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ग्रहों की मित्रता और शत्रुता: ज्योतिष सीखें (भाग-9)

नमस्‍कार। उच्‍च, नीच राशि के अलावा फलित के लिए ग्रहों की मित्रता एवं शत्रुता को भी जानना आवश्‍यक है। सूर्यादि ग्रह दूसरे ग्रहों के प्रति सम, मित्र, एवं शत्रु होते हैं। मित्र शत्रु तालिका को ब्‍लैक बोर्ड पर ध्‍यान से देखें -

ग्रह मित्र शत्रु
सूर्य चन्द्र, मंगल, गुरू शनि, शुक्र
चन्द्रमा सूर्य, बुध कोई नहीं
मंगल सूर्य, चन्द्र, गुरू बुध
बुध सूर्य, शुक्र चंद्र
गुरू सुर्य, चंन्‍द्र, मंगल शुक्र, बुध
शुक्र शनि, बुध शेष ग्रह
शनि बुध, शुक्र शेष ग्रह
राहु, केतु शुक्र, शनि सूर्य, चन्‍द्र, मंगल

यह तालिका बहुत महत्‍वपूर्ण है और इसे भी याद करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि यह तालिका बहुत बडी लगे तो डरने की कोई जरुरत नहीं। तालिका समय एवं अभ्‍यास के साथ खुद व खुद याद हो जाती है। मोटे तौर पर वैसे हम ग्रहो हो दो भागों में विभाजित कर सकते हैं जो कि एक दूसरे के शत्रु हैं -

भाग 1 - सूर्य, चंद्र, मंगल और गुरु
भाग 2 - बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतु

यह याद रखने का आसान तरीका है परन्‍तु हर बार सही नहीं है। ऊपर वाली तालिका याद रखें तो ज्‍यादा बेहतर है।

मित्र-शत्रु का मतलब यह है कि जो ग्रह अपनी मित्र ग्रहों की राशि में हो एवं मित्र ग्रहों के साथ हो वह ग्रह अपन शुभ फल देगा। इसके विपरीत कोई ग्रह अपने शत्रु ग्रह की राशि में हो या शत्रु ग्रह के साथ हो तो उसके शुभ फल में कमी आ जाएगी। इस वीडियो में इतना ही। नमस्‍कार।

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