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अक्टूबर 2017 तक भारतीय राजनीति में कई अहम बदलाव सम्भावित

वृष लग्न,कर्क राशि और पुष्य नक्षत्र वाली भारतवर्ष की कुण्डली में फिलहाल चंद्रमा की महादशा राहु की अंतरदशा और शनि की प्रत्यंतर दशा का प्रभाव है। ध्यान देने वाली यह है कि भारत की कुण्डली में शनि राज्येश और भाग्येश है। ऐसे में शनि का हस्तक्षेप सरकार, सत्ता व बड़े राजनैतिक दलों के उथल पुथल का संकेतक हो सकता है। विशेष बात ये कि शनि जबसे तुला में गए थे यानी नवम्बर 2011 से तब से भारतीय राजनीति नित नए रंग बदलती नज़र आ रही है।

अक्टूबर 2017 तक भारतीय राजनीति में कई अहम बदलाव सम्भावित

इस बात को आगे बढ़ाने के लिए और अच्छी तरह समझने के लिए इसे पुराने घटनाक्रम से जोड़ना जरूरी है तभी आपको फलादेश और विषयवस्तु का संदेश समझ में आएगा। दरअसल नवम्बर 2011 में जब शनि तुला राशि में प्रवेश किए यानी राज्येश शनि उच्च के हुए उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। जब दशमेश शनि छठे में पहुंचा तो ज्योतिष की नज़र में ऐसा हुआ मानों सत्तारूढ़ दल अर्थात सरकार की गेंद विपक्ष के पाले में पहुंच गई। वहीं से सरकार का विपक्षी मजबूत होना शुरु हो गया यानी तत्कालीन सरकार कांग्रेस का विपक्ष अर्थात भाजपा के अच्छे दिन आने शुरू हो गए। तुला में शनि की रहते-रहते ही भारत देश को एक नई सरकार मिल गई। उल्लेखनीय बात ये रही कि नई सरकार के नए प्रधानमंत्री ने “तुला” लग्न में शपथ ग्रहण की। सामान्यत: यही देखा जाता है कि सपथ ग्रहण जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य “स्थिर” लग्न में किए जाते हैं लेकिन मोदी जी ने “चर लग्न” में सपथ ली। क्योकि उस समय भारत की कुण्डली का राज्येश उसी लग्न में उच्च के होकर आसीन थे।

नवम्बर 2014 में शनि वृश्चिक राशि में प्रवेश कर गए और सत्तारूढ़ दल को लाभ देते रहे। कमियां होने के बावजूद शनि की कृपा से आम जनता अपने राजा यानी मोदी जी के साथ खड़ी रही। नोटबंदे जैसे कठोर शनि के वृश्चिक राशि में रहते रहते हुए। ऐसे निर्णयों में भीषण कष्ट उठाकर भी चतुर्थ का समर्थ दसम के साथ अर्थात जनता का समर्थन सरकार के साथ बना रहा। यानी वृश्चिक का शनि सत्तापक्ष के लिए हितकर रहा। 26 जनवरी 2017 को शनि वृश्चिक से धनु में गए। उसके बाद केन्द्र सरकार वाली पार्टी का शासन प्रादेशिक स्तर पर जहां जहां है वहां तुलनात्मक रूप से परेशानियां बढ़ गयीं। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व जम्मू कश्मीर में तुलनात्मक रूप से अधिक असंतोष देखने को मिला। 21 जून 2017 को शनि वक्री होकर पुन: वृश्चिक राशि में लौट गए और 26 अक्टूबर 2017 तक वहीं रहने वाले हैं।

अब आते हैं अपने तात्कालिक और असल मुद्दे पर। पिछली बातों से सामान्य व्यक्ति की समझ में भी यह बात तो आ ही गई होगी कि तुला और वृश्चिक राशि में शनि का गोचर वर्तमान सरकार के लिए काफ़ी अच्छा रहा वहीं धनु का गोचर अपेक्षाकृत कमजोर। अब जबकि शनि ग्रह गोचर में वक्री होकर पुन: भारत की कुण्डली के सप्तम में पहुंच गए हैं। यानी दसमेश अपने से दसम में गोचर कर रहा तो कुछ अच्छे परिणाम मिलने स्वाभिक हैं। कहा जाता है कि गोचर में जब शनि वक्री होकर लौटते हैं तो अपने कुछ पुराने पेंडिंग पड़े कामों को निबटाने आते हैं। अब जबकि शनि वृश्चिक राशि में रहकर केद्र सरकार को मजबूत करने और विपक्ष को कमजोर करने का का काम किये थे, और अब पुन: उसी पोजीशन पर आए हैं तो विपक्ष को कमजोर करने और भाजपा को मजबूत करने का काम कर सकते हैं।

किन-किन राज्यों में भाजपा की स्थिति मजबूत और विपक्ष की स्थिति कमजोर हो सकती है? शनि वृश्चिक राशि में है, ऐसे में देश के उत्तरी राज्यों में। शनि बुध के नक्षत्र में है ऐसे में दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की स्थिति मजबूत होगी। क्योंकि ज्योतिष कहता है कि देश काल परिस्थिति को देखकर उससे ग्रहों को रिलेट कर ही भविष्यवाणी करनी चाहिए ऐसे में प्रैक्टिकली देखा जाय तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्थिति मजबूत ही है। बिहार में भाजपा कमजोर है, खास बात ये कि वृश्चिक में रहकर भाजपा का भला करने वाला शनि वृश्चिक में रह कर भी बिहार में भाजपा का हित नहीं कर पाया। हालांकि बिहार की राजनीति जरा दूजी किस्म की है लेकिन वक्री होकर लौटे शनि के विचारों को कुछ कहा नहीं जा सकता। हो सकता है भाजपा की कूटनीति महागठबंधन को तोड़ने में कामयाब हो जाय। हालांकि प्रैल्टिकली वहां सब पहले से बेहतर नज़र आ रहा है। तेजस्वी जी मुख्यमंत्री जी से मिलकर उन्हें संतुष्ट कर आए हैं लेकिन ग्रहों की माने तो वहां सब ठीक नहीं है। 26 अक्टूबर 2017 से पहले पहले वहां की स्थितियां बदल सकती हैं। हालांकि कहा गया है कि कर्म प्रधान विश्व करि राखा। ऐसे में लालू जी जैसे राजनीति के मर्मज्ञ भाजपा को रोकने की कोशिश करेंगे। आखिर शनि उनकी भी तो कुण्डली में है लेकिन शनि भारत का दसमेश होने के कारण केन्द्र सरकार का अधिक फ़ेवर कर सकता है यानी बिहार में भाजपा की स्थिति मजबूत हो सकती है, वहीं महागठबंधन कमजोर हो सकता है और 26 अक्टूबर 2017 से पहले मंत्रीमंडल में उल्लेखनीय बदलाव सम्भावित है। जम्मू कश्मीर में भी राजनैतिक उठापटक के बाद भाजपा को मजबूती मिल सकती है।

बात करें दिल्ली की तो फिलहाल तो यहां सब शांत है। कपिल मिश्रा के ताबड़तोड़ हमले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री की चुप्पी ने हालात को शांत कर रखा है लेकिन 26 अक्टूबर 2017 के पहले पहले राजनीतिक हलचल तेज होने के योग हैं। यानी अभी “आप” सरकार के लिए निश्चिंत रहने का समय नहीं है। उन्हें अपनी कमजोरी रूपी गड्ढों को भरना होगा अन्यथा अक्टूबर तक भाजपा की स्थिति यहां मजबूत हो सकती है।

भाजपा का तात्कालिक हितैषी शनि मकर और कुंभ राशियों का स्वामी होता है। मकर की दिशा दक्षिण है और कुम्भ की पश्चिम है यानी दक्षिण-पश्चिम के कुछ एक राज्यों में भाजपा की स्थिति मजबूत हो सकती है। किन-किन राज्यों में और कैसे? इसके लिए फ़िर से देश काल और परिस्थित को ध्यान में रख कर भविष्यवाणी करनी होगी। वर्तमान में “गुजरात” भाजपा की अस्मिता का राज्य बना हुआ है और वहां की वर्तमान परिस्थितियां प्रैक्टिकली भाजपा के पक्ष में नज़र नहीं आ रही हैं। कुछ मामलों में वहां के लोग सत्तारूढ़ दल से असंतुष्ट नज़र आ रहे हैं। लेकिन 21 जून 2017 को वक्री होकर वृश्चिक राशि में लौटे शनि के इशारे कुछ और ही हैं। यदि शनि के इशारे मेरी समझ में जहां तक आ रहे हैं। उनके अनुसार 26 अक्टूबर 2017 से पहले पहले वहां पर कुछ भाजपा के लिए कुछ सकारात्मक घटनाक्रम हो सकते हैं। स्वाभाविक हैं वही घटनाक्रम वहां के मुख्य विपक्षी दल यानी कांग्रेस के लिए नकारात्मक हो सकते हैं। जैसा कि पिछले दिनों खबर आ रही थी कि वहां के दिग्गज कांग्रेसी नेता श्री शंकर सिंह बाघेला कांग्रेस की नीतियों से रुष्ट नज़र आ रहे हैं लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के मामले में उनके वर्ताव को देखते हुए अशोक गहलोत जी जैसे लोगों से यह प्रमाणित किया कि अब वहां सब ठीक है लेकिन शनि के इशारों की माने तो वहां सब ठीक नहीं है। शनि बुजुर्ग व वरिष्ठ ग्रह है, श्री शंकर सिंह बाघेला भी बुजुर्ग व वरिष्ठ हैं ऐसे में वो कांग्रेस के आला कमान को उनको संतुष्ट रखने की दिल से पूरी कोशिश करनी चाहिए अन्यथा को कोई बड़ी व चौकाने वाली घोषणा कर सकते हैं जिससे कांग्रेस का नुकसान और भाजपा का फायदा हो सकता है।

दक्षिण के राज्यों से भाजपा के अन्य फ़ायदों को देखा जाय तो गोचर में शनि शुक्र आपस में दृष्टि सम्बंध बना रहे हैं, गुरु की दृष्टि भी शुक्र पर है। यानी की देश की लग्न पर शनि, शुक्र और गुरु की दृष्टि है। शुक्र दक्षिण दिशा की संकेतक राशि में स्थित भी है। ऐसे में देश की राजनीति में दक्षिण प्रदेशों के चर्चित व्यक्तियों का जुड़ाव स्वाभावि है। व्यंकैय्या नायडू का उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार होना भी शुक्र और वृष राशि पर महत्त्वपूर्ण ग्रहों जैसे शनि और गुरु के प्रभाव का नतीजा है। ऐसे में दक्षिण प्रदेश की कोई चर्चित महिला या फ़िल्मी हस्ती भी भाजपा को अपना समर्थन दे सकती है। पिछले दिनों सोशल मीडिया आदि पर खूब चर्चा रही कि सूपर स्टार रजनीकांत भाजपा में आ रहे हैं ऐसे में ग्रह गोचर और वर्तमान परिस्थितियों के आधार पर कहें तो 26 अक्टूबर 2017 तक रजनीकांत या फ़िर कोई और चर्चित व्यक्ति या महिला भाजपा से जुड़ने का प्रत्यक्ष संकेत दे सकते हैं। हमारे इस फलादेश में अधिकांश बातें भाजपा के पक्ष की रहीं ऐसे में कुछ लोग हम पर “भक्त” का ठप्पा लगा सकते हैं तो ऐसे में उन्हें भी प्रसन्नता का संदेश दूं कि अक्टूबर के बाद जब शनि धनु में जाएंगे तो कुछ दिनों तक विपक्षी पार्टियों के लिए समय हितकर होगा। विशेषकर अगर विपक्षी पार्टियों ने अगस्त 2018 तक अपना होमवर्क प्रॉपर्ली कर लिया तो परिणाम काफ़ी अच्छे रहेंगे।

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