राजयोग रहस्य कुंडली: ज्योतिष सीखें (भाग-16)
नमस्कार मित्रों। आज पहले कुछ राजयोगों के बारे में बताता हूं फिर उसके माध्यम से राजयोग शक्ति के सहस्य के बारें में बताउंगा। पहले बताता हूं नीचभंग राजयोग के बारे में। हम जानते हैं कि अगर कोई ग्रह नीच हो तो वह अपनी शुभफल की शक्ति खो देता है। लेकिन कुछ स्थितियों में नीच ग्रह भी राजयोग का फल देता है और उनमें से तीन मुख्य स्थितियों के बारे में बताता हूं।
- नीच ग्रह का राशि स्वामी ग्रह उच्च का हो। जैसे बुध मीन में नीच का होता है । अगर बुध कन्या में हो पर मीन का स्वामी यानि गुरु उच्च को हो।
- नीच ग्रह का राशि स्वामी ग्रह लग्न व चन्द्र से केन्द्र में हो।
- नीच ग्रह जिस राशि में उच्च होता हो उस राशि का स्वामी उच्च का हो या लग्न व चन्द्र से केन्द्र में हो।
इन में से जितनी शर्तें पूरी होंगी उतना ही शक्तिशाली राजयोग बनेगा।
अब बात करते हैं पंच महापुरुष योग की। अगर मंगल, बुध, गुरु, शुक्र या शनि अपनी उच्च राशि में या स्वराशि में होकर केन्द्र में स्थित हों तो क्रम से रुचक, भद्र, हंस, मालव्य, और शश योग नाम के राजयोग बनाते हैं।
इसके अलावा अगर गुरु और चंद्र आपस में केन्द्र में हों तो गज केसरी नाम का राजयोग बनता है।
इन राजयोगों से ज्योतिष की कई गहरी बात सीखी जा सकती है और उसे ध्यान से सुनो। ग्रह जिस राशि में होता है उस राशि का स्वामी बहुत महत्वपूर्ण होता है। ग्रह अगर कमजोर भी हो पर जिस राशि में वह है उसका स्वामी ताकतवर हो तो कमजोर ग्रह भी ताकतवर हो जाता है। इसके उलट ताकतग्रह भी अगर कमजोर ग्रह कि राशि में हो तो वह अपना फल नहीं दे पाता। अक्सर ज्योतिषी लोग इस महत्वपूर्ण नियम को भूल जाते हैं और गलती कर देते हैं। नीचभंग राजयोग का सहस्य भी इसी बात में छिपा है।
केन्द्र में बैठा हुआ ग्रह बहुत प्रभावी होता है। सामान्य तौर पर शुभ ग्रह केन्द्र में बहुत शुभ फल देते हैं और पाप ग्रह बहुत अशुभ फल। लेकिन अगर पाप ग्रह अपनी या उच्च राशि में हों तो महापरुष राजयोग बनाते हैं। केन्द्र की शक्ति ही गजकेसरी योग, महापुरुष योग और नीचभंग राजयोग का सहस्य है। जो ज्योतिषी केन्द्र की शक्ति को समझ लेता है वो राजयोग पढने में गलती नहीं करता।
आज के एपीसोड में इतना ही। नमस्कार।