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यंत्र कैलकुलेटर – जानें कुंडली के अनुसार उपयोगी यन्त्र

यंत्र कैलकुलेटर एक ऐसा कैलकुलेटर है जो व्यक्ति को यह बतलाता है कि उसकी कुंडली के अनुसार कौन-सा ग्रह शुभ नहीं है और उसकी शांति के लिए उसे किस यंत्र का प्रयोग करना चाहिए। प्रत्येक ग्रह के लिए एक अलग यंत्र होता है। तो यदि आप भी जानना चाहते है कि आपकी राशि व जन्म कुंडली के अनुसार आपको किस यंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए तो नीचे दिए गए फॉर्म में अपनी जानकारी भरे–

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यंत्र क्या है ?

यंत्र ग्रहों की शान्ति में उपाय के तौर पर भी प्रयुक्त होते हैं कुंडली में विभिन्‍न ग्रहों के दोष को शांत करने में यंत्र अत्‍यंत लाभकारी है। यंत्र एक प्रकार से ऊर्जा का स्रोत होते हैं जिनमें किसी न किसी ग्रह की ऊर्जा समाहित होती है। यंत्र का इस्तेमाल करने से जातक को उससे जुड़े ग्रह का आशीर्वाद मिलता है। यंत्र ग्रहों के बुरे प्रभावों को दूर करता है। यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह अशुभ फल दे रहा है तो आपको यंत्र की पूजा करनी चाहिए। यंत्र की पूजा से जीवन में सकारात्‍मकता आती है और धन-समृद्धि एवं प्रसन्‍नता में बढ़ोत्‍तरी होती है।

यंत्र परमात्‍मा की छुपी हुई शक्‍ति को प्रदर्शित करता है इसलिए इसे पूजा वाले स्थान पर ही रखना चाहिए। साथ ही यंत्र की स्‍थापना करने से पहले इसका विधिपूर्वक पूजन करना जरूरी है।

क्यों करते हैं यंत्रो का प्रयोग ?

यंत्रों का इस्तेमाल किसी भी कुंडली विशेष में शुभ या अशुभ तरीके से कार्य कर रहे ग्रहों से लाभ पाने के लिए किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार यंत्रो के इस्तेमाल से अशुभ ग्रहों के अशुभ फलों दूर होते हैं। किसी ग्रह के दोष को कम करने के लिए उससे जुड़े हुए यंत्र द्वारा निकलने वाली विशेष उर्जा का प्रयोग किया जाता है।

किसी भी जातक की कुंडली में हर ग्रह की अपनी एक अलग भूमिका होती है, कोई ग्रह व्यक्ति को अच्छे फल देता है तो कोई बुरा फल देता है। जब ग्रह बुरे भाव में स्थित होता है तो ऐसी स्थिति में जातक को संबंधित ग्रह का यंत्र धारण करने की सलाह दी जाती है।

किसी भी व्यक्ति की कुंडली के अशुभ ग्रहों से लाभ पाने के लिए यंत्र आदि का प्रयोग बहुत ही सावधानी से करना चाहिए जिससे कि ये अशुभ ग्रह जातक को किसी प्रकार की हानि न पहुंचा दें या फिर कुंडली में शुभ, अशुभ या मिश्रित रूप से कार्य कर रहे दुसरे किसी ग्रह की कार्यशैली पर इनका विपरीत रूप से प्रभाव न पड़े।

कैसे कार्य करते हैं ये यंत्र ?

जिस प्रकार यंत्रो का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए वैसे ही इन यंत्रो को बनाते समय भी काफी सावधानी बरती जाती है क्यूंकि एक छोटी चूक से ग्रह विपरीत रूप से कार्य करने लग सकते हैं। किसी भी यंत्र को बनाने में इस्तेमाल होने वाली प्रक्रियाओं में से सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है यंत्र को उर्जा प्रदान करने वाली प्रक्रिया। इस प्रक्रिया में विशेष विधियों द्वारा यंत्र को उसके ग्रह विशेष के मंत्रों की शक्ति से उर्जा प्रदान की जाती है। जैसे सूर्य यंत्र को ऊर्जा देने के लिए सूर्य मंत्र का, चन्द्र यंत्र के लिए चन्द्र मंत्र इस्तेमाल करते हैं। उसी प्रकार अन्य सभी तरह के यंत्रो को उर्जा प्रदान करने के लिए उनसे संबंधित ग्रह के मंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है।

वैदिक काल के ज्योतिषी प्रत्येक ग्रह के साथ उसके यंत्र और मंत्र की सहायता से संबंध स्थापित करते थे। इसका अर्थ यह निकलता है कि वैदिक काल के ॠषि तथा ज्योतिषी भी यह मानते थे कि किसी भी ग्रह का लाभ जातक की कुंडली के अनुसार ही यंत्र अथवा मंत्र के माध्यम से प्राप्त करना चाहिए।

कैसे करे यंत्र का प्रयोग?

किसी भी व्यक्ति की कुंडली में हर ग्रह की अलग भूमिका होती है, कोई बुरे तो कोई अच्छे फल देने वाला होता है। इसीलिए यंत्रों का इस्तेमाल भी बहुत ही सावधानी से करना चाहिए।

यंत्र नौ खानों की आकृति है, जिसमें सभी नौ खानों में प्रत्येक ग्रह के लिए कुछ अंक निर्धारित किए गए हैं।

आप इन यंत्रों को लॉकेट के रुप में गले में धारण कर सकते हैं जैसे गुरु, सूर्य और बुध के यंत्र को सोने में बनवाकर आप लॉकेट के रुप में धारण कर सकते हैं। चंद्रमा के यंत्र को चाँदी में डाल कर पहन सकते हैं। राहु, केतु और मंगल के यंत्र को ताँबे में धारण किया जा सकता है और शनि के यंत्र को स्टील में धारण कर सकते हैं।

आपमें से कई लोग इस यंत्र को गले में लॉकेट की तरह पहनना पसंद नहीं करते ऐसे लोगों के लिए यह बेहतर होगा कि वो इस यंत्र को घर में किसी पवित्र स्थान पर रखें और सुबह शाम उसकी पूजा करें।

यदि कोई व्यक्ति यंत्र को लॉकेट के रुप में पहनना चाहता है, लेकिन वह लॉकेट खरीदने में सामर्थ्य नहीं है तो वह एक सादा कागज ले और उसपर मनचाहे ग्रह का यंत्र बना ले और उसकी पुड़िया बनाकर ताबीज की तरह की तरह दाएँ बाजू में पहन ले।

लेकिन यदि आप बुध का यंत्र कागज पर बना रहे हैं तो ध्यान रहे की कागज की पुड़िया को हरे रंग के वस्त्र में सिलकर उसे दाएँ बाजू में बाँध ले। इसी प्रकार सूर्य के यंत्र के लिए नारंगी वस्त्र ले, चंद्रमा के लिए श्वेत रंग, मंगल के लिए लाल रंग, गुरु के लिए पीला रंग, शुक्र के लिए सफेद रंग, राहु के लिए काला या नीला रंग, केतु के लिए धूम्र वर्ण रंग तथा शनि के लिए काला अथवा नीला रंग का वस्त्र ले सकते हैं।

रंग के साथ-साथ किसी ग्रह के यंत्र को सही दिन पर ग्रह करना भी बेहद जरूरी होता है। इससे यंत्र से मिलने वाला फल दोगुना हो जाता है। इसीलिए सूर्य का यंत्र रविवार के दिन, चंद्रमा का सोमवार के दिन, मंगल का मंगलवार के दिन, बुध का बुधवार के दिन, गुरु का बृहस्पतिवार के दिन, शुक्र का शुक्रवार के दिन, शनि का शनिवार के दिन, राहु का शनिवार के दिन तथा केतु का मंगलवार के दिन ग्रहण करना चाहिए। यदि आप बना बनाया यंत्र बाजार से लाते हैं तब भी उनकी पूजा दिए गए वार से ही आरंभ करें।

एस्ट्रोसेज पर क्या है खास

एस्ट्रोसेज का यह यंत्र कैलकुलेटर आपकी राशि के अनुसार सही यंत्र की आपकी तलाश को पूरी करता है और आपको जगह-जगह ज्योतिष आदि के झंझटों से छुटकारा दिलाता है। इस कैलकुलेटर की मदद से आप अपने यंत्र की जानकारी हासिल कर सकते हैं। एस्ट्रोसेज पर न केवल आप यंत्र के बारे में जान सकते हैं बल्कि हमारी वेबसाइट पर यंत्रों, रत्नों और रुद्राक्षों का विशाल संग्रह है जहाँ से आप अपने ग्रह के अनुसार यंत्र का चुनाव कर सकते हैं। एस्ट्रोसेज पर मिलने वाले यंत्र सिद्ध किये हुए होते हैं और आपको यंत्र के साथ-साथ इसे स्थापित करने की सलाह भी दी जाती है।

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