गृह प्रवेश मुहूर्त 2018
जानें साल 2018 में गृह प्रवेश के लिए सबसे शुभ मुहूर्त कौन से हैं? इस पेज पर पाएँ नये और पुराने दोनों ही तरह के मकानों में रहने की शुरुआत करने के लिए गृह प्रवेश की तारीख, दिन और समय की जानकारी।
गृह प्रवेश मुहूर्त 2018 (नवीन घर) | ||||
दिनांक | तिथि | वार | टिप्पणी | |
9 फरवरी | नवमी | शुक्रवार | 14:34 से 16:55 के बीच अनुराधा नक्षत्र में | |
16 फरवरी | प्रथमा | शुक्रवार | धनिष्ठा/शतभिषा नक्षत्र में | |
17 फरवरी | द्वितीया | शनिवार | शतभिषा नक्षत्र में | |
3 मार्च | द्वितीया | शनिवार | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | |
8 मार्च | सप्तमी | गुरुवार | 14:48 से 17:20 के बीच अनुराधा/धनिष्ठा नक्षत्र में | |
12 मार्च | दशमी | सोमवार | 11:14 के बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | |
27 अप्रैल | द्वादशी | शुक्रवार | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | |
11 मई | एकादशी | शुक्रवार | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | |
12 मई | द्वादशी | शनिवार | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | |
20 जून | अष्टमी | बुधवार | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | |
22 जून | दशमी | शुक्रवार | हस्ता नक्षत्र में | |
25 जून | त्रयोदशी | सोमवार | अनुराधा नक्षत्र में | |
गृह प्रवेश मुहूर्त 2018 (पुराना मकान) | ||||
दिनांक | तिथि | वार | टिप्पणी | |
9 फरवरी | नवमी | शुक्रवार | अनुराधा नक्षत्र में | |
16 फरवरी | प्रथमा | शुक्रवार | धनिष्ठा/शतभिषा नक्षत्र में | |
17 फरवरी | द्वितीया | शनिवार | शतभिषा नक्षत्र में | |
3 मार्च | द्वितीया | शनिवार | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | |
8 मार्च | सप्तमी | गुरुवार | अनुराधा/धनिष्ठा नक्षत्र में | |
12 मार्च | दशमी | सोमवार | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | |
23 अप्रैल | अष्टमी | सोमवार | पुष्य नक्षत्र में | |
6 अगस्त | नवमी | सोमवार | कृतिका नक्षत्र में | |
8 अगस्त | द्वादशी | बुधवार | मृगशिरा नक्षत्र में | |
15 अगस्त | पंचमी | बुधवार | चित्रा नक्षत्र में | |
16 अगस्त | षष्टी | गुरुवार | चित्रा नक्षत्र में | |
17 अगस्त | सप्तमी | शुक्रवार | स्वाति नक्षत्र में | |
3 नवंबर | एकादशी | शनिवार | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | |
12 दिसंबर | पंचमी | बुधवार | श्रवण नक्षत्र में | |
13 दिसंबर | षष्टी | गुरुवार | धनिष्ठा नक्षत्र में | |
14 दिसंबर | सप्तमी | शुक्रवार | शतभिषा नक्षत्र में |
हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो, जहां उसका एक छोटा सा संसार हो। आदमी कड़ी मेहनत करके अपने घर का निर्माण करता है और फिर उसमें एक छोटी सी दुनिया बसाता है। घर के निर्माण के बाद सबसे पहले कार्य होता है शुभ समय में गृह प्रवेश का। शुभ मुहूर्त, दिन, तिथि, वार एवं नक्षत्र को ध्यान में रखते हुए गृह प्रवेश के समय का निर्धारण किया जाता है। सही समय और विधि विधान से गृह प्रवेश करने से घर में सदैव शांति,समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
गृह प्रवेश के प्रकार
नये भवन में रहने से पूर्व की जाने वाली पूजा-अर्चना को गृह प्रवेश कहा जाता है। हालांकि वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह प्रवेश तीन प्रकार के होते हैं-
- अपूर्व: जब हम पहली नवनिर्मित भवन में रहने के लिए जाते हैं, तो यह ‘अपूर्व’ गृह प्रवेश कहलाता है।
- सपूर्व: जीवन में कभी ऐसा समय भी आता है जब हम कुछ कारणों से प्रवास पर होते हैं और अपने घर को खाली छोड़ देते हैं। इसके बाद जब दोबारा वहां रहने से पहले जो पूजा होती है उसे सपूर्व गृह प्रवेश कहा जाता है।
- द्वान्धव: किसी परेशानी या आपदा की वजह से जब घर को मजबूरी में छोड़ना पड़ता है और फिर दोबारा प्रवेश करने के लिए पूजा कराई जाती है, उसे द्वान्धव गृह प्रवेश कहते हैं।
कब करें गृह प्रवेश
गृह प्रवेश का मुहूर्त किसी विद्वान ज्योतिषी या पंडित से परामर्श के बाद तय किया जाना चाहिए। हालांकि माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिये सबसे उत्तम समय बताया गया है। वहीं चातुर्मास यानि आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन के समय गृह प्रवेश समेत अन्य मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। इसके अतिरिक्त पौष मास भी गृह प्रवेश के लिए शुभ नहीं माना जाता है। मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाता है। वहीं कुछ विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश वर्जित माना गया है। इसके अलावा सप्ताह के बाकी दिनों में से किसी भी दिन गृह प्रवेश किया जा सकता है। अमावस्या व पूर्णिमा को छोड़कर शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि गृह प्रवेश के लिए शुभ मानी गई है।
शुभ लग्न: गृह प्रवेश के समय लग्न का बड़ा महत्व है। यहां पर विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात है कि-
- गृह स्वामी के जन्म लग्न या जन्मराशि से अष्टम लग्न न हो।
- जन्मराशि/जन्मलग्न से 3,6,10 या 11वें तथा स्थिर लग्न में गृह प्रवेश करना चाहिए।
- ग्राह्मा लग्न में लग्न से 1,2,5,7,9,10 भावों में शुभ ग्रह और 3,6,11वें भावों में पाप ग्रह हों तथा चतुर्थ व अष्टम भाव शुद्ध होने पर गृह प्रवेश करना शुभ होता है।
गृह प्रवेश पर क्या करें
गृह प्रवेश के दिन होने वाली पूजा किसी विद्वान पंडित द्वारा कराई जानी चाहिए। पूजन के संपन्न होने के बाद निम्न बातों का ध्यान रखते हुए घर में प्रवेश करना चाहिए-
- घर के मुख्य द्वार को बंदनवार और फूलों से सजाएँ और आंगन में रंगोली बनाएँ।
- मंगल कलश में गंगा जल या शुद्ध जल भरकर उसमें आम या अशोक के आठ पत्तों के बीच नारियल रखें।
- मंगल कलश व नारियल पर कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएँ।
- पूजन के बाद मंगल कलश लेकर सूर्य की रोशनी में नए घर में प्रवेश करना चाहिए।
- घर के पुरुष और स्त्री को पांच मांगलिक वस्तुएं नारियल, हल्दी, गुड़, चावल, दूध अपने साथ लेकर गृह प्रवेश करना चाहिए।
- पुरुष पहले दाहिना पैर तथा स्त्री बायां पैर बढ़ाकर नए घर में प्रवेश करें।
- भगवान गणेश की मूर्ति, दक्षिणावर्ती शंख, श्री यंत्र को गृह प्रवेश वाले दिन घर में ले जाना चाहिए।
- भगवान गणेश की वंदना के साथ घर के ईशान कोण में या फिर पूजा घर में कलश की स्थापना करें।
- रसोई घर की पूजा करें और उसमें स्वास्तिक का चिन्ह बनाये।
- रसोई में सबसे पहले दूध उबालना चाहिये और मिष्ठान बनाकर उसका भोग लगाना चाहिये।
- घर में सबसे पहले बने भोज्य पदार्थ का भगवान को भोग लगाना चाहिए।
- गौ माता, कौआ, कुत्ता, चींटी आदि के निमित्त भोजन निकाल कर रखें।
- अंत में ब्राह्मण या किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएँ और दक्षिणा देकर विदा करें।
- इस तरह विधिपूर्वक तरीके से गृह प्रवेश करने से घर में सुख, शांति व समृद्धि आती है।
गृह प्रवेश के समय क्या न करें
अक्सर देखने में आता है कि कभी-कभी कुछ लोग भवन निर्माण पूरा होने से पहले ही गृह प्रवेश कर लेते हैं, जो कि सही नहीं है। इसलिए गृह प्रवेश के समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- जब तक घर के मुख्य द्वार पर दरवाजे नहीं लग जाते हैं और घर की छत पूरी तरह से नहीं बन जाती है, तब तक गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
- गृह प्रवेश के समय वास्तु देवता की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
- गृह प्रवेश होने के बाद कुछ दिनों तक घर के मुख्य द्वार पर ताला नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
वास्तु पूजा और वास्तु शांति का महत्व
घर में किसी तरह का वास्तु दोष न हो और घर की शांति बनी रहे इसके लिए वास्तु देवता की पूजा की जाती है। वास्तु पूजा गृह में प्रवेश करने से पहली की जाती है।
- वास्तु देवता की पूजा के लिए घर के मुख्य द्वार पर तांबे के कलश में पानी के साथ नौ प्रकार के अनाज और एक रुपये का सिक्का रखा जाता है।
- वास्तु शांति के लिए हवन किया जाता है। इससे ग्रहों के हानिकारक प्रभाव दूर होते हैं।
- वास्तु यंत्र को अपने घर में स्थापित करने से वास्तु देवता प्रसन्न होते हैं जिससे घर की सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है।
नये घर में यंत्र स्थापना
गृह प्रवेश के बाद नये घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहे, इसके लिए यंत्रों की स्थापना भी की जाती है। हालांकि आप अपनी श्रद्धा के अनुसार किसी भी यंत्र की स्थापना कर सकते हैं।
महामृत्युंजय यंत्र: महामृत्युंजय यंत्र के दर्शन और पूजन से घर में दुःख, बीमारियों से रक्षा होती है।
नवग्रह यंत्र: नवग्रह यंत्र के प्रभाव से सभी ग्रहों से संबंधित दोष दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
श्री महालक्ष्मी यंत्र और कुबेर यंत्र: घर में महालक्ष्मी यंत्र और कुबेर यंत्र के पूजन से आय के साधनों में वृद्धि होती है और धन की स्थिरता बनी रहती है।
हम आशा करते हैं कि इस लेख में गृह प्रवेश मुहूर्त से संबंधित आवश्यक जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो।