ग्रह: ज्योतिष सीखें (भाग-1)
नमस्कार। ज्योतिष के 2 मिनट कोर्स में आपका स्वागत है। इस कोर्स में हम गणित नहीं बल्कि फलित पर ध्यान देंगे यानि कि कुण्डली कैसे देखी जाय। कुण्डली बनाने के लिए आप हमारे मुफत एस्ट्रोसेज सॉफटवेयर का इस्तमाल कर सकते हैं।
पूरी ज्योतिष नौ ग्रहों, बारह राशियों, सत्ताईस नक्षत्रों और बारह भावों पर टिकी हुई है। सारे भविष्यफल का मूल आधार इनका आपस में संयोग है। सबसे पहले समझते हैं ग्रहों को।
ग्रह नौ हैं। यहां पर मैं हिन्दी के अलावा अंग्रेजी में ग्रहों के नाम बता रहा हूं, आने वाले समय में ये बहुत काम आऐंगे। इसलिए कोशिश करें की अंग्रेजी के नाम भी याद रखें।
- पहला ग्रह सूर्य यानि की रवि जिसे अंग्रेजी में सन भी कहते हैं
- दूसरा चंद्र अंग्रेजी में मून
- तीसरा मंगल जिसे संस्कृत में भौम, अंग्रेजी में मार्स और दक्षिण भारत में कुज भी कहते हैं
- चौथा बुध अंग्रेजी में मरकरी
- पांचवा गुरु या बृहस्पति अंग्रेजी में ज्यूपिटर
- छठा शुक्र अंग्रेजी में वीनस
- सातवां शनि अंग्रेजी में सेटर्न
- आठवां राहु अंग्रेजी में नार्थ नोड
- औन नवां केतु अंग्रेजी में साउथ नोड
यह जान लें कि ज्योतिष में ग्रह शब्द की परिभाषा आधुनिक परिभाषा से भिन्न है और ग्रहों के प्रभाव के आधारित है। ज्योतिष की अंग्रेजी की पुस्तकों में ग्रह शब्द का प्लानेट अनुवाद कर दिया जाता है क्योंकि अंग्रेजी में और कोई ग्रह शब्द का सही मतलब बताने वाला शब्द नहीं है। लेकिन ध्यान रखें कि खगोल विज्ञान के प्लानेट या ग्रह शब्द और ज्योतिष के ग्रह शब्द का मतलब अलग है। आधुनिक खगोल विज्ञान के की परिभाषा के अनुसार सूर्य तारा है ग्रह नहीं। चन्द्र उपग्रह है और राहु केतु गणितीय बिन्दु हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्र, राहु, केतु चूंकि हमपर प्रभाव डालते हैं इसलिए ग्रह हैं।
इस वीडियो में इतना ही। नमस्कार।