शनि साढ़े साती – राशियों पर प्रभाव व उपाय
शनि ग्रह की साढ़े सात वर्ष तक चलने वाली दशा को साढ़े साती कहते हैं। साढ़े साती जीवन का चरण है जो किसी जीवित व्यक्ति के संपूर्ण जीवनकाल में निश्चित तौर पर कम से कम एक या एक से अधिक बार जरुर आती है। आईये जानते हैं कि अलग-अलग राशियों पर कब-कब है साढ़े साती का प्रभाव–
साढ़े साती क्या है?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार साढ़े साती, शनि ग्रह (नवग्रहों में से एक ग्रह) की साढ़े सात साल तक चलने वाली एक तरह की ग्रह दशा है। खगोलशास्त्र और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में मौजूद सभी ग्रह एक राशि से दूसरे राशि में घूमते रहते हैं। इन सब में शनि ग्रह सबसे धीमी गति से घूमने वाला ग्रह है।
यह एक से दूसरी राशि तक गोचर करने में ढाई वर्ष का समय लेता है। गोचर करते हुए शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म राशि या नाम की राशि में स्थित होता है, वह राशि, उससे अगली राशि और बारहवीं स्थान वाली राशि पर साढ़े साती का प्रभाव होता है। तीन राशियों से होकर गुजरने में इसे सात वर्ष और छः महीने मतलब साढ़े सात वर्ष का समय लगता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार इसे ही शनि की साढ़े साती के नाम से जाना जाता है।
पुराणों के अनुसार शनि को सूर्य और छायां का पुत्र और यमराज एवं यमुना का भाई माना गया है। शनि का रंग नीला माना गया है। यदि यमलोक के “अधिपति” यमराज हैं, तो शनि को वहां का “दंडाधिकारी” कहा जाता है।
साढ़े साती का असर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि एक पापी ग्रह होता है, किसी भी जातक की कुंडली में इसकी उपस्थिति अशुभ और व्यक्ति को नुकसान पहुँचाने वाली मानी जाती है। शनि साढ़े साती की गणना चंद्र राशि पर आधारित होती है। शनिदेव को 'कर्मफल दाता' रूप में माना गया है। ऐसा कहा जाता है मनुष्य जो भी कर्म करेगा उसका फल शनिदेव उसे देते हैं। इसलिए हर किसी को शनि से डरने की जरूरत नहीं है।जिन जातकों की कुंडली में शनि शुभ होता है, उन लोगों के लिए साढ़े साती का समय काफी फलदायक होती है और इस दौरान वैसे लोग बहुत तरक्की करते हैं।
साढ़े साती के समय अगर आपके काम रुकने लगे और लाख परिश्रम के बाद भी सफलता नहीं प्राप्त हो, तो इसका मतलब है कि यह शनिदेव का प्रकोप है जो आपको पीड़ित कर रहा है। ऐसी स्थिति में जातक शनिदेव को खुश करने के उपाय करके अपने नुकसान और हो रही परेशानियों को कम कर सकता है।
साढ़े साती के चरण
अगर किसी व्यक्ति को यह मालूम हो जाये की उसकी राशि में शनि की साढ़े साती चल रही है, तो यह सुनकर ही वह व्यक्ति मानसिक दबाव में आ जाता है। आने वाले समय में किस तरह की घटनाओं का सामना उसे करना पड़ेगा उसे ले कर तरह-तरह के विचार मन में आने लगते है।
शनि की साढ़े साती को लेकर अक्सर यह बात कही जाती है कि इसका प्रभाव केवल बूरा होता है जबकि ऐसा नहीं है इस आर्टिकल की शुरुआत में ही हमने आपको बताया था कि शनि देवता को कर्मदेव भी कहते है जो आपको आपके कर्मों के अनुसार फल देते हैं, इसीलिए इसका प्रभाव क्या होगा यह जातक के कर्मों पर निर्भर करता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यदि शनि ग्रह किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के बारहवें, पहले, दूसरे और जन्म के चंद्र के ऊपर से होकर गुजरे तो उसे शनि की साढ़े साती कहते हैं। शनि के इस भ्रमण को तीन अलग-अलग चरणों में बांटा गया है। इन तीनों अवधि में से दूसरा चरण व्यक्ति के लिए सबसे कष्टदायी माना जाता है।
आईये जानते हैं साढ़े साती के विभिन्न चरणों के बारे में -
शास्त्रों के अनुसार साढ़े साती को तीन चरण में बाँट दिया गया है। साढ़े साती का पहला चरण धनु, वृ्षभ, सिंह राशि वाले लोगों के लिए कष्टकारी रहता है। दूसरा या मध्य चरण सिंह, मकर, मेष, कर्क, वृश्चिक राशियों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।अन्तिम या तीसरा चरण मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, मीन राशि के लिए कष्टदायक माना जाता है.
इसके अलावा शनि की साढ़े साती तीनों चरणों में निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है–
पहला या प्रथम चरण – प्रथम चरण में शनि जातक के मस्तक पर रहता है। इसमें व्यक्ति को आर्थिक कठिनाईओं का सामना करना पड़ता है, जितनी आमदनी होती है उससे ज्यादा खर्च होते हैं। व्यक्ति को नींद से जुड़ी समस्याओं साथ ही और भी प्रकार की स्वास्थ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सोचे गए कार्य पूरे नहीं होते और धन से जुड़ी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। दाम्पत्य जीवन में कठिनाईयां आती हैं और मानसिक चिंताओं में बढ़ोतरी होती है।
दूसरा या द्वितीय चरण – साढ़े साती की इस अवधि में व्यक्ति को व्यवसायिक तथा पारिवारिक जीवन में उतार-चढाव का सामना करना पड़ता है। जातक को अपने रिश्तेदारों से कष्ट प्राप्त होते है। उसे घर -परिवार से दूर रहना साथ ही लम्बी यात्राओं पर भी जाना पड़ सकता है। व्यक्ति को शारीरिक रोगों को भोगना पड़ सकता है। धन-संपति से जुड़े मामले भी परेशान कर सकते हैं। इस चरण में समय पर मित्रों का सहयोग नहीं मिलता है और किसी भी कार्य को करने के लिए सामान्य से अधिक कोशिश करनी पड़ती है। इन सब के अलावा वह आर्थिक परेशानियां से भी घिरा रह सकता है।
तीसरा या तृतीय चरण – साढ़े साती के तीसरे चरण में व्यक्ति को भौतिक सुखों का लाभ नहीं मिलता और उसके अधिकारों में कमी आती है। जितनी आमदनी होती है उससे ज्यादा खर्च होते हैं। स्वास्थय से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। संतान से विचारों में भिन्नता उत्पन्न ही जाती है और वाद-विवाद के योग बनते है। अगर संक्षेप में देखे तो यह अवधि व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। जिस लोगों की जन्म राशि में शनि की साढ़े साती का तीसरा चरण चल रहा हो, वैसे लोगों को किसी भी तरह के वाद-विवाद से बच कर रहना चाहिए।
इन तीन चरणों के अलावा, दो चरण और भी होते हैं हैं, जिन्हें अशुभ माना जाता है। ये दो चरण भी शनि "पारगमन" के कारण होते हैं जो आमतौर पर "शनि ढैया" के नाम से जाना जाता है।
साढ़े साती या शनि दोष के उपाय
- साढ़े साती के दौरान ग्रह शनि को खुश करने के लिए प्रत्येक शनिवार को भगवान शनि की पूजा करना सबसे अच्छा उपाय है।
- आप साढ़े साती के दोषपूर्ण प्रभाव को कम करने के लिए ज्योतिषीय सलाह लेने के बाद नीलम जैसे रत्न पहन सकते हैं।
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना भी उपयोगी हो सकता है।
- शनि ग्रह मंत्र को 80,000 बार सुशोभित करें।
- अपने दाहिने हाथ की मध्य उँगली में लोहे की अंगूठी पहनें, ध्यान रहे कि यह अंगूठी घोड़े की नाल से बनी होनी चाहिए।
- "शिव पञ्चाक्षरि" और महा मृत्युंजय मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शिव की पूजा करें।
- शनिवार को गरीबों और जरूरतमंद लोगों को भोजन और वस्त्र आदि दें। कला चना, सरसों का तेल, लोहे का सामान, काले कपड़े, कंबल, भैंस, धन आदि जैसी चीज़ों का दान किया जाना चाहिए।
- हर शनिवार तांबा और तिल के तेल को शनि देव पर चढ़ाएं।
- शनि देव को खुश करने के लिए हर शनिवार दूध या पानी डालें।
- रोज़ाना "शनि स्तोत्र" का पाठ करें।
- प्रतिदिन "शनि कवचम" का उच्चारण करें।
- कौवे को अनाज और बीज खिलाएं।
- काली चींटियों को शहद और चीनी खिलाएं।
- भिखारी और शारीरिक रूप से विकलांग को दही-चावल का दान करें।
साढ़े साती की अवधि के दौरान किन गतिविधियों से बचना चाहिए?
साढ़े साती एक ऐसी अवधि है जो मानव मन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। आइए देखें कि साढ़े साती चरण के दौरान हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए: -
- हमें किसी भी जोखिम से भरे कार्य को करने से बचना चाहिए।
- साढ़े साती के दौरान हमें घर पर या कार्य स्थल पर किसी भी तरह के तर्क-वितर्क से बचना चाहिए।
- ड्राइविंग करते समय हमें सतर्क रहना चाहिए।
- हमें रात्रि के समय अकेले यात्रा करने से बचना चाहिए।
- हमें किसी भी औपचारिक या कानूनी समझौते में फंसने से बचना चाहिए।
- हमें शनिवार और मंगलवार को शराब बिलकुल नहीं पीनी चाहिए।
- हमें शनिवार और मंगलवार को काले कपड़े या चमड़े के सामान खरीदने से बचना चाहिए।
- हमें किसी भी तरह के अवैध या गलत चीज़ों में भाग लेने से बचना चाहिए।
शनि को ज्योतिष में सबसे अधिक अनिष्टकारी ग्रह माना जाता है। हालांकि, यह हमेशा सच नहीं होता है, शनि आपके कार्यों और कर्मों के आधार पर न्याय करता है। यदि आप अच्छे कर्म करते हैं, तो यह निश्चित रूप से आपको उसका फल प्रदान करता है। हाँ आपके अच्छे कर्मों का परिणाम आने में देरी जरूर हो सकती है, लेकिन यह निश्चित रूप से आपको प्राप्त होता है। साढ़े साती मानव जाति के लिए हमेशा से ही भय और उत्सुकता भरा विषय रहा है। शनि साढ़े साती लोगों को अच्छे और बुरे दोनों तरह के समयों का अनुभव कराती है।
शनि मूल रूप से आपके धैर्य की परीक्षा लेते हुए आपको आपके कर्मों का फल देता है। अतः हम शनि को एक "न्यायधीश" की तरह मान सकते हैं जो हमे हमारे कर्मों के अनुसार फल देता है। हमें उम्मीद है कि यह साढ़े साती कैलकुलेटर आपके लिए फायदेमंद होगा और आशा करते है कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए फायदेमंद रहेगी।
शनि देव की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।