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हीरा रत्न - Heera Stone

Heera Stone

ज्योतिषास्त्र में कई रत्नों का उल्लेख किया गया गया है और सभी रत्न भिन्न-भिन्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से सबसे आकर्षक रत्न हीरा है जो शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। हीरे का आकर्षण हर किसी को अपनी ओर खींचता है, खासतौर पर महिलाएं इस रत्न की ज़्यादा ही मुरीद होती हैं। वैसे स्त्रियों को हीरा पसंद आने के पीछे एक कारण यह भी है कि शुक्र स्त्री कारक ग्रह होता है। हीरे का महत्व केवल ज्योतिषी या फिर ख़ूबसूरती के संदर्भ में ही नहीं है, इस रत्न को स्टेटस सिम्बल के रूप में भी देखा जाता है क्योंकि छोटे से छोटे आकार का हीरा भी बेहद कीमती होता है। शुक्र ग्रह को प्रेम, सौंदर्य और वैवाहिक सुख आदि का प्रतीक भी माना जाता है इसलिए हीरा पहनने से वैवाहिक संबंध मज़बूत होते हैं। शुक्र वैभव और विलासिता का भी स्वामी है, इस वजह से इसको पहनने से वैभव व सुख भी प्राप्त होता है। स्त्री वर्ग से जुड़ा व्यापार जैसे आभूषण, कपड़े, कॉस्मेटिक्स आदि काम करने वालों के लिए हीरा रत्न लाभदायी होता है। इसके साथ ही कलात्मक क्षेत्र से जुड़े लोग जैसे फिल्म व टेलीविजन कलाकार, गायक, लेखक आदि भी इस रत्न से शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि शुक्र ग्रह कला का भी कारक है। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह शुभ प्रभाव दे रहा हो, उन्हें हीरा अवश्य धारण करना चाहिए। लेकिन क्योंकि हर रत्न के अपने फायदे व नुकसान होते हैं इसलिए हीरा धारण करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी की सलाह ज़रूर लें।

हीरा रत्न के फायदे-

  • कला जगत से जुड़े हुए लोग अपने पेशे में सफलता हासिल करने के लिए हीरा धारण कर सकते हैं।
  • हीरा रत्न जातक को सुख-सुविधाओं व विलासिता से परिपूर्ण जीवन का आनंद प्रदान करता है।
  • हीरा संबंधों खासतौर पर वैवाहिक संबंधों में मधुरता लाता है।
  • विवाह में देरी या किसी रुकावट को दूर करने में भी हीरे को धारण करना लाभकारी होता है।
  • हीरा धारण करने से आयु में वृद्धि होती है।
  • स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हीरे को धारण करना अच्छा होता है। इसके प्रभाव से मधुमेह तथा नेत्र रोगों से मुक्ति मिलती है।

हीरा रत्न के नुकसान

  • हीरे के प्रभाव से स्वभाव में अहम उत्पन्न होता है व दिखावे की भावना जागृत होने लगती है।
  • जातक विलासिता पूर्ण जीवन जीने के लिए सदैव लालायित रहता है, जिस कारण ख़र्च आसमां को छूने लग जाते हैं और आर्थिक स्थिति कमज़ोर पड़ जाती है।
  • ज्योतिषास्त्र में शुक्र ग्रह को मारक भी कहा गया है। शुक्र यदि किसी अशुभ भाव में स्थित हो तो वो आपके जीवन के लिए घातक होता है। इसके प्रभाव से बीमारियां, रिश्तों में दरार या अलगाव की स्थिति भी हो सकती है।
  • बेशक हीरा बहुत सारे लोगों के लिए भाग्यशाली होता है लेकिन कई बार यदि ये सूट न करें तो दुर्भाग्य भी लेकर आता है, जैसे शादीशुदा जीवन में दूरी या तलाक, आर्थिक तंगी आदि।

कितने रत्ती यानि वज़न का व किस प्रकार हीरा रत्न धारण करना चाहिए?

यदि आप शुक्र की कृपा अपने ऊपर बनाएं रखना चाहते हैं तो आपको शुक्र देव का रत्न यानि हीरा कम से कम 0.50 से 2 कैरेट तक का धारण करना चाहिए। अंगूठी बनवाने के लिए आप चांदी की धातु का इस्तेमाल कर सकते हैं। शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को सुबह स्नान आदि के बाद पांच अगरबत्ती जलाकर पूजा करें और ॐ शं शुक्राय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। अंगूठी के ऊपर भी अगरबत्ती घुमाएं फिर मां लक्ष्मी के चरणों से लगाकर उसे अनामिका या मध्यिका में धारण करें। लेकिन इससे पहले अंगूठी को शुद्ध करने के लिए उसे गंगा जल या फिर दूध में डुबोकर रखें। ऐसा करने से उसकी सारी अशुद्धियां धुल जाएंगी और नकारात्मक भाव भी ख़त्म हो जाएंगे। हीरा अपना प्रभाव 25 दिन में देना शुरू कर देता है और इसका असर लगभग 7 वर्ष तक रहता है। 7 वर्ष के पश्चात् पुनः नया हीरा धारण कर लेना चाहिए। अच्छे प्रभाव प्राप्त करने के लिए हीरे का रंग सफ़ेद होना चाहिए और उस पर कोई दाग नहीं होना चाहिए।

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ज्योतिषीय विश्लेषण- विभिन्न राशियों पर हीरा रत्न का प्रभाव

आइए जानें डॉयमण्ड यानि हीरे के विभिन्न राशियों पर होने वाले अलग-अलग प्रभाव:

जानें अपनी राशि के अनुसार अपना भाग्य रत्न: रत्न सुझाव

( सूचना: हम सभी पाठकों को यह सुझाव देते हैं कि कोई भी रत्न पहनने से पहले एक बार किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।)

मेष- इस राशि के जातकों को हीरा विशेष परिस्थिति व ज्योतिषीय परामर्श के बाद ही पहनना चाहिए क्योंकि शुक्र इस राशि के लिए मारक होता है।

वृषभ- वृषभ राशि का स्वामी शुक्र होता है, ऐसे में यह ज़ाहिर है कि हीरा इस राशि के जातकों के लिए अत्यंत शुभदायी होगा।

मिथुन- इस राशि के जातकों के लिए हीरा शुभ है क्योंकि इनका स्वामी बुध शुक्र ग्रह के साथ मित्रता का भाव रखता है।

कर्क- कर्क राशि के लोगों को हीरा रत्न धारण करने के लिए ज्योतिषीय सलाह की आवश्यकता होती है।

सिंह- सिंह राशि के स्वामी यानि सूर्य का शुक्र के साथ शत्रुता का भाव है, ऐसे में आपको हीरा नहीं पहनना चाहिए। लेकिन यदि आप धारण करना चाहते हैं तो पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लें।

कन्या- शुक्र का बुध के साथ मित्रता का भाव है, जो कि कन्या राशि का स्वामी है। ऐसे में आप निःसंकोच हीरा रत्न धारण कर सकते हैं।

तुला- आपकी राशि का स्वामी शुक्र है। शुक्र की कृपा पाने के लिए आप बिना किसी विचार-विमर्श के हीरे की अंगूठी पहन सकते हैं।

वृश्चिक- इस राशि के जातकों को हीरा धारण करने से बचना चाहिए।

धनु- धनु राशि के लोगों को भी हीरा रत्न न पहनने की सलाह दी जाती है।

मकर- आपकी राशि का स्वामी शनि व शुक्र योग कारक हैं, ऐसे में आप हीरे को धारण कर शुक्र की कृपा पा सकते हैं।

कुंभ- कुंभ राशि का भी स्वामी शनि है, तो आप भी शुक्र से लाभ प्राप्त करने के लिए हीरे को पहन सकते हैं।

मीन- इस राशि के जातकों को हीरा नहीं पहनना चाहिए।

हीरा रत्न की रासायनिक संरचना

हीरा एक पारदर्शी रत्न है जो रासायनिक रूप से कार्बन का शुद्ध रूप है। हीरा सभी रत्नों में सबसे कठोर खनिज होता है। यह इतना कठोर होता है कि ये सभी पदार्थों की सतह को खरोंच सकता है। इसी कारण इसका प्रयोग आभूषण से जुड़े उद्योगों में किया जाता है। हीरा केवल सफ़ेद रंग में ही नहीं आता। अशुद्धियों के कारण ये नीले, हरे, पीले व काले रंग में भी उपलब्ध होता है, जिसमें हरा हीरा सबसे दुर्लभ है। हीरा रासायनिक तौर पर बहुत निष्क्रिय होता है एवं सभी घोलकों में अघुलनशील होता है। इसका घनत्व 3.51 होता है। बहुत अधिक चमक होने के कारण हीरे को जेवर आदि के रूप में उपयोग किया जाता है। हीरा उष्मीय किरणों के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होता है, इसलिए थर्मामीटर बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। काले हीरे का उपयोग कांच काटने, दूसरे हीरे के काटने, हीरे पर पॉलिश करने तथा चट्टानों में छेद करने के लिए किया जाता है।

असली हीरे की पहचान कैसे करें?

इन टिप्स को आज़माकर आप असली हीरा रत्न प्राप्त कर सकते हैं:

  1. हीरा विधुत का कुचालक होता है इसलिए यह सतह पर रगड़ने से विधुत का आवेश पैदा करता है परन्तु हीरा ताप का सुचालक है इसलिए यह स्पर्श में शीतल प्रतीत होता है।
  2. असली हीरे में कुछ न कुछ खांचें होती हैं जो केवल माइक्रोस्कोप की मदद से देखी जा सकती हैं। आप हीरे को अखबार पर रखकर उसके पार से अक्षरों को पढ़ने की कोशिश करें। अगर आपको टेढ़ी लकीरें दिखें तो इसका मतलब है कि आपका हीरा नकली है।
  3. हीरे को परा बैंगनी (अल्ट्रा वॉयलेट) किरणों में देखने की कोशिश करें। अगर परा बैंगनी किरणों में हीरा नीली आभा के साथ चमके तो हीरा असली है। परन्तु हीरे से हल्की पीली, हरी या फिर स्लेटी रंग की आभा निकले तो रत्न असली नहीं है।
  4. इसको परखने का एक और भी तरीका है। असली हीरा पानी में डालते ही डूब जाता है वहीं नकली हीरा पानी के ऊपर तैरता रहता है।

प्राकृतिक रत्नों के बारे में कैसे जानें?

बाजार में नकली उत्पादों की वृद्धि के कारण, खरीदार अब रत्न ख़रीदने के दौरान अधिक सावधान और सतर्क हो गए हैं। उपभोक्ताओं को बेहद सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि महंगी कीमत हमेशा प्रामाणिकता की गारंटी नहीं देती। गुणवत्ता और कीमत के संदर्भ में पत्थरों का एक व्यापक बाज़ार है। आमतौर पर एक महंगे रत्न को अधिक प्रभावशाली माना जाता है, लेकिन वो लैब द्वारा प्रमाणित ज़रूर होना चाहिए। तभी आप असली व नकली रत्न के बीच अंतर कर सकेंगे। इसके अलावा, उपभोक्ता रत्न खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता का पता भी लग सकता है। व्यापक रूप से उपलब्ध नकली उत्पादों से सावधान रहें।

एस्ट्रोसेज द्वारा प्रमाणित रत्न

रत्न की क्वालिटी जानने का सबसे उत्तम तरीका उसका लैब से प्रमाणित होना है। ज़्यादातर विक्रेता रत्न की प्रमाणिकता और विश्वसनीयता के लिए सर्टिफिकेट भी प्रदान करते हैं। एस्ट्रोसेज अपने सभी रत्नों के लिए प्रमाण पत्र प्रदान करता है ताकि इसकी वैधता और खरा होने की पुष्टि हो सके। यह प्रमाण पत्र आईएसओ 9001-2008 द्वारा प्रमाणित है, जो इसके रंग, वजन, आकार से संबंधित सभी जानकारी प्रदान करता है। एस्ट्रोसेज से रत्न ख़रीदने में जोखिम बहुत कम रहता है।

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