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ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएँ भूलकर भी न करें ये काम

हर गर्भवती महिला की इच्छा होती है कि उसकी होने वाली संतान सुंदर और शारीरिक रूप से हष्ट-पुष्ट हो। हालाँकि उनकी यह चाहत तभी पूरी होती है जब प्रेग्नेंसी के दौरान वे अपना विशेष ख्याल रखती हैं। वास्तव में महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपना सबसे ज्यादा ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। कोख में पलने वाले शिशु की माँ ही उसकी पहली जीवन रक्षक होती है।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएँ भूलकर भी न करें ये काम

सांसारिक जीवन में आने से पहले शिशु 9 माह तक अपनी माँ के गर्भ में पलता है। इस दौरान माँ की प्रत्येक क्रिया शिशु को प्रभावित करती है। एक गर्भवती महिला को ग्रहण के दौरान विशेष ध्यान देना चाहिए। ग्रहण का प्रभाव गर्भ के शिशु पर बुरा असर डालता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसके पीछे धार्मिक कारण है, जो सूर्य चंद्रमा और राहु-केतु से संबंधित है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु-केतु को पापी ग्रह माना जाता है। ये दोनों ही छाया ग्रह हैं। हिन्दू धर्म के पौराणिक शास्त्रों में समुद्र मंथन का वर्णन आता है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन से जब अमृत का कलश निकला तो अमृतपान के लिए असुरों और देवताओं के बीच संघर्ष होने लगा। इस दौरान भगवान विष्णु जी ने मोहिनी का रूप धारण किया और चतुराई के साथ देवताओं को अमृत पिलाने लगे।

ऐसे में राहु नामक राक्षस भेष बदलकर देवताओं के समूह में आ गया और उसने अमृत का सेवन कर लिया, लेकिन सूर्य और चंद्रमा उसकी इस चाल को पहचान गए और उन्होंने उसका भेद खोल दिया। तभी विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से राहु की गर्दन धड़ से अलग कर दी। परंतु अमृत पीने के कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और वह राहु-केतु के रूप में दो भागों में बट गया।

कहते हैं कि राहु केतु आज दिन तक सूर्य और चंद्रमा से इस बात बदला लेने के लिए उन पर अपनी बुरी छाया डालते हैं जिसे हम सूर्य और चंद्र ग्रहण के रूप में जानते हैं। इस बुरी छाया के कारण बुरी शक्तियाँ प्रभावी हो जाती हैं, जो गर्भ में पलने वाले शिशु को क्षति पहुँचा सकती हैं।

इसलिए हिन्दू धर्म में यह परंपरा रही है कि ग्रहण के समय महिलाओं को घर से न तो बाहर निकलना चाहिए और न ही ग्रहण को देखना चाहिए। इसके अलावा भी उन्हें कई कार्यों को करने की मनाही होती है। आइए जानते हैं ग्रहण के दौरान किन कार्यों को नहीं करना चाहिए और किन कार्य को करना चाहिए।

ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएँ इन बातों पर दें विशेष ध्यान

  • गर्भवती महिलाओं को अपनी नग्न आँखों से ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। ग्रहण काल के दौरान प्रेग्नेंट स्त्री को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए
  • गर्भवती महिलाएँ को ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी या अन्य प्रकार के धारदार वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे माना जाता है कि चाकू, छुरी, हसिया, दराती या अन्य प्रकार के धारदार वस्तुओं का प्रयोग करने से शिशु के अंगों को छति पहँचती है
  • सिलाई एवं कढ़ाई का काम न करें
  • सब्जी अथवा फल को न काटें और न ही छीलें
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएँ धातुओं से निर्मित वस्तुओं को न पहनें और न ही उनका प्रयोग करें
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला को सोना नहीं चाहिए
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रेग्नेंट महिला को दुर्वा घास को लेकर संतन गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए
  • ग्रहण से पूर्व और ग्रहण के बाद प्रग्नेंट स्त्री को स्नान करना चाहिए

हालाँकि कई वैज्ञानिक उपरोक्त चीज़ों को नहीं मानते हैं। परंतु सदियों से गर्भवती महिलाएँ ग्रहण के दौरान इस तरह की सावधानियाँ बरत रही हैं। हालाँकि विज्ञान और ज्योतिष के बीच इस बात पर आम सहमति है कि सूर्य ग्रहण के दाैरान किरणें ख़तरनाक हो जाती है जिनका नकारात्मक प्रभाव मनुष्य पर पड़ता है।

हम आशा करते हैं कि सभी गर्भवती महिलाओं के लिए यह आलेख बहुत ही उपयोगी साबित होगा। इसमें दी गई जानकारी से वे ग्रहण के दौरान होने वाले बुरे प्रभावों से अपनी होने वाली संतान को बचाने में सफल होंगी। एस्ट्रोसेज की ओर आपको मंगलकामनाएँ!

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