भाव चलित: ज्योतिष सीखें (भाग-23)
वर्ग कुण्डली कैसे पढें
पिछली बार षोडशवर्ग के बारे में बताया था। वर्ग का जो सबसे मुख्य प्रयोग है वह है ग्रहों का बल देखने में। जिस ग्रह को जितने ज्यादा उच्च वर्ग, मित्र वर्ग और शुभ वर्ग मिलते हैं वह उतना ही शुभ फल देता है।
चलित चक्र जन्म पत्रिका में अक्सर आपनें राशि या लग्न कुण्डली के अलावा भाव चलित कुण्डली को भी बना देखा होगा। आज मैं आपको बताता हूं कि भावचलित और राशि कुण्डली में क्या फरक है और भाव चलित कुण्डली से क्या देखा जाता है। राशि कुण्डली ज्योतिष में मुख्य कुण्डली है और यह बताती है कि ग्रहों और लग्न की राशि क्या है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है भाव चलित कुण्डली ग्रहों की भाव स्थिति बताती है। सामान्य तौर पर कौन सा ग्रह किस भाव में बैठा है यह भी हम राशि कुण्डली से देख लेते हैं जोकि सही नहीं है। इसके लिए हमें हमेशा भाव चलित कुण्डली को देखना चाहिए।
ज्यादातर समय राशि कुण्डली और भाव चलित कुण्डली में ग्रहों की स्थिति एक जैसी रहती है। पर जब कोई ग्रह राशि कुण्डली में कहीं और और भाव चलित कुण्डली में कहीं और होता है तो ज्योतिष के छात्र भ्रमित हो जाते हैं। इस लिए फलादेश के समय इन कुछ बातों का ध्यान रखें -
- ग्रह अपनी दशा में किस भाव का फल देगा यह हमेशा भाव चलित कुण्डली से देखें। जैसे कोई ग्रह राशि कुण्डली में पहले भाव में बैठा हो तो हमें लगेगा कि वह अपनी दशा में स्वास्थ्य देगा। लेकिन मान लिजिए की वह ग्रह चलित कुण्डली में बारहवें भाव में चला गया तो फिर वह स्वास्थ्य की जगह बारहवें भाव का फल जैसे अस्पताल में भर्ती होना और अकेलेपन जैसा फल ज्यादा देगा। अगर ग्रह की भाव स्थिति भाव चलित कुण्डली में बदल जाती है तो ग्रह उस भाव से जुडा हुआ फल देता है जिस भाव में वह भाव चलित कुण्डली में होता है।
- सभी सॉफ्टवेयर में भाव चलित कुण्डली के साथ ही हर भाव का भाव मध्य बिन्दु भी दिया जाता है। जो ग्रह भावमध्य बिंदु के जितना पास होता है उतना की ज्यादा फल उस भाव का दे पाता है। अगर कोई ग्रह भाव प्रारम्भ बिन्दु के पास हो तो पिछले भाव का फल भी देता है और भाव अन्त बिन्दु के पास हो तो अगले भाव का फल भी देता है। ऐसे ग्रहों की दशा में जो भाव प्रारम्भ या भाव अन्त बिन्दु के बहुत नजदीक हों, दो भावों के मिलेजुले फल मिलते हैं।
- ग्रहों की भावगत स्थिति के अलावा अन्य सभी विषय जैसे दृष्टि, युति, राशिगत स्थिति - उच्च, नीच, मित्र, शत्रु राशि आदि राशि चक्र से ही देखने चाहिए।
- योगों को भी हमेशा राशि कुण्डली से ही देखना चाहिए।
एस्ट्रोसेज मोबाइल पर सभी मोबाइल ऍप्स
एस्ट्रोसेज टीवी सब्सक्राइब
ज्योतिष पत्रिका
- बुध की अस्त अवस्था इन राशि वालों के जीवन में लेकर आ सकती है भूचाल, हो जाएं सावधान!
- इस सप्ताह दो बड़े ग्रह करेंगे अपनी स्थिति में परिवर्तन, जानें किन राशियों के लिए रहेंगे शुभ-अशुभ?
- टैरो साप्ताहिक राशिफल (16 मार्च से 22 मार्च, 2025): इन राशियों को रहना होगा सावधान
- अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 16 मार्च से 22 मार्च, 2025
- मीन राशि में वक्री बुध इन राशि वालों की छीन सकता है नौकरी, जानें कौन सी हैं वह राशियां!
- गुरु की राशि में आएंगे सूर्य, इन राशियों की बदल सकती है किस्मत; धन-संपदा का मिलेगा आशीर्वाद!
- होली 2025 पर बनेंगे 4 बेहद शुभ योग, राशि अनुसार लगाएं ये रंग; धन-समृद्धि की होगी वर्षा!
- होली के शुभ दिन लगने जा रहा है साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें अपने जीवन पर इसका प्रभाव!
- होलिका दहन पर अग्नि में अर्पित करें ये चीज़ें, जीवन से नकारात्मकता का हो जाएगा अंत!
- शुक्र मीन राशि में अस्त: जानें 12 राशियों समेत देश-दुनिया और स्टॉक मार्केट पर क्या पड़ेगा प्रभाव!
- पापमोचिनी एकादशी (मार्च 25, 2025)
- प्रदोष व्रत (कृष्ण) (मार्च 27, 2025)
- मासिक शिवरात्रि (मार्च 27, 2025)
- चैत्र अमावस्या (मार्च 29, 2025)
- चैत्र नवरात्रि (मार्च 30, 2025)
- उगाडी (मार्च 30, 2025)
- घटस्थापना (मार्च 30, 2025)
- गुड़ी पड़वा (मार्च 30, 2025)
- चेटी चंड (मार्च 31, 2025)
- बैंक अवकाश (अप्रैल 1, 2025)
- राम नवमी (अप्रैल 6, 2025)
- चैत्र नवरात्रि पारणा (अप्रैल 7, 2025)
- कामदा एकादशी (अप्रैल 8, 2025)
- प्रदोष व्रत (शुक्ल) (अप्रैल 10, 2025)
- हनुमान जयंती (अप्रैल 12, 2025)