दशाफल उदाहरण: ज्योतिष सीखें (भाग-20)
पिछली बार दशा के बारे में बताया आज एक उदाहरण से समझते हैं कि दशाफल कैसे देखें। मान लीजिए कि हमें उदाहरण कुण्डली में यह देखना है कि इस व्यक्ति का विवाह कब होगा।
पहले तो यह देखना पडेगा कि विवाह होगा भी कि नहीं। भाव कारक एपीसोड से हम जानते हैं कि सातवां भाव शादी का होता है। ग्रह कारकत्व वाले एपीसोड से यह भी जानते हैं कि शुक्र विवाह का कारक ग्रह है। अत: हमको सातवां भाव, सातवें भाव का स्वामी, और शुक्र की कुण्डली में स्थिति देखनी पडेगी। अगर ये ग्रह कुण्डली में शुभ स्थिति में बैठे हैं तो विवाह सही वक्त पर होगा और वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।
यह जानने के लिए कि विवाह कब होगा हमें वे ग्रह ढूंढने पडेंगे जिनकी महादशा, अन्तर्दशा और प्रत्यन्तर्दशा में विवाह हो सकता है। जिन ग्रहों का सातवें भाव से और शुक्र से सम्बन्ध होगा वे ग्रह अपनी दशा, अन्तर्दशा में विवाह देंगे। साथ ही जैसा पिछले एपीसोड में बताया वे ग्रह जो सातवें भाव से जुडे हुए ग्रहों के नक्षत्र में हो वे भी सातवे भाव का फल देते हैं।
अपनी उदाहरण कुण्डली में देखते हैं -
- सातवें घर का स्वामी सूर्य है
- सातवें घर में शनि, सूर्य और बुध बैठे हैं
- शुक्र के साथ राहु बैठा है
सूर्य सातवें भाव का स्वामी भी है और वहां स्थित भी है इसलिए सातवें भाव का फल देने में वह सबसे बलवान है। सूर्य के साथ बुध बैठा है और हम जानते हैं कि बुध, राहु, और केतु जिन ग्रहों के साथ बैठे होते हैं उनका फल देते हैं। इस कारण से बुध भी सातवें भाव का फल देने के लिए बलवान है। राहु विवाह कारक शुक्र के साथ बैठा है इसलिए वह भी सातवे भाव का फल यानि कि विवाह दे सकता है। वे ग्रह जो सूर्य, बुध और राहु के नक्षत्र में हों तो वे भी सातवें भाव का फल देने के लिए बराबर समर्थ होंगे। इसलिए जब भी विवाह की उम्र के आस पास सूर्य, बुध, राहु और उनके नक्षत्र में स्थित ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा आदि आएगी तब विवाह होगा।
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