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आज का गोचर

ज्योतिष में प्रायः गोचर से तात्पर्य होता है किसी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना। वैदिक ज्योतिष का पूरा गणित नवग्रह, 12 राशि और 27 नक्षत्र पर आधारित है। इनमें हर ग्रह एक निश्चित समय पर एक राशि से दूसरी राशि में गमन करता है, इसे ही ग्रहों का गोचर कहा जाता है। अगर आप भी वर्तमान में ग्रहों की स्थिति जानना चाहते हैं, तो नीचे दिये गये फार्म में केवल स्थान दर्ज करें–

जन्म संबंधी विवरण
एडवांस सेटिंग




गोचर ग्रह के राशि-परिवर्तन से होता है ग्रहों की गोचरीय स्थिति जानने के लिए पंचांग प्रमुख माध्यम है। चूंकि अब जमाना टेक्नोलॉजी का है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए एस्ट्रोसेज ने ‘आज का गोचर’ सेवा को तैयार किया है। इस सेवा का लाभ आप मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर आदि के माध्यम से उठा सकते हैं।

आज का गोचर क्या है?

वैदिक ज्योतिष की बुनियाद ग्रहों पर टिकी हुई है और बिना ग्रह व नक्षत्र के ज्योतिष विद्या की कल्पना नहीं की जा सकती है। आपने अक्सर जन्म कुंडली में 12 भागों में बंटी एक तालिका देखी होगी। दरअसल ये तालिका कुंडली के 12 भावों में बैठे ग्रहों की स्थिति को दर्शाती है। इससे पता चलता है कि कौन सा ग्रह किस भाव में बैठा है और वह कैसा फल देगा। चूंकि ग्रहों की चाल में निरंतर परिवर्तन होते हैं और इसी आधार पर राशिफल या भविष्यफल की गणना की जाती है।

आज का गोचर जानना क्यों है जरूरी?

वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों का बड़ा महत्व है। इन्हीं ग्रहों की दशा व दिशा के आधार पर किसी भी व्यक्ति के आने वाले कल का अनुमान लगाया जा सकता है। आज होने वाली ग्रहों की गोचरीय स्थिति की जानकारी मिलने से आप विभिन्न क्षेत्रों में होने वाली हलचलों का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। मान लीजिये आप अगर यह जानना चाहते हैं कि नौकरी के लिहाज से आज का दिन मेरा कैसा रहने वाला है, तो आप शनि की गोचरीय स्थिति से इसका अंदाजा लगा सकते हैं। क्योंकि वैदिक ज्योतिष में शनि को सेवा और कर्म का कारक कहा गया है और यह नौकरी में होने वाले परिवर्तन को दर्शाता है। ठीक इसी प्रकार दूसरे ग्रह भी अन्य विषयों के कारक हैं-

सूर्य: ज्योतिष में सूर्य को सरकारी नौकरी, उच्च पद, मान-सम्मान, आत्मा, पूर्वज, नेत्र पीड़ा, पिता, राजनीति, चिकित्सा विज्ञान और आत्म विश्वास का कारक माना गया है।

चंद्रमा: चंद्रमा को मन, माँ, यात्रा, जल, मनोविकार और धन आदि का कारक माना गया है।

मंगल: वैदिक ज्योतिष में मंगल को साहस, पराक्रम, ऊर्जा, क्रोध, शक्ति, विवाद, युद्ध,शत्रु और भूमि आदि का कारक होता है।

बुध: भारतीय ज्योतिष में बुध को बुद्धिमता, तर्कशक्ति, गणित, त्वचा, चेतना, व्यापार, सांख्यिकी, मामा और मित्र आदि का कारक कहा गया है।

गुरु: वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को ज्ञान, दर्शन, विवेक, धर्म, गुरु, आध्यात्मिकता, परोपकारी कार्य और पुत्र का कारक माना जाता है।

शुक्र: शुक्र ग्रह जीवनसाथी, कला, प्रेम, सौंदर्य, भौतिक सुख, वाहन, संगीत और शयन सुख का कारक होता है।

शनि: न्याय प्रिय शनि देव को आयु, नौकरी, दुःख, गरीबी, आकस्मिक संकट, विदेशी भाषा, लोहा और तेल समेत विभिन्न वस्तुओं का कारक होता है।

राहू: राहू कठोर वाणी, जुआ, भ्रमित बुद्धि, जहर, चोरी, दुष्टता, त्वचा की बीमारियाँ और धार्मिक यात्राएँ आदि का कारक कहा गया है।

केतु: केतु को तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, दर्द, बुखार, घाव, शत्रुओं को नुकसान पहुंचाना और मोक्ष का कारक माना गया है।

सभी नवग्रह अपने प्रभाव से मनुष्य के जीवन को निरंतर प्रभावित करते हैं। एक पल में हमें मिलने वाली सफलता-असफलता और सुख-दुःख ग्रहों की स्थिति में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप होती है। इसीलिए बेहतर भविष्य और सफलता प्राप्ति के लिए ग्रहों के गोचर की वर्तमान स्थिति का पता लगाना महत्वपूर्ण हो जाता है।

पढ़ें सभी नवग्रहों की शांति के लिए विशेष ज्योतिषीय उपाय

आज के गोचर से होने वाले लाभ

वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की वर्तमान स्थिति से भविष्य में होने वाले परिवर्तनों का अंदाजा लगाया जा सकता है, इसलिये ग्रहों के गोचरीय स्थिति जानने के कई फायदे होते हैं।

  • ग्रहों की स्थिति और उनका आपके जीवन पर होने वाला प्रभाव
  • अशुभ फल देने की स्थिति में ग्रह शांति के आवश्यक उपाय
  • नौकरी, व्यापार, शिक्षा में होने वाले परिवर्तन की जानकारी
  • प्रेम, विवाह और पारिवारिक जीवन पर ग्रहों का पड़ने वाला असर

नवग्रहों की सभी 12 भावों में स्थिति का फल

सूर्य- सूर्य चंद्र राशि से 3,6,10 और 11 वें भाव में श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। जबकि शेष भावों में सूर्य का फल ज्यादा अच्छा नहीं माना गया है।

चंद्र- चंद्रमा जन्मकालीन राशि से 1,3,6,7,10 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। वहीं चंद्रमा के 4,8 और 12 वें भाव में रहने से बुरे फल मिलते हैं।

मंगल- मंगल चंद्रराशि से 3,6,10 और 11 वें भाव में शुभ तथा 4,8 और 12 वें भाव में अशुभ फल देता है।

बुध- बुध ग्रह चंद्रराशि से 2,4,6,8,10 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है, बाकी अन्य भावों में यह अशुभ फल प्रदान करता है।

गुरु- गुरु चंद्र राशि से 2,5,7,9 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

शुक्र- शुक्र चंद्र राशि से 1,2,3,4,5,8,9,11 और 12 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

शनि- शनि चंद्र राशि से 3,6,11 भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

राहु- राहु चंद्र राशि से 3,6,11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

केतु- केतु चंद्र राशि से 1,2,3,4,5,7,9, और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

ग्रहों से जुड़े यह सभी कारकत्व और विभिन्न भावों में उनके प्रभाव ग्रह गोचर की उपयोगिता के महत्व को दर्शाते हैं।

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