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पुखराज रत्न - Pukhraj Stone

Pukhraj Stone

वैदिक ज्योतिष में पुखराज रत्न का बड़ा महत्व है। यह बृहस्पति ग्रह की कृपा पाने के लिए धारण किया जाता है। बृहस्पति एक लाभकारी और शुभ फल प्रदान करने वाला ग्रह है। बृहस्पति को देव गुरु भी कहा जाता है। कुंडली में बृहस्पति यानि गुरु पूर्व जन्म के कर्म, धर्म, दर्शन, ज्ञान और संतान सुख के संतुलन का कारक होते हैं। बृहस्पति के बलवान होने पर जातक का परिवार, समाज और हर क्षेत्र में प्रभाव रहता है और इसी बृहस्पति या गुरु ग्रह की कृपा पाने के लिए पुखराज धारण किया जाता है। पुखराज ज्ञान व बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। इसका बहुत ज़्यादा महत्व होता है क्योंकि यह जीवन में समृद्धि व खुशहाली लेकर आता है। इसी कारण इसकी बहुत ज़्यादा मांग भी है। वैसे तो दुनिया में विभिन्न पत्थर उपलब्ध हैं और उन सबकी अपनी अलग-अलग विशेषता है। इन सभी कीमती पत्थरों में एक कीमती रत्न है...पुखराज। हालांकि प्रत्येक रत्न ज्ञान का प्रतीक होता है लेकिन सबके गुण अलग-अलग होते हैं। पुखराज जातक के जीवन में समृद्धि लाता है। यह एक ऐसा रत्न है जो जातक के भीतर रचनात्मकता शैली को बढ़ाता है और जीवन में सफलता के अनेक अवसर प्रदान करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को बुद्धि व ज्ञान प्राप्त होता है जिससे उसे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है और व्यक्ति मज़बूत बन जाता है। जो लोग पुखराज धारण करते हैं वो जीवन के हर सुख को प्राप्त कर लेते हैं। अपने तीव्र परिणामों के कारण कुछ लोगों के लिए यह उलटा भी पड़ सकता है। पुखराज धारण करने से पहले एस्ट्रोसेज आप सभी को किसी अनुभवी ज्योतिष से सलाह लेने व अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण करवाने की सलाह देता है।

पुखराज रत्न से होने वाले लाभ

किसी-किसी व्यक्ति के लिए पुखराज रत्न चारों ओर से शुभ प्रभाव लाता है, आइए जानें, क्या हैं इस रत्न के लाभ-

  • पुखराज को घर या पैसे रखने की जगह पर रखने से ज़्यादा समृद्धि आती है। यह मन को शांति प्रदान करने में मदद करता है जिसके प्रभाव से व्यक्ति एकाग्र मन के साथ अपना कार्य करने में सक्षम होता है साथ ही उसकी निर्णय लेने की क्षमता भी बेहतर होती है।
  • पुखराज के प्रभाव से मानसिक तनाव कम होता है और सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। यह किसी भावनात्मक तौर पर टूटे हुए व्यक्ति को उभारने में मदद करता है।
  • इसका मन, शरीर और स्वास्थ्य के विकास पर काफी प्रभाव पड़ता है। यह व्यक्ति को लक्ष्यों को प्राप्त करने के योग्य बनाता है और इसके प्रभाव से ही व्यक्ति उसे हासिल करने के लिए ज़्यादा प्रयास करता है।
  • यह रत्न अविवाहित जातकों (विशेषकर कन्याओं को) विवाह सुख, दंपत्तियों को वैवाहिक व संतान सुख का आशीष देता है।
  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पुखराज भगवान गणेश का सहयोगी है और श्री गणेश अच्छे भाग्य के अग्रदूत हैं, ऐसे में पुखराज को धारण करने से धन-वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

पुखराज रत्न से होने वाले नुकसान

यूं तो पुखराज को बहुत शुभ प्रभाव देने वाला रत्न कहा जाता है लेकिन कुछ लोगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव भी पड़ जाता है। आइए डालें इससे होने वाली हानियों पर नज़र-

  • जिन लोगों का बृहस्पति यानि गुरु बलहीन है, उनके जीवन के लिए पुखराज कई बार नुकसानदायक भी हो सकता है। इसके दुष्प्रभाव से जीवन साथी के साथ मतभेद हो सकते हैं और सामाजिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है।
  • टूटे हुए पुखराज के पहनने से चोरी की संभावना होती है तो वहीं दूधक रत्न सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर पुखराज के रंग में चमक नहीं रह गई है और वह प्रभाव हीन हो गया है तो यह भी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • यदि रत्न धारण करने वाले व्यक्ति के पुखराज पर सफेद धब्बे पड़ जाएं तो यह उसके जीवन के लिए घातक हो सकता है।
  • क्षीण शक्ति वाले पुखराज रत्न के दुष्प्रभाव से चोट आदि लगने की संभावना रहती है।
  • पुखराज को कभी भी अपना रंग नहीं बदलना चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो यह पहनने वालों के लिए कठिनाइयों का कारण हो सकता है।

कितने रत्ती यानि वज़न का पुखराज रत्न धारण करना चाहिए?

पुखराज, गुरु यानि बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए इसके प्रभाव से बृहस्पति के कारक तत्व जैसे बुद्धि, संतान सुख, धन, वैभव आदि लाभों की प्राप्ति होती है। गुरु सौर मंडल में सबसे बड़ा ग्रह है। पुखराज के प्रभाव से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है, परिवार में सुख, समृद्धि व खुशहाली आती है और पहनने वाले की किस्मत चमक जाती है।

पुखराज का वजन 3.25 कैरेट से कम नहीं होना चाहिए। इसके वजन के अनुसार ही इसका प्रभाव बढ़ता है। पुखराज ख़रीदने से पहले हम यहां आपको किसी अनुभवी ज्योतिषी से सुझाव लेने की सलाह देते हैं।

यदि आप प्रयोगशाला से प्रमाणित पुखराज ख़रीदना चाहते हैं, तो आप यहां अपना ऑर्डर कर सकते हैं: पुखराज रत्न - लैब सर्टिफिकेट के साथ

ज्योतिषीय विश्लेषण- विभिन्न राशियों पर पुखराज रत्न का प्रभाव

अपने शुभ प्रभाव के कारण पुखराज की बाजार में अन्य सभी रत्नों के मुकाबले ज़्यादा मांग है। यह हल्के पीले रंग से लेकर गहरे नारंगी-पीले रंग में उपलब्ध होते हैं। यह ग्रह बृहस्पति से लाभकारी फल प्राप्त करने के लिए पहना जाता है। पुखराज को अंग्रेजी में येलो सेफायर भी कहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार इसका मतलब होता है "महत्वपूर्ण"।

बृहस्पति व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर बृहस्पति आपकी जन्म कुंडली में शुभ भाव में स्थित है तो यह आपको लाभदायक फल प्रदान करेगा। लेकिन अगर यह किसी अशुभ भाव में स्थित है तो परिणाम उल्टा भी हो सकता है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु बलहीन यानि नीच का है, उन्हें लाभ प्राप्त करने के लिए पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। आइए जानें पुखराज के विभिन्न राशियों पर होने वाले अलग-अलग प्रभाव:

जानें अपनी चंद्र आधारित राशि चंद्र राशि कैल्कुलेटर से और जानें क्या पुखराज रत्न आपकी राशि के अनुसार अनुकूल है?

(सूचना: हम सभी पाठकों को यह सुझाव देते हैं कि कोई भी रत्न पहनने से पहले एक बार किसी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।)

मेष

मेष राशि का स्वामी मंगल होता है जिसका बृहस्पति यानि गुरु के साथ मित्रता का भाव होता है। ऐसे में मेष राशि के जातकों के लिए पुखराज काफी लाभप्रद होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को ख्याति प्राप्त होती है।

वृषभ

वृषभ राशि का स्वामी शुक्र और गुरु आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं, ऐसे में इस राशि के लोगों के लिए पुखराज रत्न ठीक नहीं है।

मिथुन

आपको बृहस्पति की प्रमुख और उप प्रमुख अवधि में पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।

कर्क

गुरु का चंद्रमा के साथ मधुरता का भाव है जो कि कर्क राशि का स्वामी होता है। इस राशि के जातकों को पुखराज, मूंगा या फिर मोती के साथ ज़रूर धारण करना चाहिए। ऐसा करने से काफी शुभदायी परिणाम मिलेंगे।

सिंह

सिंह राशि का स्वामी सूर्य व गुरु ग्रह के बीच अच्छे संबंध हैं, तो ऐसे में पुखराज सिंह राशि वालों के लिए एकदम उचित रत्न है।

कन्या

कन्या राशि के स्वामी बुध का गुरु के साथ सम भाव है जबकि गुरु बुध से शत्रुता का भाव रखता है। जिन जातकों को पढ़ाई में किसी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है और जो लोग संपत्ति की हानि से जूझ रहे हैं, उन्हें पुखराज पहन लेना चाहिए।

तुला

तुला राशि के जातकों को पुखराज न पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि तुला राशि में बृहस्पति तीसरे और छठे घर का स्वामी होता है।

वृश्चिक

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए पुखराज पहनना बहुत अच्छा है क्योंकि गुरु वृश्चिक राशि के द्वितीय व पंचम भाव में स्थित होता है। वैसे ज़्यादा अच्छा होगा कि आप पुखराज के साथ मूंगा भी धारण कर लें।

धनु

इस राशि में गुरु प्रथम और चतुर्थ भाव का स्वामी होता है। इस राशि के जातक यदि पुखराज धारण करते हैं तो वह और भी ज़्यादा आकर्षक व ख़ूबसूरत दिखेंगे।

मकर

इस राशि के जातकों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए क्योंकि गुरु इस लग्न के लिए अकारक होता है। इसके साथ ही मकर राशि का स्वामी शनि व गुरु आपस में सम भाव रखते हैं ।

कुंभ

मकर राशि की तरह ही कुंभ राशि का स्वामी भी शनि ही है। ऐसे में आपको भी पुखराज न पहनने की सलाह दी जाती है।

मीन

मीन राशि के जातकों को पुखराज पहनने के बाद कोई अच्छा फल प्राप्त होगा। इस राशि में गुरु प्रथम तथा दशम भाव का स्वामी होता है।

पुखराज रत्न की तकनीकी संरचना

  • पुखराज एक एल्युमीनियम ऑक्साइड है।
  • पुखराज रत्न की गुरुत्वाकर्षण सीमा 3.99 से 4.00 तक होती है और अपवर्तक सूची में इसकी सीमा 1.760 से 1.768 तक रहती है।
  • यह हीरे के बाद सबसे कठोर खनिज माना जाता है। मोह्स स्कैल पर इसकी कठोरता 9 होती है। इसकी रासायनिक संरचना एल्यूमीनियम ऑक्साइड (AL2O3) है।
  • यह पीले रंग के कई शेड्स में उपलब्ध होता है।
  • इसका स्वामी गुरु यानि बृहस्पति है। पुखराज को धारण करने का सबसे शुभ समय बृहस्पतिवार के दिन सुबह को होता है।
  • इसका तत्व आकाश है।

पुखराज रत्न पहनने की विधि

पुखराज धारण करने से पहले सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए क्योंकि यदि तरीका सही नहीं हुआ तो रत्न के प्रभाव गलत भी हो सकते हैं। आइए जानें पुखराज धारण करने के टिप्स:-

  1. बिना ज्योतिष परामर्श के इसे बिल्कुल भी धारण न करें और इस बात की पुष्टि कर लें कि यह रत्न आपके लिए शुभ है या नहीं।
  2. किसी अच्छी व प्रतिष्ठित रत्नों की दुकान से ही पुखराज ख़रीदें, क्योंकि नकली पुखराज पहनने से अनुचित परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं।
  3. पुखराज को आप सोना या चांदी की धातु में बनवाकर धारण कर सकते हैं।
  4. रत्न का वजन कम से कम 2 कैरेट या फिर उससे ज़्यादा होना चाहिए। वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस रत्न का प्रभाव उसके वजन के अनुसार बढ़ता है।
  5. इस अंगूठी को शुद्ध करने के लिए उसे गंगा जल या फिर दूध में डुबोकर रखें। ऐसा करने से उसकी सारी अशुद्धियां धुल जाएंगी और नकारात्मक भाव भी ख़त्म हो जाएंगे।
  6. अंगूठी के साफ हो जाने के बाद उसे ऐसे पीले कपड़े पर रखें जिस पर रोली से बृहस्पति यंत्र बनाया गया हो।
  7. गुरुवार के दिन सुबह के वक्त इस अंगूठी को पहनना शुभ माना जाता है।
  8. इसके बाद दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में अंगूठी पहनें। आमतौर पर इसका प्रभाव 3 साल में ख़त्म हो जाता है इसलिए सुनिश्चित करें कि आप इसे हर 3 साल पर बदल दें।
  9. अंगूठी की साफ-सफाई का रोजाना ख़्याल रखें और उस पर लगी धूल व मिट्टी ज़रूर साफ करें अन्यथा इसका प्रभाव नकारात्मक भी हो सकता है।

असली पुखराज रत्न की पहचान कैसे करें?

इन टिप्स को आज़माकर आप असली पुखराज प्राप्त कर सकते हैं:

  • इसे दिन की रोशनी में नग्न आंखों से ही देखें और ये सुनिश्चित कर लें कि कहीं रत्न में कोई दरार या अशुद्धि तो नहीं है।
  • एक प्रामाणिक रत्न अपने रंग से चिह्नित किया जा सकता है जो वांछित रंग, स्वर और संतृप्ति का एक परिपूर्ण संयोजन है। आपको यह पता होना चाहिए कि सूर्य की रोशनी के नीचे प्रामाणिक रत्न कैसे दिखाई देता है। उसकी चमक को ध्यान में रखें। अगर यह नग्न आंखों के लिए चमकदार है, तो रत्न नकली है।
  • रत्न को छू कर देखें, यदि वो छूने में सख्त है तो इसका अर्थ है कि वो असली नहीं है। रत्न की असली पहचान यह है कि यह छूने पर चिकना सा प्रतीत होता है।
  • अगर पत्थर लचीला होता है, यानि अगर इसकी आकृति बदली जा सकती है, तो यह संभवतः एक रत्न की तुलना में अधिक होगा।
  • बहुत सारे ऐसे आर्टीफिशियल रत्न भी होते हैं जो दिखने में बिल्कुल पुखराज की तरह ही होते हैं लेकिन उनके अंदर वह गुण मौजूद नहीं होते हैं। रत्न पर उंगलियों के निशान बन जाना इस बात की गवाही है कि आपका रत्न असली नहीं है।
  • सुनिश्चित कर लें कि आपका रत्न पारदर्शी है या नहीं है। इसकी पारदर्शिता को चेक करने के लिए इसके ऊपर रोशनी डालकर देखें कि रोशनी आर-पार हो रही है या नहीं।
  • रत्न की पहचान करने के लिए डैमेज टेस्ट करके देखा जा सकता है। लेकिन यदि आप रत्न के आकार में कोई बदलाव नहीं चाहते हैं तो इस टेस्ट को छोड़ भी सकते हैं।

प्राकृतिक रत्नों के बारे में कैसे जानें?

बाजार में नकली उत्पादों की वृद्धि के कारण, खरीदार अब रत्न ख़रीदने के दौरान अधिक सावधान और सतर्क हो गए हैं। उपभोक्ताओं को बेहद सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि महंगी कीमत हमेशा प्रामाणिकता की गारंटी नहीं देती। गुणवत्ता और कीमत के संदर्भ में पत्थरों का एक व्यापक बाज़ार है। आमतौर पर एक महंगे रत्न को अधिक प्रभावशाली माना जाता है, लेकिन वो लैब द्वारा प्रमाणित ज़रूर होना चाहिए। तभी आप असली व नकली रत्न के बीच अंतर कर सकेंगे। इसके अलावा, उपभोक्ता रत्न खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता का पता भी लग सकता है। व्यापक रूप से उपलब्ध नकली उत्पादों से सावधान रहें।

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रत्न की क्वालिटी जानने का सबसे उत्तम तरीका उसका लैब से प्रमाणित होना है। ज़्यादातर विक्रेता रत्न की प्रामाणिकता और विश्वसनीयता के लिए सर्टिफिकेट भी प्रदान करते हैं। एस्ट्रोसेज अपने सभी रत्नों के लिए प्रमाण पत्र प्रदान करता है ताकि इसकी वैधता और खरा होने की पुष्टि हो सके। यह प्रमाण पत्र आईएसओ 9001-2008 द्वारा प्रमाणित है, जो इसके रंग, वजन, आकार से संबंधित सभी जानकारी प्रदान करता है। एस्ट्रोसेज से रत्न ख़रीदने में जोखिम बहुत कम रहता है।

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