भाव के कारकत्व: ज्योतिष सीखें (भाग-7)
भाव के कारकत्व कुण्डली देखने में बहुत महत्वपूर्ण हैं। हर भाव किसी न किसी विषय वस्तु के बारे में बताता है। दुनिया की सारी बातों कि जानकारी इन बारह भावों में छिपी हुई है। दुनिया की सारी वस्तुओं की बात तो दो मिनट में नहीं की जा सकती पर कुछ महत्वपूर्ण कारकत्व बताता हूं।
सम्पूर्ण कुण्डली के बारे में, जन्म और व्यक्ति का स्वाभाव पहले भाव से देखा जाता है।
- धन, नेत्र, मुख, वाणी, परिवार दूसरे भाव से
- साहस, छोटे भाई बहन, मानसिक संतुलन आदि तीसरे भाव से
- मां, सुख, वाहन, प्रापर्टी, घर आदि चौथे भाव से
- बच्चे, बुद्धि पांचवे घर से
- रोग, शत्रु और ऋण छठे भाव से
- विवाह, जीवन साथी, पार्टनर सातवें भाव से
- आयु, खतरा, दुर्घटना आठवें भाव से
- भाग्य, पिता, गुरु, धर्म नवें भाव से
- कर्म, व्यवसाय, पद, ख्याति दसवें घर से
- लाभ, अभिलाषा पूर्ति ग्यारहवें भाव से
- खर्चा, नुकसान, मोक्ष बारहवें भाव से
सामान्यत: 6, 8, 12 भाव में किसी ग्रह का बैठना खराब माना जाता है। यह एक सामान्य नियम है और इसके कुछ अपवाद भी हैं जिसकी चर्चा बाद में करेंगे। सामान्यत: 6, 8, 12 भाव में बैठा हुआ ग्रह न केवल अपने कारकत्व को खराब करता है परन्तु उस भाव के कारकत्व को भी खराब करता है जिस भाव का वह स्वामी हो।
हमारी उदाहरण कुण्डली में मंगल तीसरे और दसवें घर का स्वामी है और छठवें घर में बैठा है। मंगल भाई बहन का कारक होता है इसलिए भाई बहन के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है। दसवें भाव से व्यवसाय देखते हैं इस लिए यह स्थिति व्यक्ति के व्यवसाय के लिए भी अच्छी नहीं है।
इस वीडियो में इतना ही। नमस्कार।