मंगल मकर राशि में वक्री - 27 जून 2018
मंगल शक्ति, रक्त, पराक्रम तथा जीवन ऊर्जा का प्रतीक है। इस ग्रह को देवताओं का सेनापति माना जाता है। राहु और केतु को छोड़कर लगभग सभी ग्रह मार्गी गति करते हैं। राहु-केतु सदैव वक्री गति से चलते हैं। वहीं दूसरी ओर सूर्य तथा चंद्रमा कभी भी वक्री नहीं होते। शेष ग्रह मार्गी और वक्री दोनों प्रकार की गति करते हैं।
मंगल ग्रह अपनी उच्च राशि मकर में गोचर कर रहा है जो कि 27 जून 2018 (बुधवार) को प्रातः 02:38 पर वक्री हो जाएगा और 28 अगस्त 2018 (मंगलवार) को प्रातः 03:56 बजे तक इसी अवस्था में मकर राशि में स्थित रहेगा। इस दौरान कुछ प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं। जिनमें भूकंप, आगजनी अथवा आंधी-तूफान की संभावना बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त सांप्रदायिक संघर्ष होने की स्थिति भी बन सकती है। क्योंकि मंगल अपनी उच्च राशि में है उसका प्रभाव वक्री होकर अपने चरम पर होता है और यह शनि की राशि है जो स्वयं भी शक्तिशाली है और इस समय वक्री है। साथ ही के तू भी मंगल के साथ मकर राशि में स्थित है जो कि एक अन्य गर्म ग्रह है, अतः सतर्कता के साथ रहना वाँछनीय होगा।
आइए जानते हैं मंगल के मकर राशि में वक्री गोचर का विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा:
मेष
मंगल की वक्री स्थिति आपकी राशि से दशम भाव में बनेगी। यह आपका कर्म भाव है। इसके फलस्वरुप कार्यक्षेत्र पर आपकी व्यस्तता अधिक बढ़ेगी और काम का दबाव भी बढ़ सकता है। अपने पिता के स्वास्थ्य की देखभाल करें और उनसे अच्छे संबंध बनाए रखने का प्रयास करें। प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलने के योग बन रहे हैं इसलिए मन लगाकर मेहनत करें। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बिल्कुल भी ना बरतें। यदि आप अविवाहित हैं तो विवाह संबंधी प्रस्ताव प्राप्त हो सकते हैं। कार्यक्षेत्र में व्यर्थ में किसी से विवाद ना करें और जहां तक संभव हो लड़ाई-झगड़े को टालने का प्रयास करें व मेहनत अधिक करें।
उपाय: श्री हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ करें और हनुमान जी को मीठा पान अर्पित करें।
वृषभ
मंगल आपकी राशि से नवम भाव में वक्री गोचर करेगा। यह आपका भाग्य भाव है। भाग्य का साथ लेने के लिए आपको अत्यधिक परिश्रम करना पड़ेगा तभी आपके कार्य की सिद्धि होगी। बनते हुए कामों में किसी प्रकार की रुकावट अथवा अड़चन आ सकती है लेकिन आप डटे रहें। आशावादी बनें तथा स्वयं की ओर से प्रयास करते रहें। धन का निवेश सोच-समझकर करें। यदि पहले किसी को धन दिया है तो उसे प्राप्त होने में कुछ बाधा आ सकती है।
उपाय: लाल मसूर अथवा लाल कपड़े का दान करें।
मिथुन
मंगल का मकर राशि में वक्री गोचर आपकी राशि से अष्टम भाव में होगा। यह आपका रंध्र भाव है, अतः आपको स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां इस समय में सता सकती हैं। गरम तथा अधिक मिर्च मसाले के भोजन से परहेज करें अन्यथा अनियमित रक्तचाप अथवा रक्त संबंधित बीमारियां होने का खतरा रहेगा। प्रेम संबंधों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कार्य क्षेत्र में उतार चढ़ाव की स्थिति बनेगी। मनचाहे कार्य पूर्ण होने में विलंब हो सकता है। इस दौरान किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र और अग्नि यंत्रों से दूर रहें। यदि कोई सर्जरी करवाने की योजना बना रहे हैं तो इस समय में उसको टालना ही बेहतर होगा। अप्रत्याशित आमदनी होने की संभावना बनेगी। माता-पिता को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो सकती हैं अतः उनका ध्यान रखें।
उपाय: मंगलवार अथवा शनिवार के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाएं।
कर्क
मंगल वक्री होकर आपकी राशि से सप्तम भाव में संचरण करेगा। यह आपका साझेदारी का भाव है। पारिवारिक जीवन में जहां एक ओर सुख-शांति रहेगी। वहीं दूसरी ओर आपके दाम्पत्य जीवन में परेशानियों का सिलसिला शुरू हो सकता है। जीवनसाथी को स्वास्थ्य कष्ट भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त किसी बात को लेकर आप दोनों में विवाद की संभावना है, जो आगे चलकर रिश्ते में दरार लाने का काम कर सकती है। कार्य क्षेत्र में आपको तरक्की प्राप्त हो सकती है लेकिन कुछ विलंब अवश्य होगा। आपके जीवन साथी और स्वयं आपके व्यवहार में क्रोध की अधिकता रहने से परेशानियां हो सकती हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखें और भरपूर मात्रा में जल का सेवन करें। अनावश्यक खर्चों से धन हानि होने की संभावना बनती है।
उपाय: चमेली के तेल का दीपक जला कर सात बार हनुमान चालीसा का पाठ करें।
सिंह
मंगल वक्री अवस्था में आपकी राशि से षष्ठम भाव में गति करेगा। यह रोग-रिपु-ऋण से संबंधित भाव है। आपको विवाद अथवा कोर्ट कचहरी के मामलों में खर्च करना पड़ेगा विशेष रूप से आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा क्योंकि इस समय में रोग की उत्पत्ति हो सकती है और उस पर भी धन खर्च हो सकता है। आपके रुके हुए काम बनेंगे और जिस कार्य में भी आप हाथ डालेंगे उसमें सफलता मिलेगी। धन लाभ में कुछ कमी आ सकती है। अपने प्रतिद्वंद्वियों अथवा विरोधियों से संभल कर रहें। प्रतियोगी परीक्षाओं में अधिक मेहनत के बाद सफलता प्राप्त होगी।
उपाय: अनार का पौधा लगाएँ और उसे जल देकर सिंचित करें।
कन्या
वक्री मंगल आपकी राशि से पंचम भाव में गोचर करेगा। यह भाव आपकी संतान का भाव है। यदि आप विद्यार्थी हैं तो शिक्षा में रुकावट आ सकती है और आपकी एकाग्रता में कमी भी आ सकती है। संतान को लेकर आप कुछ चिंता का अनुभव करेंगे विशेषकर यह चिंता उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर होगी। यदि आप किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं तो प्रेम संबंधों में टकराव की स्थिति बन सकती है। अतः जहां तक संभव हो अपने साथी से कम से कम मिलने का प्रयास करें। यात्राओं के योग बनेंगे और उन पर धन भी खर्च होगा।
उपाय: मंगलवार के दिन किसी ज़रूरतमंद अथवा ब्लड बैंक में जाकर रक्तदान करें।
तुला
मंगल का मकर राशि में वक्री गोचर आपकी राशि से चतुर्थ भाव में होगा। यह आपका सुख भाव है। आपको अपनी माता की सेहत का पूरा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इस समय में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही उनके साथ आपके संबंधों में खटास आ सकती है। कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है जिसके कारण स्थान परिवर्तन करने की संभावना बनेगी। यदि प्रॉपर्टी से संबंधित कोई डील कर रहे हैं तो अभी उसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दें। आप भौतिक सुखों की कमी का अनुभव कर सकते हैं, साथ ही प्रेम संबंधों में भी कुछ परेशानियां आ सकती हैं।
उपाय: मां दुर्गा के मंदिर जाकर अनार का भोग लगाएँ।
वृश्चिक
मंगल की वक्री स्थिति आपकी राशि से तृतीय भाव में बनेगी। यह आपके पराक्रम का भाव है। फलस्वरुप आपके साहस, पराक्रम और ऊर्जा में वृद्धि होगी। आपके लिए आवश्यक होगा कि इस ऊर्जा को नियंत्रण में रखें अन्यथा परेशानियों में पड़ सकते हैं। किसी दूसरे के विवाद में बिल्कुल भी ना पड़ें। यदि आप कोई व्यवसाय करते हैं तो इस समय में आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि भाग्य का साथ आपको प्राप्त होता रहेगा। आप स्वयं पर काम का दबाव अधिक महसूस करेंगे जिस कारण मानसिक तनाव में भी वृद्धि हो सकती। स्वयं के प्रयासों से धन लाभ के अच्छे योग बनेंगे।
उपाय: श्री हनुमान चालीसा अथवा सुंदरकांड का पाठ करें और हनुमान जी को 4 केले अर्पित करें।
धनु
मंगल वक्री होकर आपकी राशि से द्वितीय भाव में संचरण करेगा। यह आपका धन भाव है। आपको धन लाभ होने के अधिक अवसर प्राप्त होंगे परंतु आसानी से धन प्राप्ति होना संभव नहीं है अर्थात आप धन तो अधिक कमा पाएंगे लेकिन उसे प्राप्त कर पाने में आपको एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। यदि आप किसी पैतृक संपत्ति को प्राप्त करने की आशा लगाए बैठे हैं तो अभी कुछ समय आपको प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। आपकी लव लाइफ के लिए भी यह समय ज्यादा उपयोगी नहीं होगा। आपको किसी भी प्रकार कड़वे वचन बोलने से बचना होगा अन्यथा इसका सीधा संबंध आपकी तरक्की और आपके विभिन्न संबंधों पर पड़ेगा। मंगल के वक्री होने के दौरान आप यात्राएं भी करेंगे हालांकि ये यात्राएं आपको थकान और धन खर्च जैसी समस्याएं दे सकती हैं। यदि आप विदेश में है तो आपके लिए धन प्राप्ति के अच्छे अवसर हैं। इसके अतिरिक्त विदेशी कंपनियों में कार्यरत लोगों को विशेष रूप से लाभ प्राप्त होगा।
उपाय: गौ माता को आटे के पेड़े में हल्दी तथा गुड़ भरकर खिलाएं।
मकर
मंगल आपकी ही राशि में वक्री होकर गति करेगा जिसके परिणाम-स्वरूप इसका सबसे अधिक प्रभाव आपकी राशि पर ही पड़ेगा। सर्वप्रथम अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें और वाहन बेहद सावधानी से चलाएँ क्योंकि जरा सी चूक दुर्घटना का कारण बन सकती है। अपने गुस्से और अहम की भावना को नियंत्रण में रखें। क्योंकि यह रिश्ते में टकराव पैदा कर सकती है विशेष रूप से आपके दांपत्य जीवन में। हालांकि लव लाइफ में थोड़ा बहुत रोमांस प्राप्त होगा। आपके जीवनसाथी को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां हो सकती हैं इसलिए उनका ध्यान रखें। यदि किसी यात्रा का प्लान बनाया हुआ है तो उसे भी कुछ समय के लिए टाल दें, साथ ही साथ वाहन अथवा घर खरीदने के लिए अभी समय अनुकूल नहीं है।
उपाय: माँस तथा मदिरा का सेवन ना करें और बंदरों को गुड़ व चने खिलाएँ ।
कुम्भ
मंगल वक्री होकर आपकी राशि से द्वादश भाव में गोचर करेगा। यह आपका व्यय भाव है। इस दौरान आपके ख़र्चों में अधिकता होगी। आपको अपने आलस्य को त्याग कर आगे बढ़ना होगा। दूसरी ओर अनिद्रा अथवा नेत्र विकार जैसी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। वाहन सावधानी पूर्वक चला ना ही बेहतर विकल्प होगा। आप कामकाज से संबंधित सुदूर यात्रा पर भी जा सकते हैं और यह यात्राएं आर्थिक रुप से आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी। कार्य क्षेत्र में आपके प्रयास रंग लाएंगे। यदि कोई प्रॉपर्टी खरीदने का विचार कर रहे हैं, तो उसमें अभी विलंब हो सकता है। आपका मन किसी बात को लेकर खिन्न भी रह सकता है। आपके भाई-बहन विदेश यात्रा पर जाने का प्रयास करेंगे। विरोधियों से सावधान रहें। क्योंकि वे आपके खिलाफ खड़े हो सकते हैं।
उपाय: तांबे अथवा लाल मसूर की दाल को लाल कपड़े में बाँधकर दान करें।
मीन
मंगल वक्री होकर आपकी राशि से एकादश भाव में संचरण करेगा। यह आपका लाभ भाव है। मंगल का यह वक्री गोचर आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगा। इस दौरान आपको अनेक प्रकार के वित्तीय लाभों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही साथ यदि आप कोई वाहन अथवा मकान खरीदने का प्रयास कर रहे हैं तो उसमें भी आपको सफलता प्राप्त होगी। आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी लेकिन आपको चाहिए कि आप अति आत्मविश्वास का शिकार होकर परेशानियों में ना पड़ जाएं। जीवन में उन्नति के अनेक अवसर आपकी प्रतीक्षा में हैं, अतः आपको पूरी निष्ठा से उन्हें स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। यदि लंबे समय से कोई कार्य अटका हुआ था तो वह भी पूरा हो जाएगा और आपकी कोई महत्वाकांक्षा भी पूरी होगी जिससे आपको प्रसन्नता प्राप्त होगी। प्रेम जीवन के लिए समय अनुकूल है। आप रिश्ते में एक-दूसरे के निकट आएंगे लेकिन इन सब के बावजूद भी खटपट होने की पूरी संभावना रहेगी इसलिए धैर्य से काम लें। यदि आप परिवार से दूर रहते हैं तो इस समय परिजनों से मिलने का अवसर प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त पुराने मित्रों से भी मुलाकात संभव है।
उपाय: मंगल ग्रह के बीज मंत्र ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’ का जाप करें।
वक्री मंगल का मानव जीवन पर असर
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मानव जीवन पर ग्रहों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव अनुकूल या प्रतिकूल दोनों प्रकार से प्रभाव डाल सकता है। सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु को क्रूर ग्रहों की संज्ञा दी गई है। जबकि बृहस्पति और शुक्र को शुभ ग्रह की संज्ञा दी गई है। बुध को संगति अनुसार तथा चंद्रमा को पक्ष अनुसार शुभत्व और अशुभत्व प्रदान किया गया है। वक्री का अर्थ होता है टेड़ा या उल्टा। इस प्रकार ग्रहों का वक्री होना ग्रहों के उल्टा चलने से समझा जाता है जबकि वास्तव में ग्रह उलटी दिशा में नहीं चलते। यह इस प्रकार है कि यदि आप एक तेज गति की रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे हैं और उसी दिशा में जाने वाली एक धीमी गति की रेलगाड़ी आपको अपने पीछे की ओर जाती हुई दिखाई देगी इसी को वक्रत्व कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार वक्री ग्रह को चेष्टा बल प्राप्त होता है और वह अधिक बलशाली हो जाता है। एक अवधारणा के अनुसार शुभ ग्रह वक्री होकर भी शुभ फल देते हैं और क्रूर ग्रह वक्री होकर भी क्रूर फलों में कमी नहीं करते। हालांकि हमारा ऐसा मानना है कि वक्री होने पर ग्रहों के प्रभाव में कोई विशेष अंतर नहीं आता है, केवल स्वभाव में कुछ परिवर्तन अवश्य आता है। ग्रह जिस कार्य का कारक है उससे संबंधित फलों को प्रदान करने में समय अधिक लेता है और अधिक परिश्रम भी करवाता है। मंगल ग्रह वक्री अवस्था में जिन राशियों के लिए शुभ है उनके लिए और शुभ तथा जिनके लिए अशुभ है उन्हें अशुभ प्रभाव देगा। यह प्रभाव मार्गी गति की तुलना में अधिक प्रभावी होगा।
वर्तमान में दो बड़े ग्रह शनि और बृहस्पति पहले से ही वक्री गति कर रहे हैं ऐसे में तीसरे बड़े ग्रह मंगल के वक्री हो जाने से अनेक प्रकार के फल प्राप्त हो सकते हैं। क्योंकि यह मंगल अत्यधिक ऊर्जा प्रदान करेंगे और परिणाम स्वरुप व्यक्ति में क्रोध और चिड़चिड़ापन की अधिकता हो सकती है। जातक चाहे स्त्री हो अथवा पुरुष मंगल के वक्री होने की अवस्था में उसमें पुरुषोचित गुणों की वृद्धि होती है। इस प्रकार कई बार परिवार में भी झगड़े होने की संभावना बढ़ जाती है। मंगल के इस वक्री होने का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ना स्वाभाविक है, लेकिन जिन लोगों की कुंडली में मंगल की महादशा, अंतर्दशा अथवा प्रत्यंतर दशा चल रही है या जिनकी जन्म कुंडली में मंगल वक्री अवस्था में स्थित हैं उनके लिए मंगल का मकर राशि में वक्री गोचर अधिक प्रभावशाली रहेगा।