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कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त (8 अगस्त)

कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त : प्रेम, सुंदरता और आकर्षण के कारक ग्रह शुक्र 8 अगस्त 2023 को कर्क राशि में वक्री और अस्त होने जा रहे हैं।

वैदिक ज्योतिष में, शुक्र ग्रह का एक ही समय में वक्री और अस्त होना विशेष महत्व रखता है। कुंडली में शुक्र की कमज़ोर स्थिति से जातक को वैवाहिक जीवन, प्रेम संबंध और आर्थिक जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। यह उन कारकों पर निर्भर करता है जिनके स्वामी शुक्र हैं। हालांकि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र की अस्त और वक्री अवस्था कैसे परिणाम प्रदान करेगी यह उस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र की स्थिति पर निर्भर करता है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त सभी 12 राशियों पर कैसा प्रभाव डालेगी लेकिन इससे पहले जान लेते हैं वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व।

कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त 8 अगस्त को होगा

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कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त : वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं में शुक्र देव का जिक्र कई जगह मिलता है। शुक्र महाराज को दैत्यों और असुरों के गुरु के रूप में दर्शाया गया है। इन्हें शुक्राचार्य और असुराचार्य भी कहा जाता है और साथ ही भोर का तारा भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख का कारक माना जाता है। कुंडली में शुक्र के प्रभाव से जातकों को भौतिक सुख, विलासिता, प्रसिद्धि आदि की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष में शुक्र के गोचर को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह राशियों के जीवन में कई सारे बदलाव ला सकते हैं।

शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं। सामान्य तौर पर, शुक्र हमारे जीवन में धन, समृद्धि, सुख, आनंद, यश, आकर्षण, सुंदरता, युवावस्था, प्रेम संबंध, प्रेम इच्छाओं को दर्शाता है। यह रचनात्मकता, कला, संगीत, कविता, डिजाइनिंग, मनोरंजन, शो, ग्लैमर, फैशन, गहने, कीमती पत्थर, श्रृंगार, लक्जरी यात्रा, लक्जरी भोजन, लक्जरी वाहन आदि के कारक भी हैं।

शुक्र ग्रह का दहन और वक्री होना

शुक्र के गोचर की अवधि लगभग 23 दिन की होती है यानी यह एक राशि में 23 दिनों तक मौजूद रहते हैं। इस बार शुक्र वक्री अवस्था में 7 अगस्त 2023 से 2 अक्टूबर 2023 तक 57 दिनों के लिए कर्क राशि में मौजूद रहेंगे और इस बीच 8 अगस्त 2023 को अस्त भी होंगे।

साधारण शब्दों में जानें तो किसी ग्रह का अस्त होना एक ऐसी स्थिति होती हैं जब कोई ग्रह सूर्य के बहुत करीब आ जाता है। सूर्य के बहुत नज़दीक होने से ग्रह अपनी शक्ति खो देते हैं और इसे ही ग्रह का अस्त होना कहा जाता हैं। शुक्र सूर्य के दोनों ओर 10 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माने जाते हैं। वहीं यदि शुक्र वक्री गति से चल रहे हों तो 8 डिग्री समीप आने पर अस्त माने जाते हैं।

किसी भी ग्रह का वक्री होना वह प्रक्रिया है, जब कोई भी ग्रह अपनी सामान्य दिशा की बजाए उल्टी दिशा यानी विपरीत दिशा में चलता हुआ प्रतीत होता है तो उसे वक्री ग्रह कहा जाता है। वास्तव में कोई ग्रह उल्टा नहीं चलता लेकिन परिभ्रमण पथ की स्थिति के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि वह उल्टी दिशा में जा रहा है। शुक्र ग्रह का वक्री होना ज्योतिष शास्त्र में एक अद्भुत घटना है जिसका सीधा प्रभाव जातक के जीवन पर विशेष रूप से पड़ता है। ज्योतिष में शुक्र का वक्री होना एक ऐसी स्थिति है जो हर 18 महीने में होती है और यह छह सप्ताह तक चलता है। शुक्र की वक्री अवस्था के परिणामस्वरूप जातक आर्थिक जीवन व प्रेम जीवन में सोच समझकर फैसला लेने में सक्षम होता है वहीं अगर नकारात्मक प्रभाव की बात करें तो कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसी क्रम में शुक्र कर्क राशि में वक्री व अस्त हो रहे हैं। कर्क राशि की बात करें तो सभी 12 राशियों में कर्क राशि चौथी जल तत्व की राशि है जो स्वभाव से स्त्री है। इस राशि का चिन्ह केकड़ा है और इनके स्वामी चंद्रमा हैं।

यह राशिफल आपकी चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी व्यक्तिगत चन्द्र राशि अभी जानने के लिए चंद्र राशि कैलकुलेटर का उपयोग करें।

To Read In English: Retro Venus Combust In Cancer On 8 August 2023

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और सातवें भाव के स्वामी हैं। दूसरा भाव परिवार, धन और संवाद को दर्शाता है और सातवां भाव जीवनसाथी का भाव होता है। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके चौथे भाव में होगा। चौथा भाव माता, घरेलू जीवन, घर, वाहन, संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। मेष राशि वालों के लिए यह अवधि अनुकूल न रहने की आशंका है। इस दौरान आपको दूसरे और सातवें भाव से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आप धन का संचय करने में असफल हो सकते हैं, बातचीत में समस्या आ सकती है, सोचने-समझने की क्षमता कमज़ोर हो सकती है व स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त जीवनसाथी या परिवार के करीबी सदस्यों के साथ आपके रिश्ते संबंध को प्रभावित कर सकता है और व्यावसायिक साझेदार से भी आपके संबंधों में खटास आ सकती है। इस दौरान आपको अपने जीवनसाथी और प्रियजनों के समक्ष अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई महसूस हो सकती है। वहीं माता जी से नोकझोंक होने की संभावना है और उनका स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है। जिसके कारण पारिवारिक सुख में कमी आ सकती है। नौकरीपेशा जातकों को भी इस दौरान अच्छे परिणाम मिलते नज़र नहीं आ रहे हैं।

उपाय: हर स्त्री का सम्मान करें और उन्हें उपहार भेंट करें।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए शुक्र आपके लग्न और छठे भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके तीसरे भाव यानी कि भाई-बहनों, शौक, कम दूरी की यात्रा, संचार कौशल के भाव में होगा। शुक्र आपके लग्न भाव के स्वामी हैं जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही आपके छोटे भाई-बहनों को भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होगी। सकारात्मक पक्ष की बात करें तो छठे भाव के स्वामी के अस्त होने पर आपके शत्रुओं को नियंत्रित कर सकता है और इस दौरान आपके शत्रु आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त अवस्था के कारण शुक्र की नौवें भाव पर दृष्टि होने की वजह से आपके माता-पिता और गुरु के साथ रिश्ते में समस्या आ सकती है।

उपाय: प्रतिदिन सुबह नींबू पानी पिएं।

मिथुन राशि

मिथुन राशि वालों के लिए शुक्र पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके दूसरे भाव यानी कि परिवार, बचत और संवाद के भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप आपको मिले जुले परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। असुरक्षा की भावना के कारण एकाग्रता में कमी महसूस हो सकती है। जो लोग प्रेम संबंध में हैं उनके रिश्ते में खटास आने की संभावना है। गर्भवती महिलाओं को भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और माता-पिता को अपने बच्चों से किसी प्रकार की परेशानी हो सकती है। सकारात्मक पक्ष को देखें तो बारहवें भाव के स्वामी के अस्त होने पर आपके ख़र्चों पर नियंत्रण रहेगा। हालांकि कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके आर्थिक जीवन में चुनौतियां लेकर आ सकता है। साथ ही, इस दौरान अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी कठिनाइयां महसूस हो सकती है। इसके अलावा ससुराल पक्ष से भी संबंध में उतार-चढ़ाव की स्थिति रहेगी।

उपाय: घर से निकलने से पहले कुछ मीठा जरूर खाएं और हर किसी से विनम्रता से बात करने का प्रयास करें।


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कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए शुक्र चौथे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके लिए एक शुभ ग्रह है। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके लग्न यानी पहले भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप आपके अंदर अपने रूप-रंग और व्यक्तित्व को लेकर आत्मविश्वास की कमी दिख सकती है। इसके अलावा धन की समस्या भी हो सकती है। यह अवधि निवेश के लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। ऐसे में किसी भी तरह के निवेश करने से बचना चाहिए।

कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त माता के साथ आपके संबंध खराब कर सकता है और उनके स्वास्थ्य में भी गिरावट देखने को मिल सकती है जिसके कारण पारिवारिक जीवन में सुख की कमी महसूस हो सकती है। सातवें भाव यानी कि विवाह और जीवनसाथी के भाव पर अस्त और वक्री शुक्र की दृष्टि के फलस्वरूप वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है और जीवन साथी के साथ संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय: दूसरों के समझ खुद को अच्छे से पेश करें, साफ-सुथरे कपड़े पहनें और चंदन का इत्र लगाएं।

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए शुक्र तीसरे और दसवें भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके बारहवें यानी कि विदेशी भूमि के भाव में होगा। सिंह राशि के जातकों का पेशेवर जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप आपको बहुत अधिक यात्रा करनी पड़ सकती है। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके खर्चों में वृद्धि कर सकता है। इस दौरान किसी भी प्रकार का लेने-देन करने से बचें। इसके अलावा इस अवधि में आपके छोटे भाई-बहनों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं परेशान कर सकती हैं और आपके निजी जीवन में भी उतार-चढ़ाव आने की आशंका है। अस्त और वक्री शुक्र की दृष्टि आपके छठे भाव यानी कि प्रतियोगिता के भाव में पड़ रही है और इसके परिणामस्वरूप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को समस्या हो सकती है।

उपाय: अपने कार्यक्षेत्र में श्री यंत्र की स्थापना करें और उसकी विधि-विधान से पूजा करें।

कन्या राशि

कन्या राशि वालों के शुक्र धन के दूसरे और भाग्य के नौवें भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके ग्यारहवें भाव यानी कि आर्थिक लाभ, इच्छा, बड़े भाई-बहनों और चाचा के भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप पिता, गुरु व बड़े भाई के साथ आपके संबंधों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके आर्थिक जीवन के लिए भी अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है। शुक्र आपके दूसरे भाव के भी स्वामी हैं जिसके कारण आप बचत करने में असमर्थ हो सकते हैं, आपकी वाणी में कठोरता आ सकती है जिससे परिवार के करीबी सदस्यों के साथ आपके संबंध खराब हो सकते हैं और इसे लेकर आप ज़्यादा सोच-विचार करते हुए नज़र आ सकते हैं जिसका प्रभाव आपके स्वास्थ्य में देखने को मिल सकता है शुक्र की वक्री व अस्त अवस्था के कारण कन्या राशि के छात्रों की पढ़ाई में बाधाएं उत्पन्न हो सकती है। प्रेम और वैवाहिक जीवन की बात करें तो इस दौरान आपके रिश्ते में कई समस्याएं आ सकती है। वहीं वैवाहिक जातक अपने बच्चों के लिए चिंतित हो सकते हैं।

उपाय: इस दौरान वराहमिहिर की कथाएं पढ़ें।


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तुला राशि

तुला राशि वालों के लिए शुक्र लग्न और आठवें भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके दसवें भाव यानी कि पेशे के भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि इस दौरान आप किसी कारणवश बीमार पड़ सकते हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके दसवें भाव भाव में होने के परिणामस्वरूप आपको अपने पेशेवर जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है और आपकी समाज में छवि खराब हो सकती है। हालांकि सकारात्मक पक्ष की बात करें तो आठवें भाव के स्वामी के अस्त होने के परिणामस्वरूप अचानक से आने वाली समस्याओं पर नियंत्रण लगेगा। वक्री और अस्त शुक्र की दृष्टि आपके चौथे भाव पर होगी जिसके फलस्वरूप माता जी से आपके संबंध खराब हो सकते हैं और उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। ऐसे में घर-परिवार की शांति भंग हो सकती है।

उपाय: शुक्र की कृपा पाने के लिए अपने दाहिने हाथ की छोटी उंगली में सोने से बनी अंगूठी में उच्च गुणवत्ता वाला ओपल या हीरा पहनें।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि वालों के लिए शुक्र बारहवें और सातवें भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके धर्म, पिता, लंबी दूरी की यात्रा, तीर्थ यात्रा व भाग्य के नौवें भाव में होगा। इसके परिणामस्वरूप भाग्य का साथ मिलने में देरी हो सकती है। पिता और गुरु से आपके संबंध बिगड़ सकते हैं और उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है।

कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके वैवाहिक जीवन में कई परेशानियां लेकर आ सकता है। वहीं जो लोग विवाह करने के इच्छुक हैं उन्हें भी चुनौतियों से दो चार होना पड़ सकता है। इस दौरान आपके छोटे भाई-बहनों को भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की संभावना है और आपके निजी जीवन में भी उतार-चढ़ाव आने की आशंका है। सकारात्मक पक्ष की बात करें तो बारहवें भाव के स्वामी के अस्त होने के परिणामस्वरूप आपके खर्चों पर नियंत्रण रहेगा।

उपाय- अपने जीवन साथी को उपहार और इत्र भेंट करें।


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धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए शुक्र छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके दीर्घायु, अचानक से होने वाली घटना, गोपनीयता के आठवें भाव में होगा। शुक्र आपके लिए शुभ ग्रह प्रतीत नहीं हो रहा है। हालांकि कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके आठवें भाव में होगा इसके परिणामस्वरूप अचानक से आने वाली समस्याओं से राहत मिलेगी। वहीं छठे भाव के स्वामी के अस्त होने पर आपके शत्रु या विरोधी आपको किसी भी तरह से हानि नहीं पहुंचा पाएंगे। आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह अवधि आपके लिए चुनौतियों से भरी हुई प्रतीत हो रही है। इस दौरान किसी भी प्रकार का निवेश करने से बचें। हो सकता है कि इस अवधि में आपकी इच्छाओं की पूर्ति न हो। इसके अलावा आपके अपने परिवार व ससुराल पक्ष के लोगों के साथ आपके संबंध खराब हो सकते हैं। ऐसे में आपको करीबियों से बात करते समय अपनी वाणी को नियंत्रण में रखने की सलाह दी जाती है।

उपाय: प्रतिदिन महिषासुर मर्दिनी का पाठ करें।

मकर राशि

कर्क राशि वालों के लिए शुक्र पांचवें और दसवें भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके विवाह, जीवनसाथी, व्यवसाय और साझेदारी के सातवें भाव में होगा। शुक्र आपके लिए एक योगकारक ग्रह है लेकिन यह वक्री व अस्त हो रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप यह अवधि आपके लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। प्रेम में पड़े जातकों को इस दौरान साहस में कमी महसूस हो सकती है। संभव है कि आपके रिश्ते को परिवार वाले स्वीकार न करें। जो लोग शादीशुदा हैं उनका पार्टनर इस दौरान अत्यधिक भावुक हो सकता है जिसके चलते आपको समस्या हो सकती है। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त मकर राशि के छात्रों के लिए उतार-चढ़ाव लेकर आ सकता है। आपका पढ़ाई से मन हट सकता है। वहीं नौकरी करने वाले जातकों के लिए भी यह अवधि अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। इस दौरान कार्यक्षेत्र में आपकी छवि खराब हो सकती है और आपका आकर्षण कुछ कम हो सकता है।

उपाय: अपने शयनकक्ष (बेडरूम) में गुलाबी रंग का क्वार्ट्ज पत्थर रखें।

कुंभ राशि

कुंभ राशि वालों के लिए शुक्र चौथे और नौवें भाव के स्वामी हैं। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके छठे भाव यानी कि शत्रु, स्वास्थ्य, प्रतियोगिता, चाचा के भाव में होगा। शुक्र आपके लिए एक योगकारक ग्रह है लेकिन शुक्र की वक्री व अस्त अवस्था आपके लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। हालांकि छठे भाव के स्वामी के अस्त होने के परिणामस्वरूप आप अपने शत्रुओं को नियंत्रण में रख सकेंगे और शत्रु आपको किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचा पाएंगे। हालांकि इस दौरान आपको अपने माता-पिता से विरोध का सामना करना पड़ सकता है जिससे विवाद पैदा हो सकता है। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके स्वास्थ्य के लिए अनुकूल साबित नहीं होने की आशंका है। इस दौरान आपको कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे पेट में दर्द, हार्मोनल असंतुलन या छाती के संक्रमण से ग्रस्त हो सकते हैं। साथ ही, अपने माता-पिता की सेहत को लेकर भी सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि उन्हें भी कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं परेशान कर सकती है।

उपाय: अपने घर में सफेद सुगंधित फूलों के पौधे लगाएं और उनकी अच्छे से देखभाल करें।

मीन राशि

शुक्र मीन राशि वालों के लिए तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं और कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके पांचवें भाव यानी कि शिक्षा, प्रेम संबंध और संतान में होगा। इसके परिणामस्वरूप आप इस दौरान भावनात्मक रूप से आहत हो सकते हैं। शादीशुदा जातकों को अपने बच्चों की तरफ से समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, प्रेम जीवन में भी उतार-चढ़ाव की स्थिति पैदा हो सकती है और शिक्षा के क्षेत्र में भी कई बाधाएं आ सकती है। कर्क राशि में शुक्र वक्री एवं अस्त आपके छोटे भाई-बहनों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है और कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी दे सकता है। सकारात्मक पक्ष की बात करें तो अचानक आने वाली समस्याओं में कमी आएगी। शेयर मार्केट से जुड़े लोगों को इस अवधि में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है अन्यथा हानि होने की संभावना हो सकती है क्योंकि पांचवें भाव से अस्त और वक्री शुक्र की दृष्टि आपके ग्यारहवें भाव में होगी।

उपायः प्रतिदिन शुक्र होरा के दौरान शुक्र मंत्र का जाप करें।


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