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शनि मीन राशि में वक्री (13 जुलाई 2025)

शनि मीन राशि में वक्री: न्याय के देवता शनि महाराज 13 जुलाई 2025 की सुबह 07 बजकर 24 मिनट पर मीन राशि में वक्री होने जा रहे हैं। शनि ग्रह को दुख का कारक ग्रह माना गया है और इनका सीधा संबंध अंधकार से माना जाता है। लेकिन, जीवन में स्थायित्व देने का काम भी शनिदेव के जिम्मे ही है। अच्छे-बुरे कर्मों के अनुसार फल देने का काम भी शनिदेव ही करते हैं। शनि ग्रह को कर्मफल दाता कहा जाता है। ऐसे में, शनि ग्रह का उदय, अस्त, वक्री या फिर मार्गी होने का गहरा असर पड़ता है। शनि देव 29 मार्च 2025 को अपनी स्वयं की राशि जिसमें यह मूल त्रिकोण अवस्था वाले ग्रह माने जाते हैं अर्थात कुंभ राशि को छोड़कर मीन राशि में आए हैं।

शनि मीन राशि में वक्री 13 जुलाई 2025 को होने जा रहे हैं।

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फिलहाल, शनि देव मीन राशि में हैं और मीन राशि में रहते हुए ही शनिदेव 13 जुलाई 2025 को वक्री होने जा रहे हैं। शनिदेव मीन राशि में 13 जुलाई 2025 से लेकर 28 नवंबर 2025 तक वक्री रहने वाले हैं अर्थात शनि देव लगभग 138 दिनों तक वक्री रहेंगे जो कि एक लंबी अवधि है। इतने लंबे समय तक शनि का वक्री रहना न केवल देश-दुनिया पर गहरा प्रभाव डालेगा, बल्कि प्रत्येक राशि को भी प्रभावित करेगा। शनि के वक्री होने का सभी राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा, यह जानने से पहले हम यह जान लेते हैं कि आखिर शनि का वक्री होना क्या होता है।

क्या होता है ग्रह का वक्री होना?

“वक्री” शब्द संस्कृत भाषा के शब्द “वक्र” से लिया गया है जिसका अर्थ होता है “टेढ़ा” यानी कि जब ग्रह अपने मार्ग में जिस दिशा में चल रहा होता है, उस मार्ग से अलग चलना शुरू कर दे या उस दिशा के विरुद्ध चलना शुरू कर देता है, तो उसे ज्योतिष की भाषा में वक्री ग्रह कहा जाता है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि वक्री होने पर ग्रह और प्रभावशाली हो जाते हैं। लेकिन, ज्योतिषियों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि वक्री होने पर ग्रह कमजोर परिणाम देने लग जाते हैं। हालांकि, ज्योतिषियों का यह भी मानना है कि वक्री होने पर ग्रह उल्टे परिणाम देना शुरू कर देते हैं जैसे कि यदि कोई ग्रह अच्छे परिणाम दे रहा है और वह गोचर में वक्री हो जाए, तो वह खराब परिणाम दे सकता है।

ठीक, इसी तरह अगर कोई ग्रह आपको खराब परिणाम दे रहा है और वह गोचर में वक्री हो जाए, तो जब तक वह वक्री अवस्था में रहेगा तब तक उससे मिलने वाले परिणाम अनुकूल हो सकते हैं या ग्रह के प्रतिकूल परिणामों में कमी भी आ सकती है। किसी भी ग्रह का वक्री होना कुछ लोगों के लिए अच्छा होता है, तो कुछ लोगों के लिए खराब भी होता है। यदि हम शनि ग्रह के वक्री होने की बात करें तो, शनि ग्रह के वक्री होने के कारण कुछ राशियों को कमजोर परिणाम मिल सकते हैं और कुछ राशियों को शनि वक्री होकर लाभदायक परिणाम भी दे सकता है। आइए अब जानते हैं कि शनि देव वक्री होकर भारत को कैसे परिणाम दे सकते हैं।

शनि मीन राशि में वक्री होने का भारतवर्ष पर प्रभाव

स्वतंत्र भारत की कुंडली में शनि भाग्य तथा कर्म भाव के स्वामी हैं और शनि लाभ भाव में वक्री हो रहे हैं। सामान्य तौर पर लाभ भाव में शनि के गोचर को काफी अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है, लेकिन वक्री होने के कारण शुभता में कमी देखने को मिल सकती हैं। विशेषकर, सत्तारूढ़ दल की कार्यशैली में कुछ कमियां रह सकती हैं और इसके फलस्वरूप, प्रतिस्पर्धी या विपक्ष से जुड़े हुए लोग सरकार में शामिल लोगों को घेरने का काम कर सकते हैं। कई मौकों पर सरकार या सरकार से जुड़े हुए मंत्री या अन्य लोग विपक्षियों के प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थ रह सकते हैं। सत्तारूढ़ दल के लोगों की कमियां भी उजागर हो सकती हैं। इन्हें अपना वादा पूरा करने में कठिनाइयां आ सकती हैं और फलस्वरूप, न केवल विपक्षी दल बल्कि इन्हें जनता के आक्रोश का सामना भी करना पड़ सकता है।

युवा वर्ग अपनी बेरोजगारी को लेकर शासन-प्रशासन के विरुद्ध प्रदर्शन कर सकते हैं। धार्मिक स्थलों पर कुछ समस्याएं उभर कर आ सकती हैं। यातायात दुर्घटनाएं भी तुलनात्मक रूप से अधिक रह सकती हैं। हालांकि, शनि लाभ भाव में वक्री हो रहा है। अतः कोई बड़ी नकारात्मकता नहीं आएगी। सामान्य तौर पर जिस तरह की गतिविधियां सामान्य दिनों में होती हैं, वैसी ही रहेगी। न तो सरकार को किसी बड़े मुद्दे पर घेरने में विपक्ष सफल हो पाएगा और न ही कोई बड़ी घटना होगी। आइए अब नज़र डालते हैं शनि की वक्री अवस्था सभी राशियों को प्रभावित करेगी।

To Read in English Click Here: Saturn Retrograde in Pisces

यह राशिफल आपकी चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी व्यक्तिगत चन्द्र राशि अभी जानने के लिए चंद्र राशि कैलकुलेटर का उपयोग करें

शनि मीन राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय

मेष राशि

मेष राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में कर्म स्थान और लाभ भाव के स्वामी हैं। वर्तमान में यह आपके द्वादश भाव में वक्री हो रहे हैं यदि आप यह राशिफल चंद्र कुंडली के अनुसार देख रहे हैं, तो द्वादश भाव में शनि का गोचर साढ़ेसाती का निर्माण करता है जिसके परिणाम सामान्य तौर पर नकारात्मक माने जाते हैं। ऐसी स्थिति में वक्री होने के कारण शनि ग्रह की नकारात्मकता में कमी देखने को मिल सकती है।

यदि आप 29 मार्च के बाद कुछ कठिनाइयों या परेशानियों का अनुभव कर रहे थे, तो उनमें कमी आ सकती है क्योंकि द्वादश भाव में बैठे शनि को अधिक धन खर्च करवाने वाला माना गया है। अतः खर्चों में थोड़ी कमी आ सकती है। विदेश से संबंधित मामलों में भी कुछ अनुकूलता बनी रहेगी, लेकिन परिजनों के साथ रहने की संभावनाएं कम ही रहेंगी। आप पर्याप्त नींद लेने में भी असमर्थ रह सकते हैं। शनि मीन राशि में वक्री होने से नकारात्मकता में कुछ कमी आएगी और ऐसे में, आप राहत का अनुभव कर सकते हैं।

उपाय: प्रत्येक शनिवार सुंदरकांड का पाठ करें।

मेष साप्ताहिक राशिफल

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके भाग्य स्थान और कर्म भाव के भी स्वामी हैं जो अब आपके लाभ भाव में वक्री हो रहे हैं। सामान्य तौर पर लाभ भाव में शनि के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला माना जाता है। ऐसी स्थिति में शनि मीन राशि में वक्री होकर सकारात्मक परिणामों में कमी कर सकते हैं। शनि के लाभ भाव में जाने से जो अच्छे परिणाम आपको मिल रही थे, उनमें तुलनात्मक रूप से कमी देखने को मिल सकती है।

इस दौरान अच्छे परिणाम मिलते रहेंगे, लेकिन पहले की तुलना में उनमें थोड़ी कमी आ सकती है क्योंकि लाभ भाव में शनि के गोचर को विभिन्न माध्यमों से लाभ करवाने वाला माना गया है। अतः लाभ मिलता रहेगा, लेकिन शायद इच्छित समय पर लाभ न मिल पाए। जिस समय आपको लाभ मिलने की उम्मीद होगी, तब अधिक समय लग सकता है। यदि स्वास्थ्य पहले से खराब चल रहा था और शनि के लाभ भाव में जाने से स्वास्थ्य ठीक हो गया था, तो अब पुनः स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें। कामों में थोड़ा विलंब या कुछ कठिनाइयां देखने को मिल सकती हैं, लेकिन कामों के संपन्न होने की संभावना बनी रहेगी।

उपाय: शिव मंदिर में काले तिल के लड्डू चढ़ाएं।

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

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मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में आठवें भाव के स्वामी होने के साथ-साथ भाग्य भाव के भी स्वामी माने जाते हैं। अब यह दसवें भाव में वक्री हो रहे हैं। सामान्य तौर पर दसवें भाव में शनि ग्रह के गोचर को अच्छा नहीं माना जाता है। अतः शनि मीन राशि में वक्री होने के कारण कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, लेकिन इनकी यह अवस्था आपको कोई फायदा भी नहीं दिला पाएगी। यहां पर शनि का वक्री होना आपको मिले-जुले परिणाम दे सकता है। कभी-कभी परिणाम धीमी गति से मिलने के कारण निराशा महसूस हो सकती है क्योंकि गोचर शास्त्र के अनुसार, दशम भाव में शनि नौकरी या व्यवसाय में व्यवधान देने वाला माना गया है।

हालांकि, आपके मार्ग में आने वाली समस्याएं कम ही होंगी, लेकिन किसी न किसी तरह से कुछ विलंब होने की संभावना बनी रहेगी। सावधानीपूर्वक काम करने की स्थिति में विलंब से ही सही कामों में सफलता मिल सकेगी। वहीं, सामाजिक मामलों में जागरूक रहेंगे, तो आप अपमान होने की स्थिति से बचाव भी कर सकेंगे। शनि मीन राशि में वक्री होने के दौरान सरकारी लोगों के साथ संबंधों को मेंटेन रखने की स्थिति में सरकार की तरफ से कोई परेशानी नहीं आएगी।

उपाय: संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाना शुभ रहेगा।

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए आपकी कुंडली में शनि सातवें भाव और आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब भाग्य भाव में वक्री हो रहे हैं। नौवें भाव में शनि के गोचर को सामान्य तौर पर अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। ऐसे में, शनि मीन राशि में वक्री होने के कारण आप पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा और जैसे परिणाम मिल रहे थे लगभग उसी तरह के परिणाम मिलते रह सकते हैं।

हालांकि, किसी ग्रह का भाग्य भाव में वक्री होना सकारात्मक भी नहीं कहा जाएगा। अतः आप भी शनि ग्रह के वक्री होने से मिले-जुले परिणाम की उम्मीद कर सकते हैं। धार्मिक कार्यों में कुछ कठिनाई के बाद शामिल होने या जुड़ने के मौके मिल सकते हैं। वहीं, सुलझे दिमाग से काम करने की स्थिति में शत्रुओं के साथ संघर्ष में कमी आ सकती है। भाग्य के भरोसे नहीं बैठेंगे तो कामों में सफलता भी मिल सकेगी।

उपाय: नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप करें।

कर्क साप्ताहिक राशिफल

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके छठे तथा सातवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके आठवें भाव में वक्री हो रहे हैं। चंद्र कुंडली के अनुसार, आठवें भाव में शनि के गोचर को शनि की ढैया कहा जाता है जिसे सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। साथ ही, किसी वक्री ग्रह का आठवें भाव में गोचर भी अच्छा नहीं माना जाता है। अतः परिणामों में थोड़ा बहुत हेरफेर देखने को मिल सकता है। कुछ कठिनाइयों में बाद मार्ग सुगम हो सकता है, तो वहीं कुछ मामलों में समस्याएं बढ़ सकती हैं।

यदि पहले से पेट से संबंधित कुछ परेशानियां रही हैं, विशेषकर कब्ज या गुदा आदि से जुड़ी, तो इस अवधि में दवाओं के सेवन में लापरवाही नहीं बरतनी है। वाणीं में मिठास बरकरार रहे, इस बात की कोशिश करनी है और किसी भी मामले में कोई बड़ा जोखिम नहीं उठाना है। विशेषकर आर्थिक और पारिवारिक मामलों में सावधानी रखते हुए काम करना है। ऐसा करने से परिणाम कुछ हद तक आपके फेवर में रह सकेंगे। कुल मिलाकर, शनि मीन राशि में वक्री के दौरान नुकसान में कमी देखने को मिलेगी, लेकिन मेहनत तुलनात्मक रूप से अधिक करनी पड़ सकती है।

उपाय: काली उड़द की पकौड़ी बनाकर गरीबों में बांटना शुभ रहेगा।

सिंहसाप्ताहिक राशिफल

कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए आपकी कुंडली में शनि ग्रह पांचवें तथा छठे भाव के स्वामी हैं जो अब सातवें भाव में वक्री हो रहे हैं। सातवें भाव में शनि के गोचर को सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। अतः वक्री होने से आप पर कोई बड़ा प्रभाव भी नहीं पड़ेगा, लेकिन ज्योतिष का एक नियम यह भी कहता है कि सप्तम भाव में ग्रह का वक्री होना अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में, शनि वक्री होने से सकारात्मकता में कमी आएगी और आपको मिलने वाले परिणामों में थोड़ा उतार-चढ़ाव रह सकता है।

लेकिन, शनि मीन राशि में वक्री होने का आप पर कोई विशेष सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है क्योंकि सप्तम भाव में शनि के गोचर को रोज़गार में समस्या पैदा करने वाला कहा गया है। ऐसे में, शनि के वक्री होने के कारण समस्याएं थोड़ी बढ़ सकती हैं, लेकिन जीवनसाथी की चुभने वाली या उलझी हुई बातों को नजरअंदाज करने की स्थिति में विवादों को टाला भी जा सकेगा। खान-पान पर संयम रखकर रोगों से बचाव भी किया जा सकेगा, लेकिन लापरवाही करने की स्थिति में मुख या जननेंद्रियों से संबंधित कुछ परेशानियां बनी रह सकती हैं।

उपाय: मजदूरों को यथा सामर्थ्य भोजन करवाना शुभ रहेगा।

कन्या साप्ताहिक राशिफल

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तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके चौथे तथा पांचवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके छठे भाव में वक्री हो रहे हैं। छठे भाव में शनि ग्रह का गोचर सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देने वाला माना जाता है। अतः वक्री होने के कारण शनि की अनुकूलता में कुछ कमी देखने को मिल सकती है। बता दें कि शनि के वक्री होने से परिणाम नकारात्मक नहीं होंगे, बल्कि जैसे सकारात्मक परिणाम आपको मिल रहे थे, उनमें थोड़ी कमी आ सकती है।

सामान्य शब्दों में, शनि मीन राशि में वक्री होने से शुभता का सिलसिला जारी रहेगा, लेकिन इसमें तुलनात्मक रूप से कमी नज़र आ सकती है। सफलता प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन सफलता मिलने की संभावनाएं बनी रहेंगी। प्रतिस्पर्धी या शत्रु परेशान करने की कोशिश कर सकते हैं, परंतु आप परिस्थितियों पर नियंत्रण प्राप्त करके स्वयं को श्रेष्ठ बनाए रख सकेंगे। कहीं से धन या संपत्ति की प्राप्ति हो सकती है। हालांकि, इन प्राप्तियों में कुछ विलंब देखने को मिल सकता है।

उपाय: शिवलिंग पर काली और सफेद तिल चढ़ाना शुभ रहेगा।

तुला साप्ताहिक राशिफल

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपकी कुंडली में तीसरे तथा चौथे भाव के स्वामी हैं। अब यह पांचवें भाव में वक्री हो रहे हैं। पांचवें भाव में शनि के गोचर को सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। ऐसे में, यदि शनि पहले से ही कोई प्रतिकूलता नहीं दे रहे थे, तो वक्री होने के कारण अनुकूलता में किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। लेकिन, कुछ मामलों में थोड़ी बहुत समस्याएं आ सकती हैं क्योंकि इस अवधि में आपके सोचने की क्षमता कुछ हद तक बाधित रह सकती है।

ऐसे में, आपके लिए बेहतर होगा कि शनि मीन राशि में वक्री के दौरान महत्वपूर्ण योजनाओं को बनाने में आप अधिक सावधानी रखें। संभव हो, तो इस अवधि में कोई नई योजना न ही बनाएं। संतान से संबंधित मामलों में अपेक्षाकृत अधिक सावधानी पूर्वक निर्वाह करने की आवश्यकता रहेगी। खानपान पर भी संयम रखना होगा।

उपाय: नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें।

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

बृहत् कुंडली : जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय

धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए आपकी कुंडली में शनि ग्रह दूसरे तथा तीसरे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके चौथे भाव में वक्री हो रहे हैं। चंद्र कुंडली के अनुसार, चतुर्थ भाव में शनि के गोचर को शनि की ढैया कहा जाता है जिसे सामान्य तौर पर अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। नियम के अनुसार वक्री होने के कारण शनि की नकारात्मकता में कमी आनी चाहिए, लेकिन चतुर्थ भाव में किसी ग्रह के वक्री होने के भी अपने नकारात्मक परिणाम होते हैं। अतः शनि की नकारात्मकता में थोड़े उतार-चढ़ाव आ सकते हैं।

लेकिन, सामान्य तौर पर परिणाम जैसे चल रहे थे, लगभग उसी प्रकार के ही रहने की संभावना है क्योंकि चतुर्थ भाव में शनि को स्थान हानि करवाने वाला कहा गया है। ऐसे में, शनि मीन राशि में वक्री होने के कारण यदि अभी तक कोई स्थान हानि नहीं हुई थी यानी कि न चाहते हुए भी स्थान परिवर्तन नहीं करना पड़ा था, तो शायद अब हाल-फिलहाल में भी नहीं करना पड़ेगा। लेकिन जहां आप रह रहे हैं, वहां सुकून की अनुभूति होने में भी संशय नजर आ रहा है। आसपास के लोग किसी बात को लेकर कुछ नाराज या नाखुश रह सकते हैं। इस अवधि में वाहन सावधानी से चलाने की सलाह हम आपको देना चाहेंगे।

उपाय: दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें।

धनु साप्ताहिक राशिफल

मकर राशि

मकर राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके लग्न या राशि के स्वामी होने के साथ-साथ दूसरे भाव के भी स्वामी हैं जो अब आपके तीसरे भाव में वक्री हो रहे हैं। तीसरे भाव में शनि के गोचर को सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देने वाला माना जाता है। ऐसे में, वक्री होने के कारण शनि के द्वारा दी जा रही अनुकूलता में थोड़ी कमी आ सकती है। सामान्य शब्दों में कहें तो, शनि के द्वारा दी जा रही अनुकूलता प्रतिकूलता में नहीं बदलेगी, बल्कि अनुकूलता का ग्राफ थोड़ा कमजोर हो सकता है। लेकिन, सामान्य तौर पर जैसे परिणाम मिल रहे थे, देर-सवेर उसी तरह के परिणाम मिलने की संभावनाएं बन रही हैं।

हालांकि, तीसरे भाव में शनि को आरोग्यता देने वाला माना जाता है, लेकिन लग्न या राशि के स्वामी का वक्री होना स्वास्थ्य को थोड़ा कमज़ोंर कर सकता है। अतः शनि मीन राशि में वक्री के दौरान स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहेंगे, तो स्वास्थ्य सामान्य तौर पर अनुकूल बना रहेगा। यात्राओं में भी तुलनात्मक रूप से अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी, लेकिन सामान्य तौर पर यात्राएं लाभप्रद रहेंगी। अच्छी खबर मिलने की संभावना अब भी है, परन्तु खबर मिलने में कुछ विलंब हो सकता है। कभी-कभार भाई-बंधुओं और पड़ोसियों के साथ विचारों में अंतर दिखाई दे सकता है, लेकिन संबंधों में प्रतिकूलता नहीं आएगी।

उपाय: शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना हितकारी रहेगा।

मकर साप्ताहिक राशिफल

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके लग्न या राशि के स्वामी ग्रह होने के साथ-साथ आपके बारहवें भाव के भी स्वामी हैं। अब यह आपके दूसरे भाव में वक्री हो रहे हैं। दूसरे भाव में शनि ग्रह के गोचर को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना जाता है। चंद्र कुंडली के अनुसार, यह शनि की साढ़ेसाती का आखिरी चरण होता है। अतः शनि से सकारात्मकता की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए, लेकिन भयभीत भी नहीं होना चाहिए, क्योंकि परिणाम मुख्यतः आपकी दशाओं के अनुसार ही मिलेंगे। बात करें शनि के गोचर की, तो नियम के अनुसार वक्री होने की स्थिति में शनि की नकारात्मकता में कमी आनी चाहिए, लेकिन धन भाव में किसी बड़े ग्रह का वक्री हो जाना भी अच्छी स्थिति नहीं माना जाता है। अतः शनि की नकारात्मकता में कमी देखने को शायद नहीं मिलेगी, बल्कि जैसे परिणाम मिल रहे थे वैसे ही मिलते रहेंगे।

हालांकि, परिणामों में मामूली परिवर्तन नज़र आ सकता है या फिर परिणाम थोड़े देर-सवेर भी मिल सकते हैं। दूसरे भाव में शनि को घर-परिवार में अशांति देने वाला कहा गया है। अतः वक्री होने के कारण अशांति भले ही प्रत्यक्ष रूप से नजर न आए, लेकिन आंतरिक रूप से कुछ उथल-पुथल देखने को मिल सकती है। आर्थिक मामलों में भी धीमी गति से कुछ समस्याएं पैदा हो सकती हैं। भले ही प्रत्यक्ष रूप से कोई बड़ा खर्च न आए, परन्तु धीरे-धीरे करके धन खर्च होगा और देर से ही सही आपको एक बड़ी राशि के खर्च होने का एहसास भी होगा। शनि मीन राशि में वक्री के दौरान मुख से संबंधित कोई तकलीफ न होने पाए, इस बात के लिए जागरूक रहते हुए उचित खान-पान अपनाना होगा।

उपाय: गजेंद्र मोक्ष स्त्रोत का पाठ करें।

कुंभ साप्ताहिक राशिफल

मीन राशि

मीन राशि वालों के लिए शनि ग्रह आपके लाभ भाव के स्वामी होने के साथ-साथ व्यय भाव के भी स्वामी हैं जो अब आपके प्रथम भाव में वक्री हो रहे हैं। चंद्र कुंडली के अनुसार, प्रथम भाव में शनि का गोचर साढ़ेसाती का दूसरा चरण माना जाता है, जिसे सामान्य तौर पर अच्छा नहीं माना जाता है। गोचर शास्त्र के नियम के अनुसार, वक्री होने से संबंधित ग्रह की नकारात्मकता कम होनी चाहिए, लेकिन प्रथम भाव में किसी ग्रह का वक्री हो जाना वह भी शनि जैसे महत्वपूर्ण ग्रह का वक्री होना, इसको अनुकूल स्थिति नहीं कहा जा सकता है। अतः शनि से अनुकूलता की उम्मीद नहीं रखी जानी चाहिए, बल्कि जैसे परिणाम आपको आपकी दशाओं और अन्य गोचरों के अनुसार मिल रहे थे, वैसे ही परिणाम मिलते रहेंगे।

लेकिन, परिणामों में थोड़ा बहुत परिवर्तन देखने को मिल सकता है। प्रथम भाव में शनि के वक्री होने से आपके लिए अपनी सोच को स्वच्छ बनाए रखना बहुत जरूरी होगा। बेहतर होगा कि पेचीदे मामलों में न उलझें और बिना मांगे किसी को अपनी राय भी न दें। साथ ही, उचित खान-पान भी जरूरी रहेगा। स्वास्थ्य को लेकर किसी भी प्रकार का रिस्क बिल्कुल न लें। शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ और प्रसन्न रहने की कोशिश करें और आलसी होने से भी बचें। लेकिन, जरूरत से ज्यादा जल्दबाज भी नहीं करनी है। आर्थिक और पारिवारिक मामले में किसी भी प्रकार का जोख़िम उठाने से बचें। इन सावधानियों को अपनाने से शनि मीन राशि में वक्री के दौरान आपको मिलने वाले परिणाम यथावत बने रह सकते हैं।

उपाय: नियमित रूप से हनुमत साठिका का पाठ करें।

मीन साप्ताहिक राशिफल

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हम आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ जुड़े रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. शनि मीन राशि में वक्री कब होंगे?

शनि ग्रह 13 जुलाई 2025 को मीन राशि में वक्री हो जाएंगे।

2. शनि ग्रह किस राशि में स्थित हैं?

वर्तमान समय में शनि महाराज मीन राशि में विराजमान हैं।

3. मीन राशि का स्वामी कौन हैं?

राशि चक्र की अंतिम राशि मीन के अधिपति देव गुरु ग्रह हैं।

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