षोडशवर्ग: ज्योतिष सीखें (भाग-22)
हम जानते हैं कि अगर राशिचक्र को बराबर 12 भागों में बांटा जाय तो हर एक हिस्सा कहलाता है 'राशि'। सूक्ष्म फलकथन के लिए राशि के भी विभाग किए जाते हैं और उन्हें वर्ग कहते हैं। वर्गों को अंग्रेजी में डिवीजन (division) और वर्गों पर आधारित कुण्डली (वर्ग चर्क्र) को डिवीजनल चार्ट (divisional chart) कह दिया जाता है। वर्गों को ज्योतिष में नाम दिए गए हैं जैसे अगर राशि को दो हिस्सों में बांटा जाय तो ऐसे विभाग को कहते हैं होरा। इसी तरह अगर राशि के तीन हिस्से करे जायें तो तो कहते हैं द्रेष्काण, नौ हिस्से किए जाय तो कहते हैं नवमांश। इसी तरह हर एक वर्ग विभाजन को नाम दिए गए हैं। आजकल सोलह वर्ग विभाजन काफी प्रचलित हो रहे हैं और उनको कहते हैं षोडशवर्ग।
षोडशवर्ग के सोलह वर्ग और उनसे विचारणीय विषय ब्लैकबोर्ड पर देखें।
वर्ग नाम | वर्ग संख्या | विचारणीय विषय |
---|---|---|
लग्न | 1 | देह |
होरा | 2 | धन |
द्रेष्काण | 3 | भाई बहनें |
चतुर्थांश | 4 | भाग्य |
सप्तमांश | 7 | पुत्र – पौत्रादि |
नवमांश | 9 | स्त्री एवं विवाह |
दशमांश | 10 | राज्य एवं कर्म |
द्वादशांश | 12 | माता पिता |
षोडशांश | 16 | वाहनों से सुख दुख |
विशांश | 20 | उपासना |
चतुर्विशांश | 24 | विधा |
सप्तविंशांश या भांश | 27 | बलाबल |
त्रिशांश | 30 | अरिष्ट |
खवेदांश | 40 | शुभ अशुभ |
अक्षवेदांश | 45 | सबका |
षष्ट्यंश | 60 | सबका |
वर्गों के गणित पर मैं नहीं जाउूंगा। आप एस्ट्रोसेज या कोई अन्य सोफ्टवेयर से वर्गों की गणना कर सकते हैं। वर्गों का प्रयोग खासकर ग्रहों के बल की गणना के लिए किया जाता है। सामान्य तौर पर जो ग्रह जितने ज्यादा उच्च वर्ग, मित्र वर्ग और शुभ ग्रहों के वर्ग पाता है वह उतना ही शुभ फल देता है। जो ग्रह जितना ज्यादा ताकतवर होता है वह अपना फल उतना ही ज्यादा दे पाता है। शुरुआती दौर में वर्ग बहुत कनफयूज करते हैं इसलिए आप अपना ध्यान सिर्फ नवांश पर लगाएं। अगर कोई ग्रह नवांश में कमजोर है यानि कि नीच राशि का या शत्रु राशि का है तो अपने शुभ फल नहीं दे पाता। अगर कोई ग्रह कुण्डली में उच्च का भी हो पर नवांश में नीच का हो तो वह ग्रह कुछ खास शुभ फल नहीं दे पाएगा।
इन सभी वर्गों में नवांश या नवमांश सबसे महत्वपूर्ण होता है।