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शनि धनु राशि में वक्री (अप्रैल 18, 2018)

शनि देव न्याय प्रिय और कर्मफल दाता हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि ग्रह कर्म और सेवा का कारक होता है इसलिए इसका सीधा संबंध आपकी नौकरी और व्यवसाय से होता है। यही वजह है कि शनि की चाल में होने वाले परिवर्तन का असर नौकरी और व्यापार में देखने को मिलता है।

शनि देव 18 अप्रैल 2018 बुधवार को सुबह 7:10 बजे धनु राशि में वक्री होंगे और 06 सितंबर 2018 गुरुवार को शाम 05:02 बजे पुनः इसी राशि में ही मार्गी होंगे। इस दौरान शनि वक्री की अवधि कुल 142 दिनों की होगी।

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हर राशि के लिए वक्री शनि का फल अलग-अलग होता है इसलिए जरूरी नहीं है कि शनि के वक्री होने पर अशुभ फल ही मिले। किसी भी व्यक्ति के लिए वक्री शनि का फल तब ही बुरा होता है, जब दशा और कुंडली में शनि का प्रभाव खराब हो, अन्यथा शनि के वक्री होने का कोई बुरा प्रभाव नहीं होता है। आईये अब जानते हैं शनि के धनु राशि में वक्री होने का सभी राशियों पर पड़ने वाला ज्योतिषीय प्रभाव।

यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

शनि धनु राशि में वक्री

मेष

मेष राशि के जातकों के लिए शनि कर्म और लाभ भाव के स्वामी हैं अतः शनि के वक्री होने से मेष राशि के लोगों को नौकरी और व्यवसाय में सफलता अर्जित करने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे। ऐसे में कामयाबी पाने के लिए अपनी कोशिश जारी रखें और किसी भी परिस्थिति में निराश नहीं होयें। वहीं कार्यक्षेत्र में लाभ पाने के लिए भी आपको ज्यादा परिश्रम करना पड़ सकता है इसलिए यहां भी अपने प्रयास जारी रखें।

उपाय: काली गाय को घी लगी रोटी खिलाएं।

वृषभ

वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि नवम और दशम भाव के स्वामी हैं। चूंकि वैदिक ज्योतिष में नौवें भाव से पिता व गुरुजन और दसवें भाव से कार्यक्षेत्र का विचार किया जाता है। अतः शनि के व्रकी होने से पिता और शिक्षा से संबंधित मामलों में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिए अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं। वहीं नौकरी और बिजनेस में कुछ समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। भाग्य का साथ नहीं मिलने से निराशा हो सकती है।

उपाय: काले कपड़े और जूतों का दान करें।

मिथुन

मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि देव अष्टम तथा नवम भाव के स्वामी हैं। शनि के वक्री होने से कुछ परेशानियां उत्पन्न होंगी। इस दौरान भाग्य आपका साथ नहीं देगा। चूंकि अष्टम भाव को समस्याओं का भाव कहा जाता है इसलिए इस अवधि में अचानक कोई बड़ी घटना घटित हो सकती है, जो आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती है। कार्यक्षेत्र में सफलता पाने कई यात्राएं और प्रयास करने पड़ सकते हैं।

उपाय: मध्य अंगुली में काले घोड़े की नाल पहनें

कर्क

कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सप्तम तथा अष्टम भाव के स्वामी हैं। इसके फलस्वरुप शनि के वक्री होने से आपके वैवाहिक जीवन में कुछ समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना है। इस अवधि में नौकरी और व्यापार में सफलता व लाभ पाने के लिए आपको अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। क्योंकि वक्री शनि आपसे दोगुने प्रयास कराएगा। किसी भी कार्य में पहली बार में सफलता मिलने की संभावना थोड़ी कम रहेगी।

उपाय: पक्षियों को सात तरह के अनाज और दाल खिलाएं।

सिंह

सिंह राशि के जातकों के लिए शनि देव षष्ठम और सप्तम भाव के स्वामी हैं। शनि के वक्री होने से इस अवधि में स्थान परविर्तन के योग बनने की संभावना है। इस दौरान जीवनसाथी के साथ विचारों को लेकर टकराव की स्थिति बन सकती है इसलिए धैर्य से काम लें। खर्च बढ़ने से परेशानी होगी, अतः सोच-समझकर पैसों का व्यय करें। इस दौरान आपको किसी काम के लिए ऋण भी लेना पड़ सकता है।

उपाय: पीपल के पेड़ के नीचे सरसों तेल का दिया लगाएं।

कन्या

कन्या राशि के जातकों के लिए शनि देव पंचम भाव तथा षष्ठम भाव के स्वामी हैं। शनि के वक्री होने के दौरान सफलता प्राप्ति में बाधा आ सकती है। बनते-बनते आपके काम बिगड़ सकते हैं इसलिए थोड़ा धैर्य और संयम रखें। इस अवधि में स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं हो सकती हैं। इनमें आप छाती या पेट से जुड़ी किसी बीमारी का शिकार हो सकते हैं, इसलिए सेहत के मामले में बिल्कुल लापरवाही न बरतें।

उपाय: हर शनिवार हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं।

शनि के बुरे प्रभाव से बचने के लिए धारण करें: नीलम रत्न

तुला

तुला राशि वालों के लिए शनि देव चतुर्थ और पंचम भाव के स्वामी हैं। शनि के वक्री से होने घर-परिवार की शांति भंग हो सकती है। इस दौरान पारिवारिक सुख को बनाये रखने के लिए आपको कामकाज और गृहस्थ जीवन के बीच संतुलन बनाकर चलना होगा। इस अवधि में माता जी का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकती है, साथ ही छात्रों को पढ़ाई-लिखाई में अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं।

उपाय: शनिवार को बंदर और काले कुत्ते को लड्डू खिलाएं।

वृश्चिक

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि देव तृतीय तथा चतुर्थ भाव के स्वामी हैं। शनि के वक्री होने की स्थिति में इस दौरान दोस्तों और सहयोगियों से मिलने वाली मदद में कमी आ सकती है। वहीं विचारों में टकराव की वजह से मतभेद की भी संभावना बन सकती है। इस अवधि में आपको व्यर्थ की यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। वहीं सेहत के मोर्चे पर आपको गले या छाती से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय: कुष्ठ रोगियों की सेवा करें।

धनु

धनु राशि के लोगों के लिए शनि देव द्वितीय और तृतीय भाव के स्वामी हैं। 18 अप्रैल को शनि के आपकी ही राशि में वक्री होने से आपको बेवजह की यात्राएं करनी पड़ सकती है, अतः जहां तक हो सके जरूरी कार्यों के लिए ही यात्रा करें। इस दौरान परिजनों से वैचारिक मतभेद हो सकते हैं इसलिए इस स्थिति में संयम के साथ काम लें।

उपाय: शराब और मांसाहार के सेवन से दूर रहें।

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मकर

मकर राशि के जातकों के लिए शनि देव लग्न और द्वितीय भाव के स्वामी हैं। शनि के वक्री होने पर मकर राशि के जातकों को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना होगा, क्योंकि कड़वे शब्दों के इस्तेमाल से विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है। वहीं कुटुम्ब परिवार में भी कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस अवधि में धन अर्जित करने के लिए आपको अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं। मानसिक तनाव या थकान की वजह से आप थोड़े परेशान रह सकते हैं।

उपाय: शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें व 11 नारियल नदी में प्रवाहित करें।

कुंभ

कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि देव द्वादश और लग्न भाव के स्वामी हैं। शनि के वक्री होने की स्थिति में आपको पारिवारिक और आर्थिक मोर्चे पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। बनते-बनते कार्यों में अड़चन आने से आप मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं। इस अवधि में आपके खर्च भी बढ़ सकते हैं, साथ ही कार्यक्षेत्र में भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय: मंदिर में सरसो के तेल का दान करें।

मीन

मीन राशि के जातकों के लिए शनि देव एकादश और द्वादश भाव के स्वामी हैं। शनि के वक्री होने की स्थिति में आपके खर्चों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है, इसलिए इस दौरान फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें। वैवाहिक जीवन में भी कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, अतः इस अवधि में जीवनसाथी के साथ सामंजस्य बनाकर चलना होगा।

उपाय: शनिवार को काले कुत्ते को कुछ खिलाएं।

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