बृहस्पति मेष राशि में वक्री (04 सितंबर)
बृहस्पति मेष राशि में वक्री: बृहस्पति 4 सितंबर की शाम 4 बजकर 58 मिनट पर मेष राशि में वक्री होंगे। इसके बाद बृहस्पति इस साल के अंत में 31 दिसंबर को मार्गी हो जाएंगे। बृहस्पति के वक्री अवस्था का प्रभाव सभी 12 राशियों पर सकारात्मक व नकारात्मक रूप से पड़ेगा जो कि कुंडली में बृहस्पति की स्थिति पर निर्भर करेगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सभी 12 राशियों पर इसके प्रभाव के बारे में लेकिन इससे पहले जान लेते हैं ज्योतिष में बृहस्पति के महत्व के बारे में।
बृहस्पति मेष राशि में वक्री: बृहस्पति और इसका महत्व
हमारे सौर मंडल में बृहस्पति यानी गुरु सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण ग्रह है। वैदिक ज्योतिष में इसे शुभ ग्रह माना गया है और यह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। बृहस्पति ज्ञान, बुद्धि, धर्म, अध्यात्म प्रगति, शिक्षा, संतान, पति, समृद्धि, धर्म, आध्यात्मिक प्रगति, शिक्षक आदि के कारक हैं। यह शरीर में वसा की मात्रा और लीवर के कार्य को नियंत्रित करता है।
खगोलीय दृष्टि से, किसी भी ग्रह के वक्री होने का अर्थ है उल्टा चलता हुआ प्रतीत होना। ग्रह चलते तो सीधे हैं, लेकिन सूर्य से एक विशेष दूरी पर आने पर वह विपरीत दिशा में चलते दिखाई देते हैं। वो बस पृथ्वी की स्थिति और इनके सूर्य के चारों ओर घूमने की वजह से ऐसा प्रतीत होता है। लेकिन वैदिक ज्योतिष में इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। वक्री स्थिति में ग्रह को बहुत शक्तिशाली और अपने मार्ग से भटका हुआ माना जाता है।
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वक्री ग्रह आपको अपने कर्तव्य पूरे करने या पहले की गई अपनी गलतियों को सुधारने का दूसरा मौका देता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपने कर्तव्यों को समझ नहीं पाता है और अपनी गलतियों को ठीक नहीं करता है, तो फिर वक्री ग्रह उसके जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं। वक्री बृहस्पति आपको आपके कर्मों के अनुसार अच्छा या बुरा फल देते हैं।
मेष राशि में वक्री बृहस्पति का प्रभाव
राशिचक्र की 12 राशियों में से मेष प्रथम राशि है और इसके स्वामी मंगल ग्रह हैं। यह अग्नि तत्व की राशि है और इसकी पुरुष प्रकृति है। यदि किसी जातक का मंगल अच्छा हो तो वह स्वभाव से निडर और साहसी होता है। मंगल और बृहस्पति के बीच मैत्री संबंध है इसलिए मेष राशि में गुरु के वक्री होने से ज्यादातर लोगों को लाभ होगा और जातक अपने नैतिक और धार्मिक कर्तव्यों को पूरा कर पाएंगे। साथ ही, अपने जीवन को बदलने के लिए प्रयासरत रहेंगे। वहीं मेष राशि में राहु-गुरु की युति से बनने वाले चांडाल योग की वजह से जातकों को अब तक जो शुभ परिणाम नहीं मिल पा रहे थे, वे इस दौरान मिलेंगे। इस अवधि में जातक के ज्ञान में वृद्धि होगी। साथ ही, वे अपने जीवन को बदलने के लिए प्रयासरत रहेंगे। गुरु, शिक्षक, उपदेशक, प्रशिक्षक और राजनेता पूरी ऊर्जा के साथ अपने छात्रों और अनुयायियों का मार्गदर्शन करेंगे और उन्हें प्रोत्साहित करेंगे। कई देशों की सेना और सशस्त्र बल में वृद्धि होगी। इस समय आपका नकारात्मक पहलू सामने आ सकता है।तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बृहस्पति मेष राशि में वक्री का सभी 12 राशियों में प्रभाव।
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यह राशिफल आपकी चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी व्यक्तिगत चन्द्र राशि अभी जानने के लिए चंद्र राशि कैलकुलेटर का उपयोग करें।
बृहस्पति मेष राशि में वक्री: राशि अनुसार राशिफल और उपाय
मेष राशि
गुरु आपके नवम और बारहवें भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके लग्न भाव में होंगे। गुरु के लग्न में वक्री होने पर आपको उलझन महसूस हो सकती है। आपको अपने ही निर्णयों पर शंका होने की भी संभावना है। आप अपनी सेहत पर ध्यान देना शुरू करेंगे। पिता के साथ आपकी अनबन होने की आशंका है। यदि आपके पिता की कोई बीमारी ठीक हो गई थी, तो बृहस्पति मेष राशि में वक्री काल के दौरान वह रोग उन्हें दोबारा परेशान कर सकता है।
इस अवधि धन हानि या दवाओं पर बेवजह का खर्चा होने की संभावना है। इस दौरान आपको पिता, गुरु, धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाने का अवसर प्राप्त होगा। आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी और आप धार्मिक यात्रा पर जाने की योजना बना सकते हैं। यह अवधि आपको अपनी शिक्षा या उच्च शिक्षा के बारे में सोचने का एक और मौका देगी और आप इस संबंध में कोई निर्णय भी ले सकते हैं। यह समय विदेश जाकर पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए विशेष होगा। शादीशुदा लोगों को अपने वैवाहिक जीवन में की गई गलतियों और परेशानियों को समझने की जरूरत है। आप अपने आर्थिक नुकसान और खर्चों के बारे में भी सोच-विचार कर सकते हैं।
उपाय: रोज अपने पिता और गुरु का आर्शीवाद लें।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए बृहस्पति नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके बारहवें भाव में वक्री होंगे। गुरु ग्रह का आपके लग्न के स्वामी शुक्र के साथ शत्रुता का संबंध है और गुरु आपके बारहवें भाव में वक्री हो रहे हैं इसलिए वृषभ राशि के जातकों के बृहस्पति मेष राशि में वक्री अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है। यह वक्री आपको लीवर विकारों, मधुमेह या महिलाओं में हार्मोन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। ऐसे में, अपनी सेहत के प्रति सतर्क रहें। आप अपने आर्थिक निर्णयों, पहले किए गए निवेश और भौतिक इच्छाओं के बारे में भी दोबारा सोच-विचार कर सकते हैं।
बृहस्पति मेष राशि में वक्री काल के दौरान आप अपने सामाजिक दायरों के साथ पेशेवर जीवन के नेटवर्क/संबंधों की पुन: जांच करेंगे या फिर नजर बनाएं रखेंगे। आप इस बात को समझ पाएंगे कि कौन आपके अपने हैं और कौन आपके शत्रु। पारिवारिक जीवन में की गई गलतियों पर भी आपका ध्यान जाएगा। यदि आप अपने लिए नया घर खरीदने या बनवाने की सोच रहे हैं, तो फिलहाल अपने निर्णय पर दोबारा विचार करें। इसके अलावा रहस्यमयी विज्ञान या रिसर्च कार्य में लगे जातकों के लिए यह वक्री फलदायी साबित होगा। इस समय आप कुछ ऐसा सीख सकते हैं, जो शायद आपसे पहले छूट गया था।
उपाय: गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल अर्पित कर प्रार्थना करें।
मिथुन राशि
बृहस्पति मिथुन राशि वालों के लिए सातवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके ग्यारहवें भाव में होंगे। यह समय साझेदारी में व्यापार कर रहे जातकों के लिए बहुत मुश्किल भरा साबित हो सकता है। इस समय निवेश या मुनाफे को लेकर आपके अपने पार्टनर के साथ मतभेद होने की आशंका है। कार्यक्षेत्र में किसी अन्य व्यक्ति की वजह से भी आप दोनों के बीच गलतफहमियां पैदा होने की संभावना है। बेहतर होगा कि आप इस मामले में सतर्क रहें क्योंकि यह मतभेद आपको आगे चलकर मुसीबत खड़ी कर सकता है।
नौकरीपेशा जातक मनचाही पदोन्नति या वेतन वृद्धि के लिए बात कर सकते हैं। इस दिशा में आपको जरूर सफलता मिलेगी। बृहस्पति मेष वक्री काल के दौरान आपको अपनी शिक्षा या उच्च शिक्षा और वैवाहिक निर्णय पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर सकता है। शादीशुदा लोग अपने वैवाहिक जीवन में की गई गलतियों और परेशानियों पर ध्यान देंगे। इस समय आपको यह सोचना होगा कि आपके जीवन मकसद क्या है? यदि आप अपने परिवार और नैतिक मूल्यों का सम्मान नहीं कर रहे हैं और भौतिक सुखों के पीछे भाग रहे हैं, तो सही मार्ग चुनने का यही उचित समय है।
उपाय: गुरुवार के दिन गायों को चना दाल और गुड़ के साथ आटे की लोई खिलाएं।
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कर्क राशि
कर्क राशि वालों के लिए बृहस्पति छठे और नौवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके दसवें भाव में हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप आपके पेशेवर जीवन में बदलाव आने की संभावना है। यदि आप नौकरी बदलने का विचार बना रहे हैं तो यह समय अत्यधिक शुभ है। इस दौरान आपको अपने कार्यक्षेत्र में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिस वजह से आप नौकरी बदलने के बारे में सोच सकते हैं। आपकी अपने पिता के साथ भी अनबन होने की संभावना है। उन्हें कोई पुरानी बीमारी या स्वास्थ्य समस्या भी होने का खतरा है। इसलिए आपको सतर्क रहने की जरूरत है।
इस बात का ध्यान रखें कि बृहस्पति का मेष राशि में वक्री आपको अपने पिता, गुरु और धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का अवसर देगा। अगर आपकी कोई मनोकामना पूरी हुई है, तो अब ईश्वर का धन्यवाद करने का समय है।
यदि आप किसी कानूनी मामले में फंसे हुए हैं या आप पर कोई आरोप लगा हुआ है तो इस अवधि में आपकी समस्या और अधिक बढ़ सकती है। आपकी समस्या के समधान में देरी होने की आशंका है। दीर्घकालिक बीमारी जैसे कि लीवर, सिरोसिस या मधुमेह या हार्मोनल विकार से ग्रस्त हैं, तो आपको अपनी सेहत पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है।
उपाय: नियमित रूप से भगवान शिव की आराधना करें।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए बृहस्पति पांचवें और आठवें भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके पिता, गुरु, प्रशिक्षक या धर्म के भाव यानी नौवें भाव में होंगे। इसके परिणामस्वरूप आपके पिता के साथ आपके संबंध खराब हो सकते हैं। पिता के साथ अनबन या मतभेद होने की आशंका है। हो सकता है कि पिता की कोई पुरानी बीमारी जो ठीक हो गई थी, वह फिर से उभर जाए। बेहतर होगा कि आप उनकी सेहत के लेकर सतर्क रहें। इस बात का ध्यान रखें कि बृहस्पति की यह स्थिति आपको अपने पिता, गुरु या प्रशिक्षक के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का एक अवसर दे रही है। ईश्वर से कुछ मांगा था और अब वह कामना पूरी हो गई है, तो अब आप ईश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं।
सिंह राशि के जो जातक संतान की चाहत रखते हैं या संतान प्राप्ति में कोई बाधा आ रही है, तो अब आपको उस समस्या का पता भी चल जाएगा और उसका समाधान भी मिल जाएगा। इस बात की भी प्रबल संभावना है कि आपको अच्छे और अनुभवी डॉक्टरों का साथ मिल जाए। जो सिंह राशि के जातक अपने प्रेम संबंध को लेकर गंभीर और जिम्मेदार नहीं हैं, उनके लिए यह समय मुश्किल साबित होगा। आपका रिश्ता टूटने की कगार पर आ सकता है। हालांकि, जो लोग अपने रिश्ते को लेकर गंभीर हैं, वो विवाह का प्रस्ताव रख सकते हैं। सिंह राशि के छात्रों को अपनी शिक्षा और इससे जुड़े निर्णयों के बारे में पुन: विचार करने का मौका मिलेगा। रहस्यमयी विज्ञान या अध्ययन कार्य में लगे छात्रों के लिए यह वक्री लाभकारी सिद्ध होगा। इस समय आपको कुछ नया सीखने का अवसर भी मिलेगा।
उपाय: जरूरतमंद या गरीब छात्रों की पढ़ाई के लिए दान दें।
कन्या राशि
बृहस्पति कन्या राशि के चौथे और सातवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके आठवें भाव में होंगे और ऐसे में, यह अवधि आपके लिए शुभ प्रतीत नहीं हो रही है। आपको अपने निजी जीवन, वैवाहिक जीवन और पारिवारिक खुशियों पर ध्यान देने की जरूरत है। यदि आप ऐसा करने में विफल होते हैं, तो आपको इन क्षेत्रों में अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप इस वर्ष विवाह के बंधन में बंधने की सोच रहे हैं, तो आपको अपने निर्णय पर दोबारा सोच-विचार करना चाहिए। वहीं यदि आप शादीशुदा हैं तो अपने वैवाहिक जीवन में होने वाली गलतियों पर विचार करें।
आपको अपनी मां की सेहत को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी जाती है और उनके साथ किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचें और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने का प्रयास करें। बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके पारिवारिक जीवन में अपनी गलतियों पर ध्यान देने के लिए महत्वपूर्ण रहेगा। यदि आप अपना घर खरीदने या बनवाने की सोच रहे हैं, तो आपको एक बार दोबारा सोच लेना चाहिए। आपके आठवें भाव में गुरु का वक्री होना आपके मन में असुरक्षा और डर की भावना पैदा कर सकता है। इसके साथ ही आपकी रुचि रहस्यमयी विज्ञान में भी बढ़ेगी। पार्टनर के साथ किए गए निवेश को लेकर मन में शंका आने की संभावना है लेकिन घबराएं नहीं, आपको इससे धीरे-धीरे लाभ मिलना शरू होगा। इस समय अपने ससुराल पक्ष के लोगों के प्रति आपकी जिम्मेदारियां बढ़ने की आशंका है।
उपाय: इस वक्री वक्री के दौरान घर पर सत्य नारायण की पूजा करें।
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तुला राशि
तुला राशि वालों के लिए बृहस्पति तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके सातवें भाव में हो रहे हैं। तुला राशि के लोगों के वैवाहिक जीवन में अत्यधिक मतभेद और अनबन होने की आशंका है। जिन लोगों का तलाक का मामला चल रहा है, उनके लिए यह समय और भी ज्यादा मुश्किल भरा साबित हो सकता है। आपके ऊपर कुछ आरोप लगने या आपकी मुश्किलों के बढ़ने की भी आशंका है। इसकी वजह से आपकी हिम्मत और आत्मविश्वास में भी कमी आने की संभावना बनी हुई है।
शादीशुदा लोग अपने वैवाहिक जीवन में की गई गलतियों को सुधारने और समस्याओं को दूर करने का प्रयास करें। इस साल शादी करने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको अपने निर्णय पर दोबारा विचार करने की जरूरत है। दीर्घकालिक बीमारी जैसे कि लीवर, सिरोसिस, मधुमेह या हार्मोनल विकार से ग्रस्त जातकों को अपनी सेहत को लेकर इस समय सतर्क रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य के मामले में लापरवाही करना आपको भारी पड़ सकता है।
बृहस्पति मेष राशि में वक्री काल के दौरान छोटे भाई या बहन के साथ आपके रिश्ते के बिगड़ने की संभावना है। हालांकि, इस समय आपको समझदारी से काम लेना होगा और अपने छोटे भाई या बहन को समझने की कोशिश करनी होगी ताकि आप दोनों के बीच के मतभेद सुलझ सकें।
उपाय: बृहस्पतिपार के दिन पंडित जी को बूंदी के लड्डू दें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों के लिए बृहस्पति आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके छठे भाव में होंगे। वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बृहस्पति का वक्री होना जीवन में कई समस्याएं, झगड़े और मतभेद पैदा कर सकता है। परिवार के साथ आपका झगड़ा होने की आशंका है। प्रेम संबंधों में भी दरार और चुनौतियां आने की संभावना बनी हुई है। माता-पिता को बच्चों की परवरिश में चुनौतियां मिलने की स्थिति बनी हुई है। इनकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। छात्रों को शिक्षा या उच्च शिक्षा से जुड़े अपने निर्णयों पर सोच-विचार करने की सलाह दी जाती है। अगर आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो सोच-समझकर कोई निर्णय लें।
अगर आप अपने परिवार और मूल्यों का अनादर करते आए हैं और भौतिक सुखों के पीछे भाग रहे हें, तो आपको सही मार्ग पर आ जाना चाहिए। बृहस्पति मेष राशि में वक्री काल के दौरान आपको बात करते समय अपने शब्दों पर थोड़ा ध्यान दें होगा वरना आपके मुंह से कुछ ऐसे शब्द निकल सकते हें जो आपको किसी बड़ी परेशानी में लाकर खड़ा कर दें। आपको अपनी बचत पर ध्यान देना है वरना फिजूलखर्ची की वजह से आपके कर्ज में आने की आशंका है।
उपाय: रोज 108 बार बृहस्पति बीज मंत्र का जाप करें।
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धनु राशि
बृहस्पति आपके लग्न भाव और चौथे भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके पांचवें भाव में हो रहे हैं। बृहस्पति के मेष राशि में वक्री होने पर आपको अपनी सेहत पर ध्यान देना होगा। लापरवाही की वजह से वजन बढ़ने, फैटी लीवर, मधुमेह या हार्मोन संबंधी विकार होने का खतरा है। अपनी मां की सेहत को लेकर भी सावधान रहें और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने की कोशिश करें। इस समय अपनी मां के साथ किसी भी तरह के मतभेद से बचने में ही आपकी भलाई है।
बृहस्पति मेष राशि में वक्री काल के दौरान आपको अपनी निजी जिंदगी में अपने द्वारा की गई गलतियों पर ध्यान देने की जरूरत है। जो धनु राशि वाले संतान की कामना कर रहे हैं या जिन्हें संतान पाने में कोई रुकावट या स्वास्थ्य समस्या आ रही है, उन्हें अपनी समस्या का समाधान मिल जाएगा। यदि आप अपने प्रेम संबंध को लेकर गंभीर और जिम्मेदार नहीं हैं, तो आपके प्रेम जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और आपके रिश्ते के टूटने की भी संभावना है। धनु राशि के छात्रों को अपनी पढ़ाई से जुड़े निर्णयों को लेकर दोबारा सोच-विचार करने का अवसर मिलेगा।
उपाय: गुरुवार के दिन सोने की धातु में तर्जनी अंगुली में पुखराज रत्न की अंगूठी धारण करें।
मकर राशि
बृहस्पति मकर राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके चौथे भाव में वक्री हो रहे हैं। इस दौरान आपके घर पर आपके छोटे भाई या बहन या विदेश से या किसी दूर स्थान से किसी रिश्तेदार के आने की उम्मीद है। अगर आपका भाई या बहन आपके साथ ही या नजदीक रहते हैं, तो आपकी उनके साथ अनबन होने की संभावना है। इस समय आपको उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और मतभेदों को समझने का प्रयास करना चाहिए।
अपनी मां की सेहत पर भी ध्यान दें और उनके साथ झगड़ा ना करें। इस वक्री वक्री के दौरान आपको अपनी मां की सेवा करनी चाहिए। बृहस्पति मेष राशि में वक्री काल के दौरान आपको पूर्व में की गई अपनी गलतियों पर सोच-विचार करने का अवसर देगा। नया घर आदि खरीदने की सोच रहे हैं, तो अभी थोड़ा रुक जाएं। अपने फैसले पर विचार करें कि आपने जो सोचा है, वो सही है या नहीं। आपको अपने आर्थिक निर्णयों और पहले किए गए निवेश पर भी दोबारा विचार करना चाहिए।
उपाय: गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के लिए बृहस्पति दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके तीसरे भाव में वक्री हो रहे हैं। आपके लिए बृहस्पति एक ऐसा ग्रह है जो आपकी आर्थिक स्थिति को नियंत्रित करता है। इसके परिणामस्वरूप वक्री बृहस्पति का प्रभाव आपके आर्थिक पक्ष पर पड़ेगा। बचत और निवेश के मामले में थोड़ा सावधान रहें। कोई निवेश मुनाफा दे रहा है, तब भी उस पर दोबारा विचार कर लें कि आपने सही फैसला लिया है या नहीं।
बृहस्पति मेष राशि में वक्री काल के दौरान जिन कुंभ राशि के जातकों को अब तक मनचाही पदोन्नति या वेतन वृद्धि नहीं मिली है, उनके लिए यह अच्छा समय है। आप अपने लिए आवाज उठा सकते हैं और आपको इस दिशा में सफलता मिलने की भी संभावना है। गुरु के वक्री होने पर आपको यह विचार करना कि जीवन में आपके सच्चे साथी कौन हैं। भौतिक सुखों को छोड़कर सही मार्ग पर चलने का यही सही समय है। बातचीत करते समय अपने शब्दों पर थोड़ा नियंत्रण रखें वरना आपके मुंह से कुछ ऐसी बात निकल सकती है जो आपके लिए ही परेशानी खड़ी कर दे और आपके करीबियों की भावनाओं को आहत करें।
उपाय: संभव हो तो बृहस्पतिवार के दिन उपवास करें।
मीन राशि
मीन राशि के लिए बृहस्पति लग्न और दसवें भाव के स्वामी हैं और बृहस्पति मेष राशि में वक्री आपके दूसरे भाव में होंगे। लग्न भाव में गुरु के वक्री होने से आपकी सेहत को नुकसान पहुंचने की संभावना है। इस मामले में लापरवाही करने पर वजन बढ़ने और फैटी लीवर, मधुमेह या हार्मोन संबंधी विकार होने की आशंका है। बेहतर होगा कि आप अपने स्वास्थ्य को गंभीरता से लें। बृहस्पति आपके दसवें भाव के स्वामी हैं इसलिए मेष राशि में बृहस्पति के वक्री होने से आपके पेशेवर जीवन में बदलाव आने की आशंका है।
नौकरी या पेशा बदलने की सोच रहे हैं, तो यह समय आपके लिए अच्छा रहेगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो गुरु की वक्री चाल आपके पेशेवर जीवन में परेशानियां खड़ी कर सकती है और बदलाव करने के लिए आपके बाध्य होने की भी आशंका है। इस समय फिजूलखर्ची से बचें वरना आपकी सारी बचत खत्म हो जाएगी और आपके कर्ज में डूब सकते हैं। आप यह समझने का प्रयास करें कि इस जीवन में आपके लिए भौतिक सुख ज्यादा महत्व रखता है या फिर आपके प्रियजन। इस समय सही मार्ग पर आने का विचार मन में आ सकता है।
उपाय: जितना हो सके पीले रंग के वस्त्र पहनें। यदि संभव ना हो, तो अपने साथ पीले रंग का रुमाल जरूर रखें।
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