पीड़ित हैं, वे लोग ही मूंगा पहन सकते हैं अन्यथा इस रत्न को नहीं पहनें।
मकर: इस राशि के जातकों को मूंगा रत्न नहीं पहनना चाहिए।
कुंभ: इस राशि के जातक विशेष परिस्थितियों में मूंगा रत्न धारण कर सकते हैं।
मीन: इस राशि के जातक भी मूंगा रत्न पहन सकते हैं।
(सूचना: हम सभी पाठकों को यह सुझाव देते हैं कि कोई भी रत्न पहनने से पहले एक बार ज्योतिषी परामर्श अवश्य लें।)
मूंगा रत्न की तकनीकी संरचना
मूंगा रत्न समुद्र की गहराई में पाये जाते हैं। यह मुख्य रूप से कैल्शियम कार्बोनेट है जिसका रासायनिकसूत्र (CaCO3) है। मोह्स स्कैल पर इसकी कठोरता 3.5 से 4 है। मूंगा का विशेष घनत्व 2.65 है और अपर्वतक सूचकांक में इसकी सीमा 1.486 से 1.658 के बीच होती है। मूंगा की खास विशेषता इसका लाल रंग है, जिसका इस्तेमाल आभूषणों में किया जाता है। सबसे बेहतर क्वालिटी के लाल मूंगा रत्न श्रीलंका में पाए जाते हैं। इनकी पूरे विश्व में बहुत मांग रहती है। इसके अलावा मूंगा ब्राज़ील, अमेरिका और भारत समेत कई देशों में भी पाया जाता है।
मूंगा धारण करने की विधि
लाल मूंगा रत्न को सोने या तांबे की धातु में धारण करना बहुत अच्छा होता है। इस रत्न का वज़न 6 कैरेट से कम नहीं होना चाहिए। मूंगा को धारण करने की विधि इस प्रकार है:
- मूंगा रत्न को गाय के दूध या गंगाजल में पूरी रात डूबाकर रखें। ऐसा करने से रत्न की सारी अशुद्धियां दूर हो जाएंगी।
- इस रत्न को मंगलवार के दिन धारण करें। क्योंकि यह दिन मूंगा धारण करने के लिए सबसे शुभ होता है।
- लाल रंग के आसन पर बैठें और मूंगा रत्न जड़ित अंगूठी लाल कपड़े पर रखें। इस कपड़े पर कुछ पुष्प भी रखें और अगरबत्ती जलाएं।
- इसके बाद ‘’ऊँ भौं भौमाय नम:’’ मंत्र का 108 बार जाप करें और फिर इस अंगूठी को दायें हाथ की अनामिका अंगुली में धारण कर लें।
मूंगा रत्न से अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए इस अंगूठी को नियमित रूप से साफ करते रहें।
असली मूंगा रत्न की पहचान कैसे करें?
लाल मूंगा रत्न दिखने में बेहद मनोहर और टिकाऊ होता है। यह रत्न मानव सुमदाय को समुद्र से प्राप्त होने वाला एक अनुपम उपहार है। इस रत्न की बनावट एक समान और इसकी सतह पर कोई दोष नहीं होता है। असली लाल मूंगा रत्न की पहचान करने के लिए आप ये तरीके अपना सकते हैं।
- मिल्क टेस्ट- दूध से भरे आधे ग्लास में मूंगा रत्न को डालें। कुछ देर बाद आप देखेंगे कि दूध का रंग सफेद से लाल दिखाई देने लगेगा। इसकी वजह है रत्न से निकलने वाली विकिरण, जो दूध द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। हालांकि मूंगा निकालने पर दूध का रंग सफेद ही रहेगा।
- रबिंग टेस्ट- मूंगा को शीशे पर रगड़ें। इस दौरान आप अगर तेज आवाज़ को महसूस करते हैं तो समझ लीजिए यह नकली रत्न है। क्योंकि असली मूंगा को शीशे से रगड़ने पर कोई आवाज़ नहीं आती है।
- मैग्नीफाइनिंग ग्लास टेस्ट- मूंगा रत्न को एक सफेद कपड़े पर रखें और उस पर रोशनी डालें। इसके बाद आवर्धक लेंस (मेग्नीफाइनिंग ग्लास) की मदद से रत्न की जांच करें, इस दौरान आपको मूंगा रत्न की सतह एक समान और साफ नज़र आएगी। वहीं नकली रत्न पर छोटे-छोटे दाने दिखेंगे।
- हल्दी के साथ परीक्षण- मूंगा रत्न को हल्दी की गांठ पर रगड़ें। यदि रत्न असली हुआ तो हल्दी का रंग लाल हो जाएगा। वहीं रत्न नकली होने पर हल्दी के रंग में कोई बदलाव नहीं होगा।
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