कारक सिद्धांत: ज्योतिष सीखें (भाग-24)
वर्ग कुण्डली कैसे पढें
कुण्डली देख कर भविष्यवाणी कैसे करें - कारक सिद्धान्त अब तक हम ज्योतिष के लगभग सभी जरूरी सिद्धान्त को समझ चुके हैं। अब समझते हैं कि उन सिद्धान्तों का भविष्यफल देखने में कैसे प्रयोग करें। सबसे पहले बताता हूं कारक सिद्धान्त के बारे में।
जब कुण्डली में किसी विषय विशेष के बारे में देखते हैं तो आपको तीन मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान देना होगा - पहला भाव, दूसरा भावेश और तीसरा स्थिर कारक ग्रह। इनके आपस में संयोग से अगल अलग बातों की भविष्यवाणी की जाती है। जैसे हम ग्रह कारकत्व वाले एपीसोड से जानते हैं कि सूर्य स्वास्थ्य, पिता, राजा आदि का कारक ग्रह है। अगर किसी कुण्डली में सूर्य बहुत कमजोर है तो जरूरी नहीं कि सूर्य के सभी कारकत्व नकारात्मक रूप से प्रभावित हों। कौन से कारकत्व प्रभावित होंगे वह भाव और भावेश पर निर्भर करेगा। जैसे हम भाव के कारकत्व एपीसोड से जानते हैं कि स्वास्थ्य को पहले भाव से देखा जाता है, पिता को नवें भाव से देखा जाता है आदि। तो अगर सूर्य के साथ नौवां भाव और नौवे भाव का स्वामी भी कमजोर हों तभी पिता के बारे में खराब परिणाम मिलेंगे। अगर नौवां भाव और नवे भाव का स्वामी कुण्डली में शक्तिशाली हो तो सिर्फ सूर्य के कमजोर होने से पिता से जुडे हुए खराब फल नहीं मिल सकते। इसी तरह अगर पहला भाव और पहले भाव का स्वामी शक्तिशाली हो तो सिर्फ सूर्य के खराब होने से स्वास्थ्य खराब नहीं होगा। समझे? इसलिए ही कहा कि किसी विषय विशेष के बारे में देखने के लिए तीनों बातों - भाव, भावेश और कारक ग्रह को देखना जरूरी है।
कुण्डली अध्ययन की सुविधा के लिए ग्रह और भाव के मिलेजुले कारकत्व को ब्लैकबोर्ड पर देखें और नोट कर लें -
- सूर्य व प्रथम भाव - स्वास्थ्य, शरीर
- सूर्य / चन्द्र व द्वितीय भाव - आंखें
- गुरु व द्वितीय भाव - एकादश - धन
- बुध व द्वितीय भाव - बोलना
- तृतीय भाव व मंगल - भाई बहन
- चतुर्थ भाव व चंद्र - माता
- चतुर्थ भाव व मंगल - प्रॉपर्टी
- चतुर्थ भाव व शुक्र - वाहन
- पंचम भाव व शु्क्र – फिल्म / सिनेमा / कला आदि
- पंचम भाव व गुरु - पुत्र
- पंचम भाव व बुध - बुद्धि
- षष्ठ भाव व शनि - रोग व शत्रु
- सप्तम भाव व शुक्र - पति / पत्नी / विवाह आदि
- अष्टम भाव व शनि - आयु
- नवम भाव व सूर्य - पिता
- नवम भाव व गुरु - गुरु व धर्म
- दशम भाव व बुध / गुरु - यश व व्यवसाय
- एकादश भाव व गुरु - धन व लाभ
- द्वादश भाव व राहु - विदेश यात्रा
जैसे माता के बारे में देखना हो तो चौथे भाव और चंद्र को देखें। अगर प्रापर्टी के बारे में देखना हो तो चौथे भाव और मंगल को देखें आदि। यह जीवन से जुडे हुए मुख्य विषयों की तालिका है। ग्रह और भाव के कारकत्व की जानकारी से इस तालिका को आप खुद ही बढा सकते हैं।
आज के लिए इतना ही। जाने से पहले नीचे दिए हुए एस्ट्रोसेज टीवी यूट्यूब चैनल के सबस्क्राइब बटन पर क्लिक करना न भूलें, ताकि आने वाले एपीसोड की जानकारी आपको मिल सके। नमस्कार।
एस्ट्रोसेज मोबाइल पर सभी मोबाइल ऍप्स
एस्ट्रोसेज टीवी सब्सक्राइब
ज्योतिष पत्रिका
- बुध की अस्त अवस्था इन राशि वालों के जीवन में लेकर आ सकती है भूचाल, हो जाएं सावधान!
- इस सप्ताह दो बड़े ग्रह करेंगे अपनी स्थिति में परिवर्तन, जानें किन राशियों के लिए रहेंगे शुभ-अशुभ?
- टैरो साप्ताहिक राशिफल (16 मार्च से 22 मार्च, 2025): इन राशियों को रहना होगा सावधान
- अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 16 मार्च से 22 मार्च, 2025
- मीन राशि में वक्री बुध इन राशि वालों की छीन सकता है नौकरी, जानें कौन सी हैं वह राशियां!
- गुरु की राशि में आएंगे सूर्य, इन राशियों की बदल सकती है किस्मत; धन-संपदा का मिलेगा आशीर्वाद!
- होली 2025 पर बनेंगे 4 बेहद शुभ योग, राशि अनुसार लगाएं ये रंग; धन-समृद्धि की होगी वर्षा!
- होली के शुभ दिन लगने जा रहा है साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें अपने जीवन पर इसका प्रभाव!
- होलिका दहन पर अग्नि में अर्पित करें ये चीज़ें, जीवन से नकारात्मकता का हो जाएगा अंत!
- शुक्र मीन राशि में अस्त: जानें 12 राशियों समेत देश-दुनिया और स्टॉक मार्केट पर क्या पड़ेगा प्रभाव!
- पापमोचिनी एकादशी (मार्च 25, 2025)
- प्रदोष व्रत (कृष्ण) (मार्च 27, 2025)
- मासिक शिवरात्रि (मार्च 27, 2025)
- चैत्र अमावस्या (मार्च 29, 2025)
- चैत्र नवरात्रि (मार्च 30, 2025)
- उगाडी (मार्च 30, 2025)
- घटस्थापना (मार्च 30, 2025)
- गुड़ी पड़वा (मार्च 30, 2025)
- चेटी चंड (मार्च 31, 2025)
- बैंक अवकाश (अप्रैल 1, 2025)
- राम नवमी (अप्रैल 6, 2025)
- चैत्र नवरात्रि पारणा (अप्रैल 7, 2025)
- कामदा एकादशी (अप्रैल 8, 2025)
- प्रदोष व्रत (शुक्ल) (अप्रैल 10, 2025)
- हनुमान जयंती (अप्रैल 12, 2025)