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वक्री गुरु का कुंभ राशि में गोचर (20 जून 2021)

ज्योतिष शास्त्र में वक्री किसी न किसी तरह से हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि यह आपके जीवन के कुछ कार्यो पर विराम लगाता है और संबंधित ग्रह द्वारा शासित क्षेत्रों में आपको समीक्षा, पुनर्मूल्यांकन और संशोधन करने को मजबूर करता है। बृहस्पति भाग्य और प्रचुरता का कारक ग्रह माना जाता है, जब यह ग्रह वक्री होता है तो इसकी गति धीमी हो जाती है जिससे व्यक्ति निराशा की तुलना में ज्ञान अधिक प्राप्त करता है। सौभाग्य, शिक्षा, दर्शन और अभ्यास को दर्शाने वाला यह ग्रह जब वक्री होता है तो व्यक्ति आंतरिक विकास की ओर बढ़ता है।

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गुरु का कुंभ राशि में वक्री गोचर

गुरु प्रत्येक वर्ष वक्री होता है, और इस दौरान जो वृद्धि सामान्य रूप से बाहर की ओर निर्देशित होती है वह अंदर की ओर मुड़ जाती है। हमारे रोजमर्रा के जीवन में अच्छी तरह से बढ़ने वाली चीजें धीमी या बंद हो जाती हैं, जो हमें चीजों के विभिन्न पहलुओं और हमारी समस्याओं को दूर करने के नए तरीकों पर विचार करने के लिए हमें मजबूर करती हैं। जब गुरु कुंभ राशि में वक्री होता है, तो हम जिन कामों को करना चाहते हैं या जिन क्षेत्रों में आगे बढ़ना चाहते हैं उनकी समीक्षा करने का हमें समय मिलता है, और फिर मार्गी गुरु के दौरान अपनी समीक्षाओं को कार्यरूप में परिणित करके हम जीवन में आने वाली चुनौतियों से लड़ सकते हैं। अत: गुरु वक्री, हमें अपनी योजनाओं के विकास और उन्नति के लिए तैयार करता है, जिससे हमें बेहतर सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।

गुरु हर 13 महीने में लगभग चार महीने के लिए वक्री हो जाता है। इस गोचर अवधि के दौरान, हम अपनी मान्यताओं, मूल्यों पर काम करते हैं, और समाज के बने-बनाए ढर्रे से निकलने की कोशिश करते हैं। वक्री गुरु सट्टेबाजी, निवेश या जुए के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है क्योंकि इस अवधि के दौरान जीतने की संभावना कम होती है।

20 जून, 2021 को गुरु ग्रह कुंभ राशि में वक्री हो जाएगा और 14 सितंबर, 2021 को यह मार्गी गति शुरु करेगा। इसके बाद यह मकर राशि में प्रवेश करेगा।

आईए देखते हैं कि सभी राशियों के लिए इसके परिणाम क्या होंगे:

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मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए, गुरु नौवें और बारहवें घर का स्वामी है और आय, लाभ और इच्छा के आपके ग्यारहवें घर में यह वक्री गोचर करेगा। ग्यारहवें घर में गुरु का होना यह दर्शाता है कि आपको अपनी इच्छाओं, उम्मीदों और सपनों को पूरा करने में इस दौरान कठिनाई होगी। इस अवधि के दौरान आप जो भी उम्मीद कर रहे हैं उसे पूरा होने में देरी हो सकती है या आपको अपने उम्मीद के अनुसार फल प्राप्त नहीं होंगे। आर्थिक रूप से आपको कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और भविष्य में आपके खर्चों में भी वृद्धि होने की संभावना है। आपके प्रेम संबंधों पर नजर डाली जाए तो इस दौरान संगी के लिए आपके पास पर्याप्त समय नहीं होगा, आपको सलाह दी जाती है कि किसी भी तरह की गलतफहमी से बचने के लिए अपने जीवनसाथी के साथ उचित संचार बनाए रखें और उन्हें समय दें। विवाहित जातक यदि अपने परिवार का विस्तार करना चाहते हैं तो उन्हें गुरु के मार्गी होने तक का इंतजार करना चाहिए। स्वास्थ्य जीवन पर नजर डाली जाए तो, यह आपके लिए एक अनुकूल समय अवधि है, आपको उचित आहार और स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने की सलाह दी जाती है।

उपाय: श्री रुद्रम का पाठ करें।

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए, बृहस्पति इनके आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और करियर, नाम और प्रसिद्धि के दसवें घर में यह स्थानांतरित हो रहा है। दसवें घर में गुरु के वक्री गोचर के दौरान आपको अपना धैर्य स्तर बनाए रखना होगा और कोई भी कार्य करते समय को सावधान रहना होगा क्योंकि इस अवधि में आपको बहुत संघर्ष करना पड़ सकता है। आपको यह सलाह दी जाती है कि अपनी वाणी और शब्दों पर ध्यान दें और सभी का सम्मान करें। व्यावसायिक और पेशेवर जीवन को लेकर आपको सलाह दी जाती है कि कोई भी नई परियोजना इस दौरान शुरू न करें, कार्यक्षेत्र में भले ही स्थितियां इस दौरान आपके अनुकूल न हों लेकिन जॉब चेंज करने की बात इस दौरान अपने ख्याल में न लाएं। हालांकि कारोबारियों को इस दौरान लाभ मिलने की पूरी संभावना है हालांकि लाभ की राशि मिलने में थोड़ा विलंब होने की संभावना है। पारिवारिक वातावरण आपके लिए अनुकूल रहेगा क्योंकि इस अवधि में आपके परिवार में सुख और शांति की वृद्धि होगी।

उपाय: गुरुवार का व्रत करना आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगा।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए, गुरु सातवें और दसवें घर का स्वामी है और धर्म, अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं और भाग्य के नौवें घर में यह गोचर कर रहा है। वक्री गुरु जब नौवें घर में होगा तो यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए अशांति पैदा करेगा, लेकिन धीरे-धीरे शिक्षा के क्षेत्र में इस राशि के जातकों को सुधार देखने को मिलेगा, आपकी शिक्षा पूरी हो सकती है लेकिन संभव है कि संबंधित क्षेत्र में आपका करियर न बने। नौवें घर में गुरु का वक्री एक अलग विश्वास प्रणाली देता है, इस दौरान आप अपने गुरुओं से हटकर विचार बना सकते हैं, इस गोचर के दौरान आपको कानूनी प्रणाली के साथ कुछ समस्याएं हो सकती हैं। पेशेवर जीवन पर नजर डालें तो, यदि आपके पास नौकरी नहीं है या आपके पास जो नौकरी है वह संतोषजनक नहीं है, तो आपको एक नया अवसर मिल सकता है लेकिन आपको धैर्य रखने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसमें कुछ देरी हो सकती है। इस गोचर के दौरान आपका परिवार आपका सहयोग करेगा और संतान और भाईयों का भी आपको पूरा साथ मिलेगा। आप अपनी कड़ी मेहनत के जरिये अपनी कई भौतिक इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं और आपको उन समस्याओं से राहत मिलेगी जो आपने पहले झेली हैं।

उपाय: गुरुवार के माथे पर केसर या हल्दी का टीका लगाएं।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए गुरु छठे और दसवें घर का स्वामी है और यह संयुक्त उद्यम, कर, बीमा, ऋण और मृत्यु के आठवें घर में गोचर कर रहा है। अष्टम भाव में गुरु हो तो जातक को कर राशि में लाभ दे सकता है, लेकिन इसमें देरी भी होगी। बीमा लाभ प्राप्त करने के लिए आपको अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता है। हालांकि आप अपनी यौन इच्छाओं के प्रति बहुत सक्रिय होंगे लेकिन गुरु के वक्री होने के कारण यौन जीवन में कुछ असंतोष हो सकता है। आध्यात्मिक विषयों को लेकर आपमें बेचैनी देखी जा सकती है। इस दौरान आध्यात्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ने में आपको दिक्कतें आ सकती हैं। स्वास्थ्य के लिहाज से आपको यह सलाह दी जाती है कि जितना हो सके अपनी सेहत के प्रति सतर्क रहें, क्योंकि इस दौरान आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। अपनी ऊर्जा को बेवजह के कामों में इस दौरान बर्बाद करने से आपको बचना चाहिए।

उपाय: गुरु बीज मंत्र ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः’ का पाठ करें।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए, गुरु पांचवें और आठवें भाव का स्वामी है और शादी और साझेदारी के सातवें घर में इसका वक्री गोचर हो रहा है। वक्री गुरु इस राशि के जातकों को उदार और नैतिकतावादी साथी की तलाश करवाएगा। इस राशि के जातक प्रेम-संबंध में स्वतंत्रता चाहते हैं, लेकिन गुरु के वक्री के दौरान कुछ परतंत्रता प्रेम के रिश्ते में देखी जा सकती है। चूंकि गुरु विवाह का कारक ग्रह है और इस दौरान यह वक्री अवस्था में रहेगा इसलिए कुछ जातक इस दौरान दूसरी शादी कर सकते हैं। पेशेवर रूप से, आपको नौकरी में बदलाव करने से इस दौरान बचना चाहिए क्योंकि यह आपके लिए फायदेमंद साबित नहीं होगा। कार्यक्षेत्र में इस दौरान सहकर्मियों के साथ आप संघर्ष करते देखे जा सकते हैं। आर्थिक रूप से भी आपको उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ सकता है और पैसों के लेन-देन में लाभ की संभावना भी बहुत कम है।

उपाय: पीला नीलम पहनें।

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए, गुरु चौथे और सातवें घर का स्वामी है और यह आपके छठे भाव में वक्री गोचर कर रहा है। छठा भाव संघर्ष, अप्रिय काम, तलाक, शत्रुओं आदि का कारक माना जााता है। इस गोचर के दौरान कन्या राशि के जातक शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत नजर आएंगे आप अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होंगे कार्यक्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों पर आप हावी होंगे। आपके स्वास्थ्य पर गुरु के वक्री का कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है आपको ब्लड शुगर होने के आसार हैं, इसलिए अपना ख्याल रखें। साथ ही कुछ जातकों का वजन भी इस दौरान बढ़ सकता है। इस राशि के पेशेवर जातकों को कार्यक्षेत्र में बहुत अधिक कार्य करना पड़ सकता है आपके सहकर्मी इस दौरान आपका सहयोग नहीं करेंगे और आपका फायदा उठाना चाहेंगे। अगर आप किसी तरह की भी प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं तो इसमें सफलता पाने के लिए आपको बहुत कड़ी मेहनत करने की जरूरत होगी। इस राशि के जातकों को शादीशुदा जीवन में भी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय: गुरु स्तोत्र का पाठ करें।

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तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए गुरु उनके तीसरी और छठे भाव का स्वामी है और यह आपके रोमांस, निवेश, संतान, शिक्षा, खेल, शेयर बाजार आदि के पंचम भाव में वक्री गोचर कर रहा है। इस राशि के जातकों को गुरु वक्री के दौरान दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आपके रोमांस करने के ख्वाब इस दौरान हकीकत में नहीं बदलेंगे। इस गोचर के दौरान तुला राशि के जातक भावना शून्य हो सकते हैं खासकर अपने बच्चों को लेकर। इस राशि के जातक एक से अधिक विपरीत लिंगी लोगों के साथ इस समय रिश्ते में हो सकते हैं। इस राशि के जो जातक शादी करना चाहते हैं उनको भी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और शादी में देरी भी हो सकती है। इस वक्री के दौरान कुछ जातकों की शादी बिना लाइसेंस के यानि कि बिना घरवालों की सहमति के हो सकती है। इस दौरान आपको सट्टेबाजी से बच कर रहना चाहिए आप शेयर बाजार में कोई भी भारी निवेश न करें क्योंकि इस दौरान आपकी उम्मीदों के अनुसार आपको लाभ प्राप्त होने के आसार कम हैं।

उपाय: गाय को गुड़ और आटा खिलाएं।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए गुरु द्वितीय और पंचम भाव का स्वामी है। वर्तमान में यह आपके, सुख माता आराम, वाहन आदि के चतुर्थ भाव में वक्री गोचर कर रहा है। यह गोचर इस राशि के जातकों को अहंकार से भर देगा और आप बहुत घमंडी हो सकते हैं। आप लोगों के प्रति गलत शब्दों का प्रयोग करके अपने लिए नए दुश्मन बना सकते हैं। आर्थिक रूप से यह समय आपके लिए भाग्यशाली रहेगा और अपने कड़े प्रयासों से आप सफलता भी अर्जित करेंगे। माता के साथ आपके संबंधों में कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। आपकी मानसिक शांति बिगड़ सकती है, वहीं जिन जातकों के पास वाहन है उनके वाहन में भी कोई खराबी आने की संभावना है। चतुर्थ भाव में गुरु के होने से प्रॉपर्टी और वाहन का सुख मिलता है साथ ही परिवार वालों का साथ भी इस गुरु के चतुर्थ भाव में होने से मिलता है लेकिन क्योंकि गुरु वक्री गति में है इसलिए जैसी उम्मीदें आप लगाएंगे वैसे आपको रिजल्ट नहीं मिलेंगे। आप खुद को शारीरिक रूप से कमजोर पाएंगे। इस दौरान आपकी आर्थिक स्थिति ठीक-ठाक बनी रहेगी। इस राशि के जातकों को इस गोचर के दौरान सम्मान प्राप्त होगा और आप अपने काम से अवकाश लेकर कुछ फुरसत के क्षण इस दौरान बिता सकते हैं।

उपाय: हर गुरुवार को पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं, उसे बिना छुए।

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धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए गुरु उनके प्रथम और चतुर्थ भाव का स्वामी है और यह आपके तृतीय भाव में वक्री गोचर करेगा। तृतीय भाव आपके भाई-बहनों, पड़ोसियों, संचार, कम दूरी की यात्राओं, साहस-पराक्रम आदि का कारक माना जाता है। इस दौरान भाई-बहनों के साथ संबंधों में कुछ कटुता आ सकती है और आप उनके साथ संबंधों को लेकर असंतुष्ट हो सकते हैं। भाई-बहनों के साथ वैचारिक मतभेद हो सकता है। समाजिक और पेशेवर जीवन में आपके प्रयास सफल होंगे और आपको सम्मान की प्राप्ति होगी। आर्थिक रूप से भी आपके लिए समय अच्छा रहेगा इस दौरान आप बहुत ज्यादा महत्वकांक्षी हो सकते हैं और घमंड की भावना भी आपके अंदर आ सकती है। अपने घमंड को ज्यादा देर तक अपने आप पर हावी ना होने दें नहीं तो उससे आपको दिक्कतें आ सकती हैं। गुरु के इस वक्री के दौरान आपको संचार करने में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जो चीजें आपके पास हैं उनको व्यवस्थित बनाए रखने में भी आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, चीजों को कैसे व्यवस्थित रखना है इसके लिए नए तरीके आपको सीखने चाहिए।

उपाय: रुद्र अभिषेकम का पाठ करें।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए गुरु उनके द्वादश और तृतीय भाव का स्वामी है। वर्तमान स्थिति में यह आपके परिवार, वाणी, संचार आदि के द्वितीय भाव में वक्री गति करेगा। इस गोचर के दौरान आपको कुछ अनचाहे खर्च करने पड़ सकते हैं, वित्तीय असंतुलन के कारण आपकी जीवनशैली में भी इस दौरान बदलाव आ सकते हैं। गुरु के इस गोचर के दौरान आपको पैतृक संपत्ति मिलने की पूरी संभावना है लेकिन आपको पता नहीं होगा कि आपको इस संपत्ति का सही इस्तेमाल कैसे करना है। इस गोचर के दौरान आप अपनी सुरक्षा को लेकर संवेदनशील हो सकते हैं। आप इस दौरान अपने पारिवारिक मूल्यों के बारे में सोच विचार तो अवश्य करेंगे लेकिन इनका पालन आप नहीं करना चाहेंगे।

उपाय: गुरुवार के दिन पीले चावल बनाएं और लोगों में बांटें।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए गुरु उनके एकादश और द्वितीय भाव का स्वामी है। वर्तमान स्थिति में गुरु आपके आत्मा, स्वास्थ्य आदि के प्रथम भाव में वक्री गोचर कर रहा है। गुरु के इस वक्री गोचर के दौरान आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। ज्योतिष में गुरु को उदर का कारक ग्रह माना जाता है इसलिए उदर से संबंधी आपको कुछ स्वास्थ्य दिक्कतें आ सकती हैं। इस राशि के लोग इस दौरान खुद पर ही संदेह कर सकते हैं क्योंकि आप अपने आसपास के लोगों को समझने में सक्षम नहीं होंगे और कुछ लोग आपको धोखा भी दे सकते हैं। वक्री गुरु आपको वह सभी लाभ और सुरक्षा नहीं देगा जिसकी आप उम्मीद कर रहे थे और आपके जीवन में अवसरों और भाग्य में भी यह कमी ला सकता है। हालांकि आप के प्रथम भाव में गुरु के वक्री होने से बौद्धिक रूप से आप मजबूत हो सकते हैं। यह आपको अच्छे गुण भी देगा।यह आपको आकर्षक बनाएगा, आपके स्वास्थ्य में सुधार करेगा और इस परिवर्तन के दौरान सार्वजनिक रूप से और सामाजिक रूप से आपकी उपस्थिति को भी मजबूत बनाएगा।

उपाय: गुरुवार को छात्रों को पढ़ने की सामग्री भेंट करें।

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए गुरु उनके प्रथम और दशम भाव का स्वामी है। वर्तमान में यह आपके विदेश यात्राओं, हानि, अलगाव, अस्पताल के द्वादश भाव में वक्री गोचर कर रहा है। बारहवें भाव में गुरु का वक्री होना इस राशि के जातकों के लिए उच्च ज्ञान प्राप्त करने के लिए अच्छा रहेगा और दैवीय प्रकृति, ध्यान और अनुसंधान से जुड़ना इस राशि के जातकों के लिए फायदेमंद साबित होगा। इस गोचर के दौरान मीन राशि के जातक निडर होंगे और हर स्थिति का मजबूती से सामना करेंगे। इस राशि के जातक अपने दुश्मनों पर इस दौरान विजय प्राप्त करेंगे। कुछ जातकों को धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेते देखा जा सकता है। कुंडली में गुरु की स्थिति के अनुसार कुछ बुरे परिणाम भी कुछ जातकों को प्राप्त हो सकते हैं, आप कई बार उम्मीद से ज्यादा कामनाएं कर सकते हैं लेकिन आपको वैसा परिणाम नहीं मिलेगा जैसा आप चाहते थे, जिससे आपको परेशानियां हो सकती हैं।

उपाय: गुरु मंत्र का जाप करें जो ग्राम ग्रीम ग्रम साह गुरुवे नमः पर है।

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