मोती रत्न - Moti Stone
वैदिक ज्योतिष में मोती एक शुभ रत्न माना गया है, यह चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। वे व्यक्ति जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, उन्हें मोती अवश्य धारण करना चाहिए। क्योंकि यह चंद्रमा से संबंधित सभी दोषों का निवारण करता है। मोती समुद्र में सीपियों द्वारा बनाया जाता है। इस वजह से अच्छी गुणवत्ता के मोती की उपलब्धता कम होती है। ये सफेद चमकदार और कई आकार में होते हैं लेकिन गोल मोती ही सबसे अच्छा माना जाता है। प्राचीन काल से ही रत्नों में मोती का बड़ा महत्व है। मोती में कुछ चिकित्सीय गुण भी पाये जाते हैं, विशेषकर एशियाई मूल की मेडिकल व्यवस्था में इसका प्रयोग किया जाता है। मोती में क्रिस्टल के समान आध्यात्मिक गुण भी होते हैं। आभूषण के मामले में मोती बेहद लोकप्रिय है, इसे हार या अंगूठी में डालकर पहना जाता है। अब यदि हम मोती के प्रकारों की बात करें तो, मूल रूप से मोती दो प्रकार के होते हैं ताजा जल वाले मोती और खारे जल वाले मोती। इसके अलावा मोती कई रंगों जैसे गुलाबी और काले आदि तरह के कलर में उपलब्ध होते हैं। आभूषण का शौक रखने वाले लोगों में काले मोती का हार बेहद लोकप्रिय है।
मोती के फायदे
हर सभ्यता और संस्कृति में आभूषण के मामले में मोती बड़ा ही महत्व रखता है। मोती जिसे अंग्रेजी में पर्ल कहते हैं यह शब्द फ्रेंच से लिया गया है जबकि हिन्दी में यह मोती के रूप में प्रसिद्ध है। महिलाएं इस आकर्षक रत्न को हमेशा हार और अंगूठी में पहनना पसंद करती हैं। मोती धारण करने के कई फायदे हैं, जो इस प्रकार है:
- मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है और चंद्रमा मन का कारक होता है, इसलिए मोती धारण करने से मन स्थिर रहता है व नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
- मोती के प्रभाव से रिश्तों में मधुरता बनी रहती है, विशेषकर पति-पत्नी के संबंधों में। क्योंकि यह रिश्तों में स्नेह,विश्वास और देखभाल को दर्शाता है।
- मोती महिलाओं के लिए ऊर्जा का सार है, इसलिए उन महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी है, जो किसी रोग से पीड़ित हैं।
- मोती धारण करने से आत्म विश्वास में वृद्धि होती है और जीवन में समृद्धता आती है।
- मोती शारीरिक शक्ति में बढ़ोत्तरी करता है और बुरी ताकतों से आपकी रक्षा करता है।
- मोती के प्रभाव से स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती है और यह कलात्मकता, संगीत,कला और स्नेह के प्रति उत्तेजित करता है।
मोती के नुकसान
यदि अब बात करें मोती से होने वाले नुकसानों के बारे में, तो यह इस प्रकार है:
- यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत और फिर भी वह मोती धारण करता है, तो ऐसा करना हानिकारक हो सकता है।
- मोती का उपयोग अक्सर आभूषणों में किया जाता है इसलिए ध्यान रखें यदि आपका चंद्रमा मजबूत स्थिति में है तो, जेवर में लगे मोती आपके शरीर का स्पर्श न करें।
कितने रत्ती यानि वज़न का मोती रत्न धारण करना चाहिए?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मोती चंद्रमा का रत्न है और उसका प्रतिनिधित्व करता है। यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा किसी शुभ भाव में स्थित है तो उससे मिलने वाले प्रभाव को और बढ़ाने के लिए मोती अवश्य धारण करना चाहिए। जहां तक सवाल है कि मोती कितने कैरेट का पहनना चाहिए, तो यह 6 से 8 कैरेट के बीच का होना चाहिए और इसे चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए।
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ज्योतिषीय विश्लेषण- राशि रत्नों का महत्व
ज्योतिषीय दृष्टिकोण के अनुसार मोती चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा लाभ भाव में स्थित रहता है तो उसके प्रभाव को और बढ़ाने के लिए मोती धारण करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि मन को शांति प्रदान करने और चिंतामुक्त रहने के लिए मोती अवश्य पहनना चाहिए। इस धारण करने से रिश्तों में सद्भाव बना रहता है और आत्म विश्वास में बढ़ोत्तरी होती है। मोती ब्लड प्रेशर और ब्लाडर जैसे कई रोगों को नियंत्रित भी करता है। हालांकि मोती को धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्तोतिषाचार्य से परामर्श ज़रूर लेना चाहिए। क्योंकि इस बात की संभावना रहती है कि यदि चंद्रमा किसी बुरे भाव में स्थित रहता है और ऐसे में अगर कोई मोती पहनता है, तो यह उसके लिए कष्टकारी भी साबित हो सकता है। क्योंकि चंद्रमा के बुरे प्रभाव से मानसिक विकार भी उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए मोती रत्न पहनने से पहले यह जानना बहुत ही जरूरी है कि आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति क्या है?
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मोती रत्न की तकनीकी संरचना
वैज्ञानिक रूप से मोती कैल्शियम कार्बोनेट है। इसमें 82-86% कैल्शियम कार्बोनेट, 10-14% कनशियोलिन और 2-4% पानी होता है। इसका रासायनिक सूत्र (CaCO3 and H2O) है। अपर्वतक सूचकांक में मोती रत्न की सीमा 1.530-1.685 होती है और मोह्स स्कैल पर इसकी कठोरता 3.5-4 व विशेष घनत्व 2.65-2.85 होता है।
मोती रत्न धारण करने की विधि
मोती चंद्रमा का रत्न है, इसे चांदी की अंगूठी में बनवाकर कनिष्का अंगुली में पहना जाता है। मोती को धारण करने से पहले इसको कच्चे दूध और गंगाजल में डालकर शुद्धिकरण किया जाना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प, अक्षत व सुंगधित अगरबत्ती लगाएं और चंद्रमा के बीज मंत्र ‘’ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।” का 108 बार जाप करें। रत्न के शुद्धिकरण और पूजन के बाद मोती को सोमवार या पूर्णिमा के दिन या हस्त, रोहिणी और श्रवण नक्षत्र में धारण करना चाहिए।
(सूचना: हम सभी पाठकों को यह सुझाव देते हैं कि कोई भी रत्न पहनने से पहले एक बार ज्योतिषीय परामर्श अवश्य लें।)
असली मोती रत्न की पहचान कैसे करें?
- सबसे अच्छे और बेहतर गुणवत्ता वाले मोती गोल व मुलायम होते हैं। ये बेहद चमकीले भी होते हैं। इसके अलावा भी मोती कई आकार और वैरायटी में पाये जाते हैं।
- चंद्रमा मुख्य रूप से प्रेम और सुंदरता का प्रतीक है और मोती सबसे पुराना और मूल्यवान रत्न है। जब आप मोती को हल्के हाथों से अपने ऊपरी दांत पर रगड़ेंगे, तो असली मोती से कठोरता महसूस होगी जबकि नकली मोती की वजह से चिकनाई महसूस होगी।
- असली मोती पूर्णत: गोलाकार और सही आकार में होंगे। वहीं नकली मोती कई तरह की आकृति और आकार में मिल जाएंगे.
- नकली मोती की तुलना में असली मोती ज्यादा वज़नदार होते हैं। असली मोती पर पानी की बूंद डालने से वह टिकी रहेगी लेकिन लेकिन नकली मोती में ऐसा नहीं होगा।
प्राकृतिक रत्नों के बारे में कैसे जानें?
अधिकतर रत्न खदानों से प्राप्त होते हैं, लेकिन मोती का निर्माण समुद्री जीव करते हैं। समुद्र में कीट या सीपियों द्वारा मोती का निर्माण किया जाता है। इस वजह से इसकी उपलब्धता अक्सर मुश्किल व कम होती है। मोती एकदम चमकदार और कई आकार में होते हैं लेकिन गोल मोती को सबसे अच्छा माना जाता है। आजकल मोती का कल्चर भी शुरू हो गया है। इस व्यवस्था में समुद्र से सीपियों को पालकर उन्हें ऐसी अवस्था में रखा जाता है कि, उनमें मोतियों का उत्पादन हो सके, इस प्रक्रिया को पर्ल कल्चर कहते हैं। सदी की शुरुआत से लेकर अब तक मोती को प्राप्त करने का काम बहुत ही कठिन माना जाता है। समुद्र की गहराई में 100 फीट तक अंदर जाकर मोती प्राप्त करना बहुत ही जोखिम भरा कार्य है और इसमें सफलता की संभावना भी कम रहती है। क्योंकि समुद्र में एक सीप के अंदर अच्छी क्वालिटी के सिर्फ दो या तीन मोती ही मिलते हैं।
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